Published - 04 Mar 2020 by Tractor Junction
ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है। आज हम बात करते हैं कोरोना वायरस का भारतीय किसान व उनकी होने वाली उपज पर क्या-क्या प्रभाव है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत में कृषि सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से की जाती रही है। 1960 के बाद देश में कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति के साथ नया दौर आया।
दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है चीन
चीन में 14 फरवरी तक 48 शहर और 4 प्रांत लॉकडाउन मोड में थे। चीन दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक और दूसरा बड़ा आयातक देश है। चीन का दुनिया के कुल निर्यात में 13 फीसद और कुल आयात में 11 फीसद हिस्सा है। लॉकडाउन के चलते चीन में 500 मिलियन लोगों पर असर पड़ा है, जिससे वस्तुओं की खपत बुरी तरह प्रभावित हुई है। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण चीन की तेल खपत के 30 फीसद तक गिरने का अनुमान है।
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कोरोना वायरस के प्रभाव को लेकर अपनी रिपोर्ट में सीआईआई ने कहा, 'वे भारतीय कंपनियां जो चीन से उत्पाद मंगाती हैं या भारत से चीन सामान निर्यात करती हैं, उनके सामने अपने दायित्व पूरा नहीं कर पाने का खतरा है।'
भारत आयात के मामले में चीन पर काफी हद तक निर्भर है। भारत के कुल इलेक्ट्रॉनिक आयात का 45 फीसद हिस्सा चीन से आता है। मशीनरी का एक तिहाई और ऑर्गेनिक केमिकल्स का करीब 2/5 हिस्सा चीन से आयात होता है। इसके अलावा ऑटोमोबाइल पार्ट्स और ऊर्वरक जैसे दूसरे उत्पादों का 25 फीसद से ज्यादा आयात चीन से ही होता है। साथ ही यहां बता दें कि भारत की 65-70 फीसद एक्टिव दवा सामग्री और करीब 90 फीसद मोबाइल फोन पार्ट्स का स्रोत चीन ही है।
वहीं, निर्यात की बात करें, तो इस मामले में पांच फीसद हिस्से के साथ चीन भारत का तीसरा बड़ा साझेदार है। कोरोना वायरस के चलते ऑर्गेनिक केमिकल्स, प्लास्टिक्स, फिश प्रोडक्ट्स, कॉटन और अयस्क जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर असर पड़ा है।
कोरोना वायरस का प्रभाव / कोरोना वायरस लक्षण
कोरोना वायरस ने एक वैश्विक महामारी का रूप ले लिया है। कोरोना वायरस का केंद्र बुहांन शहर से यह वायरस पुरे चीन में फैला और वर्तमान में अब लगभग 60 देशों में इसका संक्रमण फ़ैल चूका है और लगभग 80 हजार लोग इससे संक्रमित हो चुके है।
कोरोना वायरस के कुछ मामले भारत में भी पाए गए, पर अभी भारत में यह नियंत्रित स्थिती में है । कोरोना वायरस से पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बहुत नकारात्मक असर पड़ा है क्योंकि चीन विनिर्माण के क्षेत्र में आयात के क्षेत्र अग्रणी देश है।इस वायरस से भारत की भी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है।भारत, चीन का प्रमुख व्यापारिक साझेदार देश है। भारत का आयात का सर्वाधिक हिस्सा चीन से ही होता है।
आयात - निर्यात, और विनिर्माण के साथ साथ कोरोना वायरस का प्रभाव भारतीय कृषि व कृषको पर धीरे धीरे पड़ रहा है। इस वायरस से भारत में आयात होने वाले कृषि उत्पादों पर भारी नकारात्मक असर हुआ है। क्योंकि इससे इस वायरस से फैलने का खतरा है कोरोना वायरस भारत द्वारा निर्यात में भी कमी आने की आशंका है लेकिन कितनी होगी यह कहना अभी मुश्किल है लेकिन कच्चे माल के निर्यात में 1.6% की गिरावट दर्ज की गयी है। भारत द्वारा निर्यातित वस्तुओं में कपास , जुट, ऑर्गेनिक कैमिकल, औषधि व बागवानी उत्पाद सोयाबीन , तंबाक, फल, मक्का आदि शामिल हैं।
इन वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा आयात शुल्क लगाये जाने के कारण भारतीय वस्तुओं का निर्यात बढ़ने क़ि सम्भावना है। सरकार द्वारा कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रियायतें व प्रोत्साहन कार्यक्रम घोषित किये गए है जो निश्चित ही कृषि निर्यातको तक पहुंचेंगे। कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार को खाद्य-प्रसंस्करण उद्योग पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है जिससे भारत का वैश्विक कृषि निर्यात में 2.2% का लक्ष्य प्राप्त हो सकता है।
आयात की दृष्टिकोण से देखें तो चीन से विभिन्न कृषि उत्पादों का आयात किया जाता है जैसे सुतीवस्त्र, कच्चामांस, चमड़ा , खाद्यान तेल, समुंद्री उत्पाद आदि आयात किये जाते है। परंतु कोरोना वायरस से इन उत्पादों पर भारी मात्रा में निर्यात कम हुआ है विशेषत: चमड़ा व कच्चे माँस के आयात में।
अतः इस सब घटनाओ के परिपेक्ष्य में कोरोनो वायरस से भारतीय कृषि क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा है । यह नकारात्मक व कुछ सकारात्मक प्रभाव है क्योंकि इससे निर्यात मात्रा बढ़ने से व्यापार घाटे में कमी आएगी व भारतीय कच्चे माल का निर्यात बढ़ेगा वहीँ दूसरी और आयात कम होने से स्टॉक मात्रा कम पड़ने से आवश्यक वस्तुओं की कीमते बढ़ सकती है।
कोरोना वायरस (CoronaVirus) का असर भारतीय कपड़ा उद्योग पर, चीन को रूई निर्यात ठप
कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते भारत से चीन को रूई और धागे का निर्यात ठप पड़ गया है और कपड़ा उद्योग में इस्तेमाल होने वाला रासायनिक पदार्थ व एसेसरीज आइटम का आयात नहीं हो रहा है। जिससे घरेलू कपड़ा उद्योग पर असर पड़ा है। कारोबारी बताते हैं कि चीन से केमिकल्स और एसेसरीज आइटम का आयात नहीं होने से घरेलू कपड़ा उद्योग की लागत बढ़ गई है, जिससे आने वाले दिनों कपड़ा महंगा हो सकता है।
कारोबारियों के अनुसार, घरेलू कपड़ा उद्योग की लागत खर्च बढ़ने से तैयार कपड़े व परिधानों के दाम में इजाफा होगा जिससे भारतीय उत्पादों के निर्यात पर आने वाले दिनों में असर पड़ सकता है। भारत हालांकि चीन को तैयार कपड़ा निर्यात नहीं करता है, लेकिन चीन भारतीय रूई व धागों का बड़ा खरीदार है, लेकिन चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप गहराने से इन उत्पादों का निर्यात ठप पड़ गया है।
हालांकि चीन में फैले कोरोना वायरस का अल्पावधि में नकारात्मक प्रभाव रहेगा, लेकिन लंबी अवधि में इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि चीन को रूई और धागों का निर्यात नहीं हो पा रहा है।
वुहान से इतनी दूर होने के बावजूद पश्चिम भगबानपुर कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित है। इस इलाक़े में रहने वाली पुतुलबेरा और रीता मेती जैसे सैकड़ों लोग कोरोना वायरस के कारण संकट में हैं। ये लोग इंसानी बालों से विग बनाने का काम करते हैं। ये महीने में क़रीब 50 टन का उत्पादन करते थे, जिसे चीन निर्यात किया जाता था लेकिन पिछले दो सप्ताह से यह सिलसिला थम गया है। इस कारोबार से घर चलाने वाली रीता मेती बताती हैं, "हमें नहीं पता था कि किसी वायरस का अटैक हो जाएगा. हमने हज़ारों रुपए के बाल ख़रीद लिए थे।"
इस प्रकार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय किसान कोरोना वायरस से प्रभावित है। आगे अपेक्षा है कि सरकार इस प्रकार कदम उठाये की इससे हमारी कृषि आयात- निर्यात से ज्यादा प्रभावित नहीं हो और हमारे किसानों की उपज में कमी ना आये।
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