प्रकाशित - 14 Dec 2024
किसानों को खेती-किसानी के कई कामों के लिए बैंक से लोन लेने की आवश्यकता होती है। देश के कई बैंक किसानों को कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन किसानों को लोन देने से पहले ये बैंक लोन को लौटाने की क्षमता के बारे में भी जानकारी चाहते हैं। इसके लिए वे किसानों से खेती की जमीन का ब्यौरा मांगते हैं कि किसान के पास कितनी जमीन है जिस पर वह खेती का काम कर रहा है। अभी इस ब्यौरे के लिए खेत की जमीन के कागज मांगे जाते हैं। लेकिन अब बैंक ने इसके लिए सैटेलाइट इमेज का सहारा लेना शुरू कर दिया है। अब बैंक आपको लोन देने से पहले आपके खेत की सैटलाइट इमेज लेगी और उसी के आधार पर बैंक किसानों की आय के बारे में पता कर लेगी और उसी आधार पर किसानों को लोन या ऋण प्रदान करेगी। बताया जा रहा है कि इस तकनीक के इस्तेमाल से किसान को जल्दी ऑनलाइन तरीके से लोन लेना आसान हो जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूपी सरकार ने इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरर्पोरेशन से समझौता किया है और बेंगलुरु आधारित कंपनी सैटश्योर के साथ खेती-बाड़ी के रिकॉर्ड को इंटीग्रेट किया है। यह समझौता इसलिए किया गया है ताकि राज्य के 8 करोड़ किसानों को डिजिटल तरीके से लोन दिलाने में आसानी हो सके। डिजिटल तरीके से लोन की सुविधा से समय की बचत होगी और किसानों को जल्दी बैंक लोन मिल सकेगा। इस नई तकनीक के इस्तेमाल से अब किसान के घर पर जाकर किसी तरह का सर्वेक्षण नहीं करने की जरूरत नहीं होगी। सेटेलाइट इमेज के जरिये के आधार पर डाटा आधारित सूचनाओं की सहायता से लोन स्वीकृत कर दिया जाएगा। इसके साथ ही इस तकनीक के जरिये फर्जी जानकारी को भी रियलटाइम में वेरिफाई किया जा सकेगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सैटश्योर ऐसी कंपनी है जो सैटैलाइट इमेज की सहायता से खेत व गांव के आधार पर रेंटिंग्स बताती है। इसी रेटिंग्स के आधार पर किसानों को लोन की सुविधा दी जाती है। यह कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से सैटेलाइट इमेज के पैटर्न की छानबीन करती है। फसल की पहचान करती है, फसल की सेहत की मॉनिटरिंग करती है और पैदावार कितनी मिलेगी इसकी भी जानकारी देती है। इसके अलावा कंपनी बारिश, तापमान और आर्द्रता के आधार पर किसानों की संभावित आय के बारे में भी बैंकों को जानकारी देती है। इससे बैंकों को यह पता चल जाता है कि किसान को कितनी पैदावार मिलेगी जिससे उसकी लोन चुकाने की क्षमता का पता हो जाता है। बैंक इसी आधार पर किसानों को लोन देने या नहीं देने का फैसला तुरंत कर सकती है।
बैंक अपने सिस्टम में सैटश्योर का एपीआई फीड करते हैं जिससे उन्हें किसी भी खेत के जोखिम के बारे में कुछ ही मिनटों में पूरी जानकारी मिल जाती है। इससे उन्हें स्वीकृत करने की प्रक्रिया में आसानी होती है। इस प्रक्रिया से मिलने वाले लोन में किसी तरह की देरी नहीं होती है। ऐसे में किसानों का बहुत कम समय में लोन स्वीकृत हो जाता है। इस तरह किसानों को ऑनलाइन तरीके से जल्दी लोन मिल जाता है। बता दें कि इस काम के लिए सैटश्योर की ओर से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के इनोवेशन हब, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी जैसे- ट्रांस यूनियन सिबिल व प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक के साथ समझौता किया है। सैटश्योर की तरह ध्रुव स्पेस व पिक्सेल कंपनी भी सैटेलाइट इमेज के आधार पर कृषि क्षेत्र में डाटा उपलब्ध कराने का काम करती हैं।
केंद्र सरकार की ओर से किसानों को सस्ता लोन मिल सके, इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की है। इसके तहत किसानों को 3 लाख रुपए तक का लोन मिल सकता है। इसके तहत पहले 1.60 लाख रुपए का लोन बिना कुछ गिरवी रखे दिया जाता था, लेकिन अब इस योजना के तहत किसान 2 लाख रुपए तक का लोन बिना कुछ गिरवी रखे प्राप्त कर सकते हैं। खास बात यह है कि किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लेने पर सरकार की ओर से समय पर लोन चुकाने पर 3 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी दी जाती है जिससे किसानों को केसीसी लोन मात्र 4 प्रतिशत की ब्याज दर पर उपलब्ध हो जाता है। बता दें कि वैसे तो बैंक की कृषि लोन की ब्याज दर 9 प्रतिशत है, लेकिन इसमें 2 प्रतिशत की छूट मिलने से किसानों को सहकारी समिति के माध्यम से यह लोन मात्र 7 प्रतिशत ब्याज मिलता है। वहीं समय पर लोन चुकता करने पर सरकार किसानों को 3 प्रतिशत की छूट देती है जिससे किसानों को केसीसी लोन 4 प्रतिशत की कम ब्याज दर पर मिलता है।
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