प्रकाशित - 09 May 2023
दूधारू पशुओं गर्मियों में कम दूध देने लग जाते हैं। कई पशुपालक इस बात की शिकायत करते हैं कि उनका पशु कम दूध दे रहा है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इसमें आहार संबंधी कारण प्रमुख है। गाय, भैंस जैसे दुधारू पशुओं के आहार पर विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। इनके लिए सर्दियों व गर्मियों में अलग-अलग आहार की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि दूध के उत्पादन में कमी न आ पाए। इसके अलावा पशुओं का रहने का आवास, पशु की स्वच्छता का ध्यान आदि कई ऐसी बाते हैं जो दुधारू पशु (dailry animal) के दूध की मात्रा पर प्रभाव डालती हैं। गर्मियों में पशुओं को हरा चारा खिलाना बेहद जरूरी होता है। हरे चारे में कई ऐसे चारे हैं जिनसे पशु के दूध देने की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। इन्हीं में से एक बहुत ही अच्छा चारा अजोला माना गया है जिसे खिलाने से पशुओं में दूध की मात्रा को 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको पशुओं का दूध बढ़ाने के लिए हरे चारे के रूप में अजोला घास (Azolla Grass) के प्रयोग के बारें में जानकारी दे रहे हैं। तो आइये जानते हैं क्या है अजोला और इससे कैसे उगाया जा सकता है।
अजोला एक जलीय फर्न है जो जल की सतह पर मुक्त रूप से तैरती है। यह छोटे-छोटे हरे गुच्छे की तरह तैरती और फैलती है। अजोला कम लागत में पशुओं के लिए एक पौष्टिक आहार है। शुष्क भार के आधार पर इसमें 25 से 35 प्रतिशत प्रोटीन, 10-12 प्रतिशत खनिज पदार्थ एवं 7-10 प्रतिशत अमीनो अम्ल पाया जाता है। यह शीघ्र बढ़ने वाली घास होती है जो बुवाई के करीब 8 से 10 दिनों में ही तैयार हो जाती है। भारत में अजोला की दो किस्में अजोला पिन्नाटा एवं एनाबियाना काफी अच्छी मानी गई है। यह अधिक गर्मी सहन करने वाली किस्म है, इसलिए इसका उत्पादन गर्मियों में आसानी से किया जा सकता है।
अजोला को घर में हौदी बनाकर, तालाब, झीलों, गड्ढों ओर धान के खतों में भी अजोला उगाया जा सकता है। किसान इसे टबों और ड्रमों में भी उगा सकते हैं। यदि आप कृत्रिम रूप से अजोला का उत्पादन करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए 15 से 20 सेमी के गहरे पानी के गड्ढे की जरूरत होगी। इस गड्ढे का आकार 4 मीटर लंबा और 1.5 मीटर चौड़ा तथा 20 सेमी. गहरा होना चाहिए। अब इस गड्ढे की सहत पर प्लास्टिक शीट बिछा दें जिससे आसपास लगे पेड़ों की जड़े गड्ढे में न जाएं। प्लास्टिक के लगे का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि गड्ढे में रिसाव द्वारा बाहर का पानी नहीं निकलता है तथा गड्ढे का तापमान भी नियंत्रित रहता है। गड्ढे में प्लास्टिक शीट बिछाते समय इस बात का ध्यान रखें कि प्लास्टिक शीट बिछाते समय इसमें परत न पड़े। प्लास्टिक शीट बिछाने के बाद करीब 10 से 15 किलोग्राम छनी हुई मिट्टी समान रूप से पॉलीथीन के ऊपर डाल दें। इसके बाद 5 किलोग्राम गोबर, 20 ग्राम अजोफर्ट या एसएसपी का 10 लीटर पानी में घोल बना लें तथा इस घोल को गड्ढे में डाल दें। इसके बाद और अधिक पानी को गड्ढे में डालें ताकि पानी का स्तर 8 सेमी तक हो जाए। अब 1 से 2 किलोग्राम ताजा रोगमुक्त अजोला के बीज गड्ढे में डाल दें। 7 से 10 दिन बाद अजोला पूर्ण वृद्धि कर लेगा और गड्ढा अजोला से भर जाएगा। इस प्रकार करीब 4 वर्ग मीटर के गड्ढे से 2 किलोग्राम अजोला प्रतिदिन आपको प्राप्त हो जाएगा। अजोला को प्लास्टिक की चलनी की सहायता से निकला चाहिए ताकि गड्ढे का पानी उसमें ही हर जाए। अब निकाले गए अजोला का धो लेना चाहिए ताकि पशु को गोबर की गंध नहीं आए।
अजोला का निरंतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए हर 7 दिन के अंतराल में 2 किलोग्राम गोबर, 25 ग्राम अजोफॉस, 20 ग्राम अजोफर्ट को 2 लीटर पानी में घोलकर गड्ढे में डालते रहना चाहिए जिससे अजोला का बेहतर उत्पादन आपको मिल सकें।
अजोला एक पौष्ट्रिक आहार होता है इसे गाय, भैंस के लिए हरे चारे के रूप में तो इस्तेमाल किया ही जा सकता है बल्कि इसे बकरी, भेंड, शूकर, मछली और मुर्गियों को खिलाया जा सकता है। इसे ये पशु काफी चाव से खाते हैं।
दुधारू पशुओं को प्रतिदिन दो किलो तक पौष्टिक आहारक की जरूरत होती है। केवल सूखा चारा खिलाकर पशुओं को पूर्ण पोषण नहीं प्राप्त होता है। इसके साथ हरा चारा भी खिलाया जाना अति आवश्यक है। लेकिन हरे चारे की साल भर उपलब्धता नहीं होती है ऐसे में अजोला बहुत ही अच्छा विकल्प है जिसका उत्पादन साल भर बहुत ही कम लागत पर लिया जा सकता है। इससे न केवल पशुओं को साल भर हरा चारा मिल सकेगा। बल्कि अजोला से बची बेकार मिट्टी और पानी आपके खेत या बाग के खाद का काम भी करेंगे। इससे आपको दो तरह से लाभ होगा।
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