Published - 22 Dec 2020
टेक्नोलॉजी के इस युग में अब कठिन से कठिन काम सहजता से किए जाने लगे हैं। टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से जहां समय और श्रम की बचत होती है, वहीं आर्थिक रूप से भी फायदा होता है। विश्व के विकसित देशों में खेती के अधिकांश कार्यों को तकनीक की सहायता से किया जाता है और किसान ज्यादा उत्पादन पैदा करके ज्यादा मुनाफा कमाते हैं। हालांकि भारत के किसान भी खेती में तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन अब भारतीय किसानों को भी स्मार्ट किसान बनना होगा। किसानों को अगर कम लागत में ज्यादा उत्पादन से ज्यादा मुनाफा कमाना है तो उन्हें स्मार्ट तकनीक अपनानी होगी। कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के अपनाने से काम आसान हो सकता है। चूंकि किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इसलिए एक स्मार्ट किसान ही एक स्मार्ट भारत का नेतृत्व कर सकता है। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में जानते हैं कि कैसे आप एक स्मार्ट किसान बन सकते हैं।
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कृषि क्षेत्र में हमेशा नए-नए प्रयोग होते आए हैं। इन प्रयोगों की बदोलत कुछ अच्छी तकनीक भी किसानों को मिली है। कृषि में जितने भी नवाचार किए जाएं कम हैं। कोई नई तकनीकी का प्रयोग करता है तो कोई नई फसल को सफलतापूर्वक उपजाता है। ऐसे नित्य नए प्रयोग करने वाले नवाचारी किसान किसी वैज्ञानिक से कम नहीं होते। नवाचार वही किसान कर सकताहै, जो जागरूक हो और जिन्हें भीड़ से अलग हटकर कुछ नया करने का जजबा होता है। खेती में कृषि उपकरण जैसे ट्रैक्टर के अलावा मिट्टी की जांच, टाप ड्रेसिंग और फसल कटाई के लिए उपकरणों से कृषि की लागत में 25 प्रतिशत की कमी और उत्पादकता में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना है।
देश के अधिकांश राज्यों में प्रतिवर्ष जलस्तर कई-कई फुट तक नीचे जा रहा है। ऐसे में प्रत्येक किसान का कर्तव्य है कि वह कम से कम जल में ज्यादा से ज्यादा खेती करें। अगर खेती को बचाना है तो जल को बचाना भी अनिवार्य है। इसलिए वर्षा जल का अधिक से अधिक संंग्रहण करना चाहिए। खेत में तलाई व बड़े जल की हौज बनाकर यह काम किया जा सकता है। इसके लिए सरकार से अनुदान भी मिलता है। जल संरक्षण की इन पद्धतियों से आप खेत में सिंचाई भी कर सकते हैं। सिंचाई की अन्य विधियों की अपेक्षा बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति में जल का खर्च बहुत ही कम होता है। टपक सिंचाई पद्धति से आप मनचाही खेती कर सकते हैं। फलोत्पादन, सब्जी उत्पादन आदि तो टपक सिंचाई के बिना संभव ही नहीं है।
खेत में फसल उपजाने के दौरान होने वाले विभिन्न खर्चों में कटौती करके ही खेती को लाभदायक बना सकता है। किसान फसलों को सिंचाई देने के लिए बिजली का इस्तेमाल करता है और इसका मोटा बिल भी भरता है। इसके अलावा बिजली की कटौती के कारण समय पर फसलों की सिंचाई भी नहीं हो पाती है। ऐसे में किसान को चाहिए कि वे अपने खेत में सोलर पंप लगवाएं। अगर किसान के पास सोलर पंप सिस्टम है तो उसकी अधिकांश समस्याएं ही खत्म हो जाती हैं। किसान जब चाहे अपने खेत पर टपक पद्धति से सिंचाई कर सकता है। इसके अलावा ट्यूबवेल से भी सिंचाई की जा सकती है। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सोलर पंप लगाने के लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है।
पशुपालन के बिना समृद्ध किसान की कल्पना करना बेमानी होगा। टिकाऊ व स्मार्ट खेती के लिए पशुपालन का होना अति आवश्यक है। पशुपालन आपकी खेती की लागत को घटाता है। इससे अच्छी खाद मिल जाती है। इसे वर्मी कम्पोस्ट व अन्य विधि से कम्पोस्ट बनाकर जब आवश्यक हो खेत में काम ले सकते हैं। इसके अलावा किसान भाई दूध उत्पादन से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। जिससे किसान के छोटे-छोटे दैनिक खर्चे चल सकते हैं। पशुपालन में गिर नस्ल की गाय, मुर्रानस्ल की भैंस व बकरी पालन बेहद फायदेमंद रहता है।
एक स्मार्ट या आदर्श किसान को अपने खेत के किस हिस्से में कौन सी फसल कब लगानी है, इसकी पूर्व योजना तय कर लेनी चाहिए और उसके अनुरूप संसाधनों को एकत्रित कर लेना चाहिए। इससे समय रहते किसी भी आपदा, कीट-रोग आदि से बचाव कर अच्छी गुणवत्ता की उपज प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही मृदा की गुणवत्ता को भी बनाए रखने के लिए किसान को हरी खाद आदि के अलावा खेत की जुताई भी निर्धारित समय पर करनी चाहिए।
रबी व खरीफ की फसल के साथ-साथ फल एवं सब्जियों का उत्पादन भी किसान को स्मार्ट बनाता है। आधुनिक तकनीक के दम पर देश के सभी भागों में फलोत्पादन संभव है। बेर, अनार, पपीता, आंवला, बेल फल, आम व नीबू आदि का बगीचा स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा अपने छोटे से फार्म में मल्चिंग व लो टनल आदि आधुनिक तकनीकियों के सहारे वर्ष के तीनों मौसमों में सब्जी उत्पादन करके किसान आर्थिक रूप से मजबूत बन सकते हैं। सब्जी उत्पादन एक ऐसा कार्य है जो सालभर आपको आमदनी देता है। दूध उत्पादन और सब्जी उत्पादन से जो किसान जुड़े रहते हैं वे आर्थिक रूप से समृद्ध होते हैं।
स्मार्ट किसान बनने के लिए आपको बाजार की भी पूरी जानकारी होनी चाहिए। इस साल आपकी उपज का दाम क्या रहेगा, सरकार की नीतियां कैसी हैं, कहां बेचे की ज्यादा दाम मिलें आदि की जानकारी होनी चाहिए। स्मार्ट किसान हमेशा बाजार की मांग को ध्यान में रखकर फसल उपजाता है। इसलिए यदि अपनी खेती में स्मार्टनेस लाना चाहते हैं तो आपको बाजार की गतिविधियों और मांग का पूरा ज्ञान होना चाहिए कि किस मौसम में कौन सी फसल और कौन सी सब्जी की मांग रहती है।
किसानों की आमदनी बढ़ाने में कृषि वानिकी और आधुनिक चारा प्रणाली का महत्वपूर्ण योगदान है। ‘प्रत्येक मेड़ पर पेड़’ की तर्ज पर खेत की मेड़बंदी व बाड़ के सहारे आमदनी देने वाले कृषि वानिकी के पेड़ लगाए जा सकते हैं। जिसमें थारशोभा खेजड़ी, सहजन, कुमंट आदि का नाम लिया जा सकता है। चारा उत्पादन के लिए नैपियर, गिनी घास के अलावा अजोला यूनिट स्थापित की जा सकती है। खेजड़ी से मिलने वाली सांगरी व सहजन से प्राप्त होने वाली फलियों से अच्छा मुनाफा मिल सकता है। इसके साथ ही सहजन और खेजड़ी की पत्तियां पशुओं के लिए चारे के रूप में काम ले सकते हैं।
केवल फसलों को उपजाना ही स्मार्ट खेती नहीं है। इसके साथ-साथ अपनी फसलों से तैयार होने वाले प्रसंस्करित उत्पादों की भी जानकारी एवं प्रशिक्षण लेना चाहिए, जिससे आय को दोगुना करने में आसानी रहे।
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