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क्या है पलवार या मल्च और खेती में इसका महत्व

प्रकाशित - 30 Aug 2022

खेत, क्यारी, गार्डेन, यार्ड या गमले की खुली मिट्टी को ढकने की प्रक्रिया को mulching कहते हैं , और जिस material से इसे किया जाता है उसे mulch कहते हैं।

किसान भाइयों पलवार या मल्च एक पतली प्लास्टिक की फिल्म होती है। इसका प्रयोग खेती में खरपतवारों (Weeds) से फसलों (Crops) को होने वाली हानी से बचाने के लिए किया जाता है। अगर आप अपनी फसलों को खरपतवार मुक्त रख कर फसलों से अधिक उपज प्राप्त करना चाहते हैं तो आप इसके लिए अपने खेत में मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल जरूर करें।

आप सभी जानते हैं कि खरपतवार से फसलों को बचाने के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहना जरूरी होता है जिस पर खर्च भी बहुत अधिक होता है। खरपतवार (weed) वे अवांछित पौधे हैं जो किसी स्थान पर बिना बोए उगते हैं और जिनकी उपस्थित से किसान को लाभ की तुलना में हानि अधिक होती है। मल्चिंग तकनीक से खेती करना बहुत ही लाभदायक होता है साथ ही खरपतवार नियंत्रण और पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में यह फिल्म बेहद कारगर है।

इस विधि में बेड को प्लास्टिक की फिल्म से पूरी तरह कवर कर दिया जाता है, जिससे खेत में खरपतवार नहीं उग पाते हैं। इस विधि में खेत में लगे पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक कवर द्वारा सही तरीके से ढक दिया जाता है। बेड पर बिछाई जाने वाली कवर को पलवार या मल्च (mulch) कहते हैं।

मल्चिंग के प्रकार (types of mulching)

  1. जैविक मल्चिंग (Organic mulching) - जैविक मल्चिंग का अर्थ है इसमे पौधों को ढकने के लिए फसलों की पराली, पेड़ों की पत्तियां, घास की कतरन, पीट मोस, वूड चिप्स, बार्क चिप्स, स्ट्रा मल्च, पाइन स्ट्रा इत्यादि का उपयोग किया जाता है। इसे प्राकृतिक मल्चिंग भी कहा जाता है। यह बहुत ही सस्ती होती है। इस विधि द्वारा आप बहुत कम खर्च में अपनी फसलों को खरपतवार मुक्त रख सकते हैं।
  2. प्लॉस्टिक मल्चिंग (Plastic mulching) प्लॉस्टिक मल्चिंग का अर्थ है यह  पॉलिथीन से बनाई जाती है और इसको आप आसपास के बाजार से खरीद सकते है। यह आपको अलग - अलग रंग जैसे - रंगीन, दूधिया या सिल्वर मल्चिंग, पारदर्शी मल्चिंग आदि में मिलती है।

 
प्लास्टिक मल्चिंग विधि से खेती करने के लाभ  (Benefits of farming by plastic mulching method)

  • मल्चिंग से मिट्टी में नमी बनी रहती है।
  • मिट्टी से पानी का वाष्पोत्सर्जन नहीं होने पाता है।
  • पौधों की अच्छी वृद्धि व विकास के लिए अनुकूल वातावरण।
  • मिट्टी के कटाव से सुरक्षा।
  • खरपतवार का विकास नहीं हो पाता।
  •  पौधे लम्बे समय तक सुरक्षित रहते हैं।
  • मल्चिंग भूमि को कठोर होने से बचाती है।
  • पौधों की जड़ों का विकास अच्छी तरह होता है।
  • लंबे समय तक बारिश न होने की दशा मे mulch आपके गार्डेन या landscape को होने वाली से बचाता है।
  • यह मिट्टी के ऊपर सुरक्षा कवच की तरह काम करता है जो ज्यादा गर्मी मे मिट्टी को ठंडा रखता है और यह पौधों की जड़ों के लिए बहुत आरामदायक स्थिति प्रदान करता है।

मल्चिंग शीट का प्रयोग कर सब्जी वर्गीय फसलें उगाना काफी लाभदायक हो सकता है। कृषि वैज्ञानिकों का यह मानना है की इस विधि से खेती करने पर 65 फीसदी तक जल की बचत होती है। साथ ही खरपतवार नियंत्रण में रहता है। इस विधि में किसानों को किसी तरह का खरपतवार नाशक दवाई डालने की जरूरत नहीं पड़ती है और होने वाले अनावश्यक खर्च से लाभ मिलता है साथ ही खेत में सफाई रहती है, जिससे हानिकारक कीड़े के प्रकोप से फसलों को होने वाले नुकसान से सुरक्षा मिलती है।

मल्चिंग का  प्रयोग/बिछाने की विधि (Method of laying mulching)

किसान भाइयों, अगर आपको मल्चिंग विधि से खेत में सब्जी लगानी है, तो सबसे पहले खेत की अच्छी तरह ट्रैक्टर से  जुताई कर लें। इसके बाद गोबर की खाद को  मिट्टी में अच्छे से मिला दें। अब खेत में उठी हुई मेड़ यानी बेड बना लें।

इसके बाद ड्रिप सिंचाई की पाइप लाइन को बिछा दें। प्लास्टिक मल्च को अच्छी तरह बिछाकर दोनों किनारों को मिट्टी की परत से अच्छी तरह दबा दें। मल्चिंग फिल्म में पाइप से पौधों को कितनी दूरी पर लगाना है उसी के अनुसार  छिद्र कर दें।

आपको बता दें मल्चिंग के लिए सरकार अनुदान भी देती है। अनुदान लेने के लिए आप जिले के उद्यान अधिकारी या कृषि विज्ञान केंद्र से जरूर संपर्क करें।

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