प्रकाशित - 20 Apr 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों को परंपरागत फसलों के स्थान पर मुनाफे वाली फसलों की खेती ओर ध्यान देना चाहिए ताकि उनकी इनकम में इजाफा हो सके। बहुत सी ऐसी फसलें हैं जो किसानों को बेतहर मुनाफा दे सकती है और उनकी इनकम में भी बढ़ा सकती हैं। उन्हीं फसलों में ड्राई फ्रूट की खेती किसानों के लिए लाभ का सौदा है। इसी कड़ी में अखरोट की खेती (walnut farming) किसानों को मालामाल बना सकती है। बाजार में अखरोट काफी अच्छी मांग है। ऐसे में अखरोट की खेती करके किसान लाखों की कमाई कर सकते हैं। बता दें अखरोट के एक पेड़ से जो फल प्राप्त होते हैं उन्हें बेचकर किसान करीब 28000 रुपए प्राप्त कर सकते हैं। जब इसके एक पेड़ से ही इतनी कमाई है तो सोचिए इसके 50 या 100 पेड़ों से कितनी अच्छी कमाई आप कर सकते हैं। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको अखरोट की खेती के लाभ, अखरोट की खेती करने का तरीका आदि बातों की जानकारी दे रहे हैं।
बाजार में अखरोट की कीमत 400 से 700 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास रहती है। इसके एक पौधे से करीब 40 किलोग्राम तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यदि किसान इसके 20 पौधे भी लगाते हैं तो आपको 5 से 6 लाख रुपए तक का लाभ आसानी मिल सकता है।
वैसे तो बहुत से ड्राई फ्रूट्स हैं जिनमें बादाम, पिस्ता, काजू, छुआरा, अंजीर आदि शामिल है जिनकी खेती की जाती है। लेकिन अखरोट की बात की कुछ अलग है। इसकी खेती इन सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली होती है, इसके पीछे कारण ये हैं कि इसे लंबे समय तक भंडारित करके रखा जा सकता है। इसकी अंतरराष्ट्रीय मांग भी काफी होने से इसकी खेती किसी भी तरह घाटे का सौदा नहीं है। इसकी खेती अधिकतर पहाड़ी इलाकों में की जाती है। जम्मू-कश्मीर अखरोट उत्पादन में सबसे आगे है। यहां बड़े पैमाने पर अखरोट की खेती की जाती है। खास बात ये हैं कि इसकी खेती ठंड और गर्म दोनों जलवायु में की जा सकती है।
अखरोट की खेती जितनी फायदेमंद है उससे ज्यादा इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। अखरोट में आयरन, जिंक, कैल्शियम और पोटैशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसके सेवन से शरीर को बहुत से लाभ होते हैं। इसका सेवन वजन को कम करने में मददगार है। इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती है। ये तनाव को कम करने में भी सहायक है। इसका सेवन दिमाग के लिए लाभकारी है। हालांकि इसका प्रयोग संतुलित मात्रा में किया जाना ही बेहतर होता है।
अखरोट की खेती ठंड और गर्म दोनों प्रकार की जलवायु में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए 20 से लेकर 25 डिग्री तक का तापमान अच्छा माना जाता है। इसका पौधा अधिकतम 35 डिग्री व न्यूनतम 5 डिग्री तक तापमान सहन कर सकता है। वहीं अखरोट की खेती के लिए उचित जल निकास वाली दोमट भूमि जिसमें जैविक पदार्थों की भरपुर मात्रा हो अच्छी रहती है। वहीं इसकी खेती के लिए रेतीली ओर सख्त सतह वाली मिट्टी अच्छी नहीं रहती है। इसी तरत क्षारीय मिट्टी भी इसकी खेती के लिए सही नहीं होती है। ऐसे में ऐसी भूमि में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5 से 7 के बीच होना चाहिए।
अखरोट की रोपाई करने से पहले इसके पौधों को नर्सरी में तैयार किया जाता है। इसके पौधे ग्राफ्टिंग विधि से तैयार किए जाते हैं। जब नर्सरी में पौधे रोपाई के लायक हो जाए तो उन्हें खेत में लगाया जाता है। भारत में दिसंबर या जनवरी के महीने में अखरोट के पौधों को खेत में लगाया जा सकता है। इसकी खेती सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करना किया जाता है। गोबर की सड़ी खाद इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। उर्वरक की मात्रा एक पेड़ के हिसाब से 25 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फास्फोरस और 25 ग्राम पोटाश की मात्रा रखी जाती है। ये मात्रा इसे हर साल रहना चाहिए। अखरोट के पौधे उत्पादन करने के लिए लगभग 7 से 8 महीनों तक का समय लेते हैं। किसानों के अनुसार अखरोट के पौधे 4 साल बाद पौधे देने के लायक हो जाते हैं। विकसित होने के बाद ये करीब 25 से 30 साल तक फल देते हैं। ऐसे में आप इसकी खेती करके 25 साल तक इससे मुनाफा कमा सकते है।
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