Published - 15 Feb 2021 by Tractor Junction
सरकार का कृषि की ओर फोकस होने से खेती में आए दिन नए सुधार हो रहे हैं। नई तकनीक, बुवाई के लिए फसल का चयन के साथ गुणवत्तापूर्ण बेहतर उत्पादन प्राप्त करने की दिशा में काफी प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में हाल ही में सराकर ने हिमाचल प्रदेश में ऐसी फसलों की बुवाई को प्रोत्साहन देने का फैसला किया गया है जिसकी खेती कभी यहां के किसान किया करते थे। अब उन्होंने इसे उगाना छोड़ दिया है। ऐसी खेती को वैकल्पिक खेती के रूप में उगाना शुरू करने के लिए यहां की सरकार कोशिश कर रही ताकि किसानों की आय बढ़ सके और भूमि की उर्वरकता भी बनी रहे। मीडिया से मिली जानकारी के हवाले से हिमाचल प्रदेश में वैकल्पिक फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने जिले चिह्नित किए हैं। इन जिलों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में खेतीबाड़ी करने वाले किसानों को सरकार ऐसी फसलें उगाने के लिए बीज उपलब्ध कराने के साथ प्रशिक्षण भी देगी। प्रदेश के अधिकांश किसान पिछले कई वर्षों जो फसलें उगाना छोड़ चुके हैं, उन्हें दोबारा इन्हें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
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किसान गेहूं, जौ, तिल, दालें, धान, गन्ना के साथ आलू और अन्य सब्जियों का उत्पादन करते हैं। एक ही फसल बार-बार लेने से कई समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं। खेतों में मिट्टी की उर्वरक शक्ति भी कम हो रही है और कई प्रकार के वायरस भी फसलों को प्रभावित करते हैं। फसलों को बाजार में अच्छे दाम भी नहीं मिल पाते हैं। इन बातों को ध्यान में रखकर सरकार किसानों को उन वैकल्पिक फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जो लंबे समय से नहीं उगाई जा रही हैं।
सिरमौर, चंबा और शिमला जिले के किसानों को चौलाई, कोदा, फांफरा, ओगला आदि फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इनकी बाजार में मांग भी बढ़ रही है और फसलों के दाम अच्छे मिलेंगे।
पहले चरण में सिरमौर, चंबा और शिमला जिले के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों के किसानों को ऐसे फसलों के बीज और प्रशिक्षण दिया जाएगा। कृषि निदेशक डॉ. नरेश कुमार बधान ने कहा कि सरकार किसानों को परंपरागत फसलों के अलावा उन फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जो किसानों ने उगानी छोड़ दी हैं। सरकार किसानों को प्रशिक्षण भी देगी।
बिहार में सरकार किसानों को मौसम अनुकूल खेती करने पर जोर दे रही है। अभी कुछ दिन पूर्व एक कार्यक्रम में पूर्व मंत्री विधायक दामोदार रावत ने कहा कि बिहार में मौसम के अनुकूल खेती से अब बिहार के किसान समृद्ध होंगे और बिहार के सभी किसानों को इस तरह की खेती करने का न केवल गुर कृषि वैज्ञानिक सिखाएंगें बल्कि पांच साल तक कृषि वैज्ञानिक खुद खेती भी कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करेंगे। वहीं झाझा विधायक ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक न केवल मौसम अनुकूल खेती के लिए किसानों को जागरूक करेंगे बल्कि उन्हें खेती करने के गुर भी सिखाएंगें। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जलवायु परिवर्तन को देखते हुए मौसम अनुकूल खेती को अपनाने पर जोर दिया है।
सरकार का मानना है कि मौसम में बदलाव का असर खेती पर तेजी से पडऩे लगा है। असमय और अनियमित वर्षा से कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ की स्थिति बन जाती है। 38 जिलों के 190 गांवों में मौसम अनुकूल खेती प्रारंभ की गई है और हर जिले में मौसम अनुकूल खेती के लिए पांच गांव का चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मौसम अनुकूल खेती में कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों को भी खेती से जोड़ जाने की योजना बनाई है।
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