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गर्मियों में गाय-भैंस का दूध बढ़ाएं, अब काम आएगी होम्योपैथिक दवा

प्रकाशित - 17 May 2024

जानिए गर्मियों में क्यों कम हो जाती है दूध की मात्रा और होम्योपैथिक दवा का क्या है असर

हर साल गर्मी के मौसम में दूध की बड़ी भारी किल्लत शुरू हो जाती है। कई कारणों की वजह से दुधारू पशु गाय-भैंस दूध कम देना शुरू कर देते हैं। इससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होता है व लोगों को शुद्ध दूध नहीं मिल पाता है। पशुपालक गाय-भैंस का दूध बढ़ाने के लिए कई तरह के नुस्खों को आजमाते हैं। कई बार इन नुस्खों से पशुपालकों को फायदे की जगह नुकसान भी उठाना पड़ जाता है। वहीं, पशुओं का दूध बढ़ाने के लिए बाजार में कई तरह की दवा उपलब्ध है जिनकी कीमत कई बार ज्यादा होती है और पशुपालक उसे आसानी से खरीद नहीं पाता है। आज हम आपको गाय-भैंस का दूध बढ़ाने वाली एक ऐसी होम्योपैथिक दवा के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिसके सेवन पर दुधारू पशु कुछ ही दिनों में अच्छी मात्रा में दूध देना शुरू कर देता है। इसकी कीमत भी बहुत कम है। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में दूध बढ़ाने के लिए उपयोगी इस होम्योपैथिक दवा के बारे में विस्तार से जानते हैं।

गर्मियों में दूधारू पशुओं द्वारा कम दूध देने के प्रमुख कारण

गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं का दूध कम होने के पीछे कोई एक कारण नहीं होता है, इसके पीछे कई कारण होते हैं। आइए, पहले इन प्रमुख कारणों के बारे में जानें :

  • गर्मी में तापमान बढ़ने के कारण दुधारू पशुओं के शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है। उनके शारीरिक हार्मोन्स में बदलाव आ जाता है और पशुओं की दूध देने की क्षमता कम हो जाती है।
  • जब तापमान 40 डिग्री से ऊपर पहुंच जाता है तब जानवरों का मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है और पशु कम दूध देना शुरू कर देते हैं।
  • तापमान बढ़ने के साथ-साथ पशुओं का मल त्याग कम हो जाता है। इसके प्रभाव से पशुओं द्वारा खाए जाने वाले चारे की मात्रा कम अवशोषित होती है दूध की मात्रा घट जाती है।
  • गर्मी के मौसम में गर्म हवा की तपिश व तेज धूप के कारण पशुओं में तनाव बढ़ जाता है और पशु सुस्ती का शिकार हो जाते हैं।
  • कई बार पशु मुंह से अधिक झाग निकालते हैं। इसके कारण शरीर में मौजूद क्षार बाहर आ जाता है और शरीर में केवल एसिड रह जाता है। इसके बाद जानवर खाना बंद कर देते हैं और दूध की मात्रा कम हो जाती है।
  • थनैला व गलघोंटू रोग के कारण भी पशु दूध देना कम कर देते हैं।
  • अगर पशुओं के शरीर में कॉपर, कैल्शियम व जिंक की कमी होती है तो भी दूध कम मिलता है।
  • संतुलित हरा चारा नहीं मिलने पर भी पशु कम दूध देना शुरू कर देते हैं।

गर्मियों में गाय-भैंस का दूध बढ़ाने में उपयोगी है मिल्कोजेन-100 टैबलेट

इस गर्मी के मौसम में अगर आपका दुधारू पशु कम दूध दे रहा है तो आपको घबराने की जरुरत नहीं है। दुधारू पशु गाय-भैंस का दूध बढ़ाने में एक होम्योपैथिक दवा बहुत उपयोगी है। इस दवा की मदद से पशुओं में दूध की कमी की समस्या दूर हो सकती है वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। होम्योपैथी की इस दवा का नाम मिल्कोजेन-100 टैबलेट है। इसकी एक शीशी की कीमत करीब 125 रुपए है।

मिल्कोजेन-100 टैबलेट के फायदे

होम्यौपथिक दवा मिल्कोजेन-100 टैबलेट अपने गुणों के कारण पशुपालकों के बीच लोकप्रिय हो रही है। यह दवा गाय, भैंस व मादा पशुओं में प्राकृतिक रूप से दूध बढ़ाने में मदद करती है। पशुपालक अगर पशु चिकित्सकों की सलाह के आधार पर मिल्कोजन दवा अपने दुधारू पशु को खिलाता है तो पशु के दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होती है। इसकी दवा की सबसे खास बात यह है कि इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है। इसके अलावा अगर गर्भवती पशुओं को भी मिल्कोजेन 100 टैबलेट खिलाई जाती है तो  इसका प्रभावी रूप से फायदा मिलता है। इसके उपयोग के लिए टीकाकरण की आवश्यकता नहीं होती है।

पशुओं को ऐसे खिलाएं यह दवा

होम्यौपथिक दवा मिल्कोजेन-100 का उपयोग देश के पशुपालक किसान पिछले 40 साल से ज्यादा समय से कर रहे हैं। इस दवा को पीने के पानी में गुड़ के साथ मिलाएं और पशु को खाने के लिए दें। रोटी या डबल रोटी के साथ इस दवा को रखकर पशुओं को खिलाई जा सकती है। यह दवा इंजेक्शन के माध्यम से भी पशु को दी जा सकती है। दवा को थोड़े से पानी में मिलाएं और 5 मिमी की सीरींज में भरकर इसे पशुओं की नाक या महुं पर स्प्रे करें और सुनिश्चित करें कि पशु अपनी जीभ से इसे चाट लें। दवा के पाउडर को पीने के पानी के साथ भी पशु को दिया जा सकता है या उसकी जीभ पर रखकर चटाया जा सकता है। यहां आपको सलाह दी जाती है कि होम्योपैथिक दवाएं अधिक मात्रा में नहीं देनी चाहिए। दवा को थोड़-थोड़े अंतराल में देने पर प्रभावी परिणाम मिलते हैं।

होम्यौपथिक दवा मिल्कोजेन-100 के बारे में

होम्यौपथिक दवा मिल्कोजेन-100 का निर्माण प्रसिद्ध होम्योपैथिक पशु चिकित्सा कंपनी गोयल वेट फार्मा प्राइवेट लिमिटेड ने किया है। कंपनी आईएसओ प्रमाणित है और इसके उत्पाद WHO-GMP प्रमाणित कारखाने में निर्मित होते हैं। इन दवाओं को जांच और परीक्षण के बाद ही बाजार में भेजा जाता है।

अंत में किसानों को सलाह दी जाती है कि इस दवा का उपयोग पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।

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