Published - 29 Mar 2022
भारत में प्रचीनकाल से पशुपालन किया जाता रहा है। इसमें मुख्यत: गाय, भैंसे जैसे दुधारू पशुओं को दूध उत्पादन की दृष्टि से पाला जाता है। अधिकतर पशुपालकों की शिकायत रहती है कि उनका पशु कम दूध देता है या दूध की गुणवत्ता में कमी है। यदि ऐसी कोई समस्या पशुपालकों के सामने आ रही है तो आपको ये जान लेना चाहिए कि पशुओं के खानपान मेें कोई गड़बड़ है या फिर पशु स्वस्थ नहीं है। हालांकि कुछ वर्षों के बाद पशु के दूध की मात्रा में कमी आ जाती है। लेकिन जरूरत से ज्यादा दूध की मात्रा में कमी आ रही है तो इसके लिए आपको पशु के आहार पर ध्यान देना चाहिए। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को दूधारू पशु गाय एवं भैंस के संतुलित आहार के विषय में आपको जानकारी दे रहे हैं ताकि आप पशु से गुणवत्तापूर्ण अधिक मात्रा में दूध प्राप्त कर सके।
पशुओं में दूध की मात्रा और गुणवत्ता उनको खिलाएं जाने वाले आहार पर निर्भर करती है। यदि आप पर्याप्त मात्रा में पशु को संतुलित आहार जिसमें सूखा चारा, हरा चारा और इसके अलावा दलिया, गुड़ या कोई अन्य प्रकार का पौष्टिक आहार दे रहे हैं तो उसमें इसकी मात्रा का विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। संतुलित आहार का तात्पर्य यह है कि ऐसा आहार जिसमें सभी अवयव निर्धारित मात्रा में शामिल हो। संतुलित आहार से पशु स्वस्थ तो रहते ही है साथ ही उनकी दूध देने की क्षमता में भी सुधार होता है।
संतुलित आहार उस भोजन सामग्री को कहते हैं जो किसी विशेष पशु की 24 घंटे की निर्धारित पौषाणिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। ऐसा आहार जिसमें कार्बन, वसा और प्रोटीन का विशेष अनुपात सही मात्रा में शामिल हो। संतुलित आहार चारे व दाने का ऐसा मिश्रण होता हैं जिसमें पशु को स्वस्थ रखने, वृद्धि, उत्पादन या कार्य करने के लिए विभिन्न पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण एवं विटामिन आदि एक निश्चित मात्रा एवं निश्चित अनुपात में उपलब्ध होते हैं।
संतुलित आहार में विशेषताएं होती हैं। पशु को संतुलित आहार देते समय इन बातों की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए जो इस प्रकार से हैं-
हरे चारे की पाचनशीलता सूखे चारे से अच्छी होती है एवं पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं। हरा चारा दूध का उत्पादन बढ़ाता है। इसमें सूडान घास, बाजरा, ज्वार, मकचरी, जई और बरसीम आदि शामिल हैं। पशुपालकों को चाहिए कि वो हरे चारे में दलिया या दलहनी दोनों तरह के चारे शामिल करें। इससे पशुओं में प्रोटीन की कमी बड़ी आसानी से पूरी की जा सकती है।
पशुओं में संतुलित आहार की गणना के लिए थम्ब रुल को अपनाना अधिक सुविधा जनक माना जाता है। इसके अनुसार हम मोटे तौर पर व्यस्क दुधारू पशु के आहार को निम्न वर्गों में बांट सकते हैं-
यह आहार की वह मात्रा है जो पशु को अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए दिया जाता है। इसे पशु अपने शरीर के तापमान को उचित सीमा में बनाए रखने, शरीर की आवश्यक क्रियायें जैसे पाचन क्रिया, रक्त परिवाहन, श्वसन, उत्सर्जन, चयापचय आदि के लिए काम में लाता है। इससे उसके शरीर का वजन भी एक सीमा में स्थिर बना रहता है। चाहे पशु किसी भी अवस्था में हो उसे यह आहार की उचित मात्रा देना ही पड़ता है इसके अभाव में पशु कमजोर होने लगता है जिसका असर उसकी उत्पादकता तथा प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। गाय के लिए इसकी मात्रा 1.5 किलो प्रतिदिन व भैंस के लिए 2 किलो प्रतिदिन होती है।
उत्पादन आहार पशु की वह मात्रा है जिसे कि पशु को जीवन निर्वाह के लिए दिए जाने वाले आहार के अतिरिक्त उसके दूध उत्पादन के लिए दिया जाता है। जीवन निर्वाह के अतिरिक्त गाय को प्रत्येक 2.5 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना तथा भैंस को प्रत्येक 2 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना दें। यदि हर चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तो हर 10 किलो अच्छे किस्म के हरे चारे को देकर 1 किलो दाना कम किया जा सकता है। इससे पशु आहार की कीमत कुछ कम हो जाएगी और उत्पादन भी ठीक बना रहेगा। पशु को दुग्ध उत्पादन तथा आजीवन निर्वाह के लिए साफ पानी दिन में कम से कम तीन बार जरूर पिलायें।
पशु की गर्भवस्था में उसे 5वें महीने से अतिरिक्त आहार दिया जाता है क्योंकि इस अवधि के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे की वृद्धि बहुत तेजी के साथ होने लगती है। अत: गर्भ में पल रहे बच्चे की उचित वृद्धि व विकास के लिए तथा गाय/भैंस के अगले ब्यांत में सही दुग्ध उत्पादन के लिए इस आहार का देना बेहद जरूरी है। 5 महीने से ऊपर की गाभिन गाय या भैंस को 1 से 1.5 किलो दाना प्रतिदिन जीवन निर्वाह के अतिरिक्त दिया जाना चाहिए।
गाय या भैंस का संतुलित दाना मिश्रण बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए दाना मिश्रण बनाने में जो चीजें काम में ली जा रही है वे पौष्टिक हो और सुपाष्च हो और जिससे पशु की स्वस्थ रहे। इसके अलावा दाना मिश्रण बनाते समय इस बात का ध्यान भी रखा जाना चाहिए कि दाना मिश्रण में काम आने वाली चीजें आसानी से उपलब्ध हो और सस्ती भी हो ताकि कम लागत में पोष्टिक दाना मिश्रण तैयार किया जा सके।
दाना मिश्रण तैयार करने के लिए आहार तीन तरीके से तैयार किया जा सकता है। ये इस प्रकार से हैं-
इसमें मक्का/जौ/जई- तीस किलोग्राम, गेहूं की चौकर चालीस किलोग्राम, दालों की चूरी-06 किलोग्राम, मूंगफली की खल-15 किलोग्राम, तिल की खल-06 किलोग्राम, नमक- 01 किलोग्राम मिलाकर कुल 100 किलोग्राम आहार तैयार होगा।
जौ- 30 किलोग्राम, सरसों की खल-25 किलोग्राम, बिनौले की खल-22 किलोग्राम, गेहूं की चोकर- 20 किलोग्राम, खनिज मिश्रण-02 किलोग्राम, साधारण नमक- 01 किलोग्राम मिलाकर 100 किलोग्राम आहार तैयार होगा।
मक्का या जौ- 40 किलोग्राम, मूंगफली की खल- 20 किलोग्राम, दालों की चूरी- 17 किलोग्राम, चावल की पालिश- 20 किलोग्राम, खनिज मिश्रण-02 किलोग्राम, साधारण नमक- 01 किलोग्राम मिलाकर 100 किलोग्राम आहार तैयार होगा। उपरोक्त तीनों तरह से 100 किलोग्राम आहार तैयार हो जाएगा जिसे आप जरूरत के हिसाब से गाय, भैंस के आहार के उपयोग में ले सकते हैं।
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