गेहूं और तिलहन का रकबा 10 प्रतिशत बढ़ा, किसानों को अच्छे लाभ की उम्मीद

Share Product प्रकाशित - 26 Nov 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

गेहूं और तिलहन का रकबा 10 प्रतिशत बढ़ा, किसानों को अच्छे लाभ की उम्मीद

जानें, इस बार कितने क्षेत्रफल में हुई गेहूं व सरसों की बुवाई

देश में इस बार किसानों ने गेहूं व तिलहन की अधिक बुवाई की है। बताया जा रहा है कि इस बार पिछले साल के मुकाबले गेहूं और तिलहन की 10 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रफल में हुई है। अंतराष्ट्रीय बाजार के रूख को देखते हुए किसानों को इस बार भी गेहूं और सरसों से अच्छा मुनाफा मिलने की उम्मीद है। बता दें कि हाल ही में कृषि मंत्रालय ने रबी फसलों की बुवाई के आंकड़े जारी किए हैं। इसके अनुसार रबी सत्र में 25 नवंबर तक गेहूं की बुवाई का रकबा 10.50 प्रतिशत बढ़कर 152.88 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 138.35 लाख हेक्टेयर था। तिलहन का रकबा 25 नवंबर तक 13.58 प्रतिशत बढ़कर 75.77 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस बार बढ़े गेहूं ओर तिलहन के रकबे को देखते हुए अच्छे उत्पादन की उम्मीद की जा रही है। वहीं किसानों को गेहूं व तिलहन का बेहतर भाव मिलने की आशा है। बता दें कि बीते दिनों यूक्रेन और रूस युद्ध के दौरान गेहूं की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया था और अब भी इसकी कीमतें बाजार में बेहतर बनी हुई हैं। 

देश में कब होती है गेहूं व सरसों की बुवाई

रबी की फसलों में मुख्य रूप से गेहूं, चना और सरसों आती हैं जिनसे किसानों को बेहतर लाभ की उम्मीद होती है। इसमें से गेहूं की बुवाई अक्टूबर में शुरू हाती है और कटाई मार्च-अप्रैल में शुरू हो जाती है। गेहूं के अलावा चना और सरसों रबी सीजन में उगाई जाने वाली अन्य प्रमुख फसलें हैं।  

किस राज्य में कितना बढ़ा गेहूं और तिलहन का रकबा

मीडिया रिपोर्ट्स में प्रकाशित नए आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश (6.40 लाख हेक्टेयर), राजस्थान (5.67 लाख हेक्टेयर), पंजाब (1.55 लाख हेक्टेयर), बिहार (1.05 लाख हेक्टेयर), गुजरात (0.78 लाख हेक्टेयर), जम्मू और कश्मीर (0.74 लाख हेक्टेयर), और उत्तर प्रदेश (0.70 लाख हेक्टेयर) में गेहूं बुवाई के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। इस रबी सत्र में 25 नवंबर तक तिलहन का रकबा 13.58 प्रतिशत बढ़कर 75.77 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह रकबा 66.71 लाख हेक्टेयर था। इसमें से इस अवधि के दौरान पहले के 61.96 लाख हेक्टेयर के मुकाबले सरसों की बुवाई 70.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

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दालों की बुवाई के रकबे में आई कमी

इस बार दालों के मामले में बुवाई का रकबा कुछ कम हुआ है। हालांकि ये गिरावट भी सीमित रही है। इस अवधि के दौरान पहले के 94.37 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस बार 94.26 लाख हेक्टेयर पर दलहन बुवाई की गई है। वहीं मोटे अनाज की बुवाई में भी सीमित गिरावट दर्ज हुई की गई है। इस अवधि में मोटे अनाज की बुवाई 26.54 लाख हेक्टेयर में की गई, जो पहले 26.70 लाख हेक्टेयर में की गई थी। जबकि इस सीजन में चावल की बुवाई में बढ़त देखने को मिली है और बुवाई का क्षेत्र 9.14 लाख हेक्टेयर में पहुंच गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में 8.33 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस रबी सत्र में 25 नवंबर को सभी रबी फसलों के तहत कुल खेती का रकबा 7.21 प्रतिशत बढ़कर 358.59 लाख हेक्टेयर हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 334.46 लाख हेक्टेयर था।

क्या है रबी फसल सत्र 2022-23 में गेहूं, चना और सरसों का समर्थन मूल्य

हर बार की तरह इस बार भी रबी फसलों की बुवाई के पहले केंद्र सरकार ने रबी की प्रमुख फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिए है। सरकार की ओर से रबी फसल सत्र 2022-23 के लिए निर्धारित किया एमएसपी इस प्रकार है-

  • गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य - 2,125 रुपये प्रति क्विंटल
  • सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य- 5050 रुपए प्रति क्विंटल
  • चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य- 5230 रुपए प्रति क्विंटल
  • जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य- 1635 रुपए प्रति क्विंटल
  • दाल (मसूर) का न्यूनतम समर्थन मूल्य- 5500 रुपए प्रति क्विंटल
  • कुसुम का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5441 रुपए प्रति क्विंटल 


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