सब्जी की खेती : माह के हिसाब से करें सब्जियों की खेती होगा अधिक मुनाफा
भारत के ग्रामीण इलाकों की करीब 70 प्रतिशत आबादी खेतीबाड़ी के काम में लगी हुई है। खेतीबाड़ी का काम हम जितना आसान समझते है, दरअसल में यह इतना आसान नहीं है। इसमें भी जोखिम का सामना करना पड़ता है। खेती के काम में सबसे अधिक जोखिम फसल को लेकर है। यदि सही समय पर फसल की बुवाई कर दी जाए तो उत्पादन अच्छा मिल सकता है। इसके विपरित समय का चुनाव किए बिना कोई सी भी फसल बो दी जाए तो उत्पादन बहुत कम प्राप्त होता है। परिणामस्वरूप किसानों की आय मेें कमी हो जाती है।
किसानों को हर फसल का बेहतर उत्पादन मिले इसके लिए हम आपको बताएंगे कि आप किस माह कौनसी सब्जी बोएं ताकि अधिक उत्पादन के साथ ही अच्छा लाभ प्राप्त कर सकेें। माहवार सब्जी की खेती (Monthly vegetable cultivation) किसानों के लिए हमेशा फायदे का सौदा रही है। ट्रैक्टर जंक्शन का प्रयास है कि आपको खेती की जानकारी हिंदी में, सरल भाषा में आपको उपलब्ध हो सके, इसलिए हम समय-समय पर इस तरह की पोस्ट निकालते रहते हैं।
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जनवरी माह में बोई जाने वाली फसलें
साल के पहले माह जनवरी में किसान भाईयों को राजमा, शिमला मिर्च, मूली, पालक, बैंगन, चप्पन कद्दू की उन्न किस्मों की बुवाई करनी चाहिए।
फरवरी माह में बोई जाने वाली फसलें
फरवरी के महीने में राजमा, शिमला मिर्च, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, खरबूजा, तरबूज, पालक, फूलगोभी, बैंगन, भिण्डी, अरबी, ग्वार बोना अधिक फायदेमंद रहता है।
मार्च माह में बोई जाने वाली फसलें
मार्च माह में किसानों को ग्वार, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, खरबूजा, तरबूज, पालक, भिंडी, अरबी की खेती करने से लाभ हो सकता है।
अप्रैल माह में बोई जाने वाली फसलें
अप्रैल माह में चौलाई, मूली को लगाना अच्छा रहता है।
मई माह में बोई जाने वाली फसलें
मई माह में फूलगोभी, बैंगन, प्याज, मूली, मिर्च की खेती से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
जून माह में बोई जाने वाली फसलें
जून माह में किसानों को फूलगोभी, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, बीन, भिण्डी, टमाटर, प्याज, चौलाई, शरीफा आदि की बुवाई करनी चाहिए।
जुलाई माह में बोई जाने वाली फसलें
जुलाई के महीने में खीरा-ककड़ी-लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, भिंडी, टमाटर, चौलाई, मूली की फसल लगाना अधिक फायदेमंद रहता है।
अगस्त माह में बोई जाने वाली फसलें
अगस्त के महीने में गाजर, शलगम, फूलगोभी, बीन, टमाटर, काली सरसों के बीज, पालक, धनिया, ब्रसल्स स्प्राउट, चौलाई की बुवाई करना अच्छा रहता है।
सितंबर माह में बोई जाने वाली फसलें
सितंबर के महीने में गाजर, शलगम, फूलगोभी, आलू, टमाटर, काली सरसों के बीज, मूली, पालक, पत्ता गोभी, धनिया, सौंफ के बीज, सलाद, ब्रोकोली की खेती से बेहतर उत्पादन मिल सकता है।
अक्टूबर माह में बोई जाने वाली फसलें
अक्टूबर के महीने में गाजर, शलगम, फूलगोभी, आलू, टमाटर, काली सरसों के बीज, मूली, पालक, पत्ता गोभी, धनिया, सौंफ के बीज, राजमा, मटर, ब्रोकोली, सलाद, बैंगन, हरी प्याज, लहसुन की खेती करना लाभकारी हो
सकता है।
नवंबर माह में बोई जाने वाली फसलें
नवंबर के महीने में चुकंदर, शलगम, फूलगोभी, टमाटर, काली सरसों के बीज, मूली, पालक, पत्ता गोभी, शिमला मिर्च, लहसुन, प्याज, मटर, धनिया फसल बोने से अच्छा लाभ हो सकता है।
दिसंबर माह में बोई जाने वाली फसलें
दिसंबर के महीने में टमाटर, काली सरसों के बीज, मूली, पालक, पत्ता गोभी, सलाद, बैंगन, प्याज की खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
किस महीने में कौनसी सब्जी की खेती करें, देखें पूरी लिस्ट
जनवरी से दिसंबर तक बोई जाने वाली सब्जियों की उन्नत किस्में
किसानों की जानकारी के लिए हम यहां जनवरी से लेकर दिसंबर तक के दौरान जिन फसलों की खेती की जाती है उनमें से प्रमुख फसलों की उन्नत किस्मों की जानकारी आपको दे रहे हैं ताकि आप इनका उपयोग कर अपने उत्पादन को बढ़ा सकें। एक बात ध्यान रखें किस्मों का चयन क्षेत्रानुसार ही करें। ये अधिक उत्पादन देने वाली उन्नत किस्में इस प्रकार से हैं।
- राजमा : राजमा की अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में मालवीय-15, मालवीय-137, पी.डी.आर -14 (उदय), वीएल-63, अंबर, और उत्कर्ष आदि हैं।
- शिमला मिर्च : शिमला मिर्च की उन्नत किस्मों में अर्का गौरव, अर्का मोहिनी, कैलिफोर्निया वंडर, योलो वंडर, ऐश्वर्या, अलंकार, हरी रानी, पूसा दिप्ती, ग्रीन गोल्ड आदि हैं।
- मूली : मूली की उन्नत किस्मों में पूसा चेतकी, पूसा हिमानी, जापानी सफेद, पूसा रेशमी आदि हैं।
- पालक : पालक की अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में आल ग्रीन, पूसा हरित, पूसा ज्योति, बनर्जी जाइंट, जोबनेर ग्रीन हैं।
- बैंगन : बैंगन की उन्नत किस्मों में पूसा हाईब्रिड 6, भीमा, पंत ऋतुराज, पूसा संकर 9, पूसा श्यामल, पूसा क्रांति, पंत सम्राट, काशी संदेश, अर्का कुसुमकर, अर्का नीलकंठ, आदि किस्में शामिल हैं।
- चप्पन कद्दू : चप्पन कद्दू की उन्नत किस्मों में आस्ट्रेलियन ग्रीन, पूसा अलंकार, अर्ली यलो प्रोलीफिक, पंजाब चप्पन कद्दू, मेक्सिको चप्पन कद्दू आदि प्रमुख है।
- खीरा : खीरा की उन्नत किस्मों में स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम और खीरा 75 आदि प्रमुख है। इसकी नवीनतम किस्में पीसीयूएच- 1, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल आदि है। इसकी संकर किस्में, पंत संकर खीरा 1, प्रिया, हाइब्रिड- 1 और हाइब्रिड- 2 आदि प्रमुख है।
- ककड़ी : ककड़ी की उन्नत किस्में जैनपुरी ककड़ी, अर्का शीतल, पंजाब स्पेशल, दुर्गापुरी ककड़ी, लखनऊ अर्ली आदि हैं।
- लोबिया : लोबिया की कम समय में तैयार होने वाली और अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों में पूसा कोमल, पूसा बरसाती, अर्का गरिमा, पूसा फालगुनी व पूसा दोफसली हैं।
- करेला : करेला की उन्नत किस्मों में कल्याणपुर बारहमासी, पूसा विशेष, हिसार सलेक्शन, कोयम्बटूर लौंग, अर्का हरित, प्रिया को-1., एस डी यू- 1., कल्याणपुर सोना आदि हैं।
- लौकी : लौकी की उन्नत किस्में में पूसा संदेश, काशी बहार, पूसा नवीन, पूसा हाइब्रिड 3 हैं। इन किस्मों के अलावा कई अन्य किस्मों की खेती भी सफलतापूर्वक की जाती है। जिनमें पूसा संतुष्टि, नरेन्द्र रश्मि, उत्तरा, पंजाब गोल, अर्का बहार, कोयम्बटूर 1, पूसा समर प्रोलिफिक राउंड, आदि कई किस्में शामिल हैं।
- तुरई : तुरई की उन्नत किस्मों में पूसा चिकनी, पूसा स्नेहा, पूसा सुप्रिया, काशी दिव्या, कल्याणपुर चिकनी, फुले प्रजतका आदि को उन्नत किस्मों में शामिल किया गया है।
- पेठा : पेठा की उन्नतशील प्रजातियों में पूसा हाइब्रिड 1, कासी हरित कद्दू, पूसा विश्वास, पूसा विकास, सीएस 14, सीओ 1 व 2, हरका चंदन, नरेंद्र अमृत, अरका सूर्यमुखी, कल्यानपुर पंपकिंग 1, अंबली, पैटी पान, येलो स्टेटनेप, गोल्डेन कस्टर्ड आदि प्रमुख हैं।
- खरबूजा : खरबूजा की उन्नत किस्मों में पूसा रसराज, पंजाब संकर, एम एच 10 और हिसार मधुर प्रमुख रूप से अधिक उत्पादन देने वाली किस्में हैं।
- तरबूज : तरबूज की उन्नत किस्मों में पूसा बेदाना, डब्ल्यू 19 काशी पितांबर, अलका आकाश, दुर्गापुर मीठा शामिल हैं।
- फूलगोभी : फूलगोभी की अगेती किस्मों में अर्ली कुंआरी, पूसा कतिकी, पूसा दीपाली, समर किंग, पावस, इम्प्रूब्ड जापानी उन्नत किस्में हैं। इसकी मध्यम किस्में पंत सुभ्रा,पूसा सुभ्रा, पूसा सिन्थेटिक, पूसा स्नोबाल, के.-1, पूसा अगहनी, सैगनी, हिसार नं.-1 हैं। वहीं पिछेती किस्मों में पूसा स्नोबाल-1, पूसा स्नोबाल-2, स्नोबाल-16 अच्छी मानी जाती हैं।
- भिंडी : भिंडी की उन्नत किस्मों में परभन क्रांति, पूसा सावनी, पंजाब पद्मनी, पूजा ए-4, अर्का भय, अर्का अनामिका, पंजाब-7, पंजाब-13 भिंडी की उन्नत किस्में मानी जाती हैं।
- अरबी : अरबी की किस्मों में पंचमुखी, सफेद गौरिया, सहस्रमुखी, सी-9, सलेक्शन प्रमुख हैं।
- ग्वार : सब्जी वाले ग्वार की प्रमुख उन्नत किस्मों में पुसा नव बहार, पुसा मौषमी, दुर्गा बहार आदि हैं। वहीं चारे वाले ग्वार की प्रमुख उन्नत किस्में एचएफजी-119, एचएफजी -258, एचएफजी -156 आदि हैं।
- सरसों : सिंचित दशा के लिए सरसों की उन्नतशील प्रजातियां क्रांति, माया, वरुणा, इसे हम टी-59 भी कहते हैं, पूसा बोल्ड उर्वशी, तथा नरेंद्र राई है। वहीं असिंचित दशा में सरसों की वरुणा, वैभव तथा वरदान, इत्यादि प्रजातियों की बुवाई करना उचित रहता है।
- लहसुन : लहसुन की उन्नत किस्में एग्रीफाउण्ड पार्वती (जी- 313), टी- 56-4, गोदावरी (सेलेक्सन- 2), एग्रीफाउंड व्हाइट (जी- 41), यमुना सफेद (जी- 1), भीमा पर्पल, भीमा ओंकार आदि अच्छी किस्में हैं।
- प्याज : प्याज की उन्नत किस्मों में पूसा रेड, पूसा रतनार, हिसार- 2, पूसा व्हाईट फ्लैट, अर्ली ग्रेनो आदि अधिक पैदावार देने वाली किस्में हैं।
- आलू : आलू की अगेती किस्मों में कुफरी अलंकार, कुफरी पुखराज, कुफऱी चंदरमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी जवाहर आदि हैं। वहीं आलू की मध्यम समय वाली किस्मों में कुफरी बहार, कुफरी लालिमा, कुफरी सतलुज, कुफरी सदाबहार आदि हैं। इसके अलावा कुफरी सिंधुरी कुफरी फ्ऱाईसोना और कुफरी बादशाह इसकी देर से पकने वाली किस्में हैं।
- मटर : मटर की उन्नत किस्मों में आर्केल, काशी शक्ति, पंत मटर 155, अर्ली बैजर, आजाद मटर 1, काशी नंदिनी, पूसा प्रगति, जवाहर मटर 1 अच्छी रहती हैं।
- धनिया : धनिया की उन्नत किस्मों में जी सी 2 (गुजरात धनिया 2), हिसार सुगंध, आर सी आर 41, पंत हरितमा किस्मेें अच्छी मानी जाती है।
- गाजर : गाजर की उन्नत किस्मों में पूसा वृष्टि, पूसा रूधिरा, पूसा आसिता, पूसा मेघाली, पूसा यमदग्नि, पूसा वसुधा, पूसा नयनज्योति आदि हैं।
- टमाटर : टमाटर की देशी किस्मों में पूसा शीतल, पूसा-120, पूसा रूबी, पूसा गौरव, अर्का विकास, अर्का सौरभ और सोनाली प्रमुख हैं। जबकि इसकी हाइब्रिड किस्में में पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाईब्रिड-4, रश्मि और अविनाश-2 आदि अच्छा उत्पादन देने वाली मानी जाती हैं।
सब्जी की खेती से लाभ
आमजन अब स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक सब्जियों को खाने में ज्यादा पसंद कर रहे हैं। सब्जियों की मांग बारह महीनों बनी रहती है। अगर सब्जी की खेती से कमाई की बात की जाए तो किसान भाई अगेती खेती करके ज्यादा लाभ कमा सकते हैं, क्योंकि जब कोई सब्जी मार्केट में समय से पहले आती है तो उसके भाव उसे ज्यादा मिलते हैं। अब किसान ग्रीन हाउस में बेमौसम सब्जी की खेती से ज्यादा कमाई करने लगे हैं।
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