सर्दियों के चार महीनों में पशुओं को कौनसा चारा खिलाना चाहिए, समझिए पूरा गणित

Share Product प्रकाशित - 04 Nov 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

सर्दियों के चार महीनों में पशुओं को कौनसा चारा खिलाना चाहिए, समझिए पूरा गणित

पशु आहार के साथ-साथ रखरखाव का तरीका भी जानिए

देश के अधिकांश किसान पशुपालन से जुड़े हुए हैं और अच्छी आमदनी भी कमा रहे हैं। किसान पशुपालन में दुधारू पशुओं को पालना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। दुधारू पशुओं के पालन में कई बार लापरवाही के कारण पशुपालकों को बड़ा नुकसान हो जाता है। अक्सर सर्दियों के मौसम में दुधारू पशुओं की देखभाल में लापरवाही से गाय-भैंस जैसे पशु कम दूध देने लगते हैं। सर्दियों के चार महीनों के दौरान दुधारू पशुओं के आहार व रखरखाव की व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अगर पशुपालक पशुओं के आहार और रखरखाव की व्यवस्था को सही ढंग से मैनेज करते हैं तो उनके पशु ज्यादा दूध का उत्पादन करते हैं। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट से जानें कि सर्दियों के चार महीनों के दौरान दुधारू पशुओं को कौनसा चारा खिलाना चाहिए और उनके रखरखाव में क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए।

सर्दियों में पशुओं को खिलाना चाहिए ये आहार

पशु विशेषज्ञों के अनुसार दुधारू पशुओं को हमेशा मौसम के अनुसार चारा खिलाना चाहिए। खासतौर पर सर्दियों के मौसम में सामान्य दिनों की तुलना में अधिक खुराक देनी चाहिए। भारत में सर्दी के दिनों की शुरुआत नवंबर से हो जाती है और फरवरी तक ठंड का मौसम जारी रहता है। इन दिनों पशुओं को ऐसा चारा खिलाना चाहिए जिसकी पाचन क्षमता 60 प्रतिशत से अधिक हो। नवंबर व दिसंबर में दुधारू पशुओं को ज्वार, ग्वार, नेपियर, सूडान और भूसा का चारा खिलाना चाहिए। वहीं जनवरी व फरवरी में बरसीम, लूसर्न, जई मेथी, भूसा और साइलेज का चारा खिलाना बेहतर माना जाता है। इसके अलावा अन्य पौष्टिक तत्व भी देने चाहिए।

इन बातों का भी रखें ध्यान

दुधारू पशुओं के आहार में कुछ सामान्य बातों पर भी ध्यान रखना चाहिए, जो इस प्रकार है :

  • पशुओं को चारा रोजाना एक निर्धारित समय पर ही देना चाहिए। दिन में 2 बार आहार जरूर दें।
  • 8 से 10 घंटे के अंतराल पर ही पशुओं का चारा खिलाना चाहिए। इससे उनकी पाचन क्रिया सही रहती है।
  • पशुओं को हमेशा चारे के साथ ही दाना भी देना चाहिए। इससे दूध उत्पादन में गिरावट नहीं आती है।
  • दूध निकालने के बाद पशुओं को हरा चारा और दाना खिलाना चाहिए। यह उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर रहेगा।
  • अगर आप चाहते हैं कि दुधारू पशुओं की पाचन क्रिया हमेशा सही रहे तो पशुओं को भूसा हमेशा पानी में भिगोकर ही खिलाना चाहिए।
  • पशुओं को सूखा और हरा चारा हमेशा कुट्टी बनाकर ही देना चाहिए। इससे चारे की बर्बादी कम होती ह. साथ ही पशुओं को चारा खाने में भी ज्यादा परेशानी नहीं होती है। 

भरपेट न खिलाए हरा चारा

दुधारू पशुओं को केवल हरा-चारा ही भरपेट नहीं खिलाना चाहिए। बल्कि इसमें गेहूं की भूसी या पुआल मिलाकर खिलाएं, क्योंकि हरे चारे में 90 प्रतिशत पानी होता है। हरा चारा अधिक मात्रा में खिलाने पर पशु के शरीर का तापमान कम हो जाता है।

मवेशियों के रखरखाव में ये सावधानियां बरतें

सर्दी के मौसम में पशुबाड़े या पशुशाला में मवेशियों के रखरखाव में कोई कमी नहीं छोड़नी चाहिए। थोड़ी सी लापरवाही से बड़ा नुकसान हो जाता है। सामान्यत: सर्दी के चार महीनों के दौरान सर्द हवाओं के कारण वातावरण में ठंडक बढ़ जाती है। गायों की तुलना में भैंस वंशीय पशुओं को सर्द मौसम में अधिक परेशानी होती है। पारा गिरने के कारण पशुओं को शारीरिक तापमान बनाए रखने के लिए अपने शरीर की काफी ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। लापरवाही के कारण  पशु सर्दी, खांसी, जुकाम, न्यूमोनिया जैसी बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं। दिन के समय में गाय-भैंस काे धूप में बांधना चाहिए। शाम होते ही उन्हें ऐसे स्थान पर बांधना चाहिए जहां सर्द हवा सीधी नहीं लगती हो। साथ ही पशुबाड़े का फर्श हमेशा सूखी रहनी चाहिए। यदि फर्श गीला हो तो गोबर इकट्ठा करने के बाद उसके मूत्र को सूखी राख डालकर सुखा देना चाहिए। पशुशाला को पूरी तरह से बंद नहीं रखना चाहिए। उसमें रोशनदान की व्यवस्था होनाी चाहिए। पशुशाला में पशुओं के आराम के लिए मोटी पुआल बिछानी चाहिए। पशु को सप्ताह में कम से कम एक बार स्नान जरूर कराना चाहिए।

पशुआहार में इन पौष्टिक तत्वों का समावेश जरूरी

दुधारू पशुओं से ज्यादा दुग्ध उत्पादन प्राप्त करने के लिए हमेशा पौष्टिक आहार खिलाना चाहिए। पशुओं को प्रतिदिन चारा के अलावा पोषक तत्व, खनिज मिश्रण और नमक देना चाहिए। पशुओं को केवल दाना खिलाने से बचना चाहिए। इससे पशुओ की पाचन शक्ति पर विपरित प्रभाव पड़ता है और दूध उत्पादन में गिरावट की संभावना रहती है। साथ ही दूध निकालने के बाद दाना और चारा दोनों ही खिलाना चाहिए। पशुओं को दिन में दो बार आहार देना चाहिए और आहार के समय में 8 से 10 घंटे का अंतराल रखना चाहिए।

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