Published - 18 Dec 2020 by Tractor Junction
भारत में गाय को कामधेनु भी कहा जाता है, जिसका मतलब है सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाली। प्राचीन काल से गाय भारत में पूजनीय रही है। गाय की महिमा का वर्णन करते हुए कई शास्त्र व पुस्तकें लिखी गई हैं। वैज्ञानिक भी गाय के दूध को सबसे ज्यादा पोष्टिक और अमृत तुल्य सिद्ध कर चुके हैं। केंद्र की मोदी सरकार भी किसानों की आय को गौवंश के पालन व संरक्षण के माध्यम से बढ़ाना चाहती है। छत्तीसगढ़ में किसानों से दो रुपए प्रति किलो की दर से सरकार गोबर खरीद रही है। इस गोबर से जैविक खाद बनाकर वापस किसानों को बेची जा रही है। इस दिशा में केंद्र सरकार ने एक कदम और बढ़ाया है। अब सरकार जल्द की गाय के गोबर से बने वैदिक पेंट को लांच करने जा रही है। सरकार की मानें तो गाय के गोबर से बने वैदिक पेंट की बिक्री से गौपालक किसान 55 हजार रुपए सालान की ज्यादा आमदनी कर सकेगा। आईए जानते हैं सरकार की वैदिक पेंट योजना के बारे में।
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प्राचीन काल से भारत में घरों की लिपाई और पुताई के कार्य में गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है। आज भी ग्रामीण इलाकों में कच्चे घरों को गोबर से ही लीपा जाता हैञ इसके अलावा भी गोबर का कई तरह उपयोग किया जाता है। अब जल्द ही बाजार में गाय के गोबर से बना वैदिक पेंट आएगा जिसमें किसी प्रकार रसायन नहीं होगा। यह पूर्णत: इक्रोफ्रेंडली होगा तथा किसी तरह का नुकसान नहीं करेगा।
केंद्र सरकार ने गाय के गोबर से बने वैदिक पेंट को देश के बाजार में लांच करने की योजना बना ली है। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जल्द ही गोबर से बने वैदिक पेंट की शुरुआत की जाएगी। गडकरी ने ट्वीट किया, ‘ग्रामीण इकोनॉमी को बल मिले और किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो इसलिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग के माध्यम से हम जल्द ही गाय के गोबर से बना ‘वैदिक पेन्ट’ लॅान्च करने वाले हैं। उन्होंने ट्वीट करके बताया कि गाय के गोबर से बना पेन्ट जल्द बाजार में होगा। इस पेन्ट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से जैविक है और इसमें किसी प्रकार का रसायन नहीं है। इसलिए यह किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं है।
केंद्रीय मंत्री नीतिन गडक़री के अनुसार देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से इस पेंट का निर्माण किया गया है। गाय पालन करने वाले किसानों के लिए इससे अतिरिक्त आय मिलेगी। गडक़री के अनुसार यह पर्यावरण के लिए किसी तरह से हानिकारक नहीं है बल्कि इससे गाय पालन करने वाले किसानों को 55 हजार रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
जयपुर स्थित कुमारप्पा राष्ट्रीय हाथ कागज संस्थान ने गाय के गोबर से पेंट तैयार किया है और उसे नाम दिया है ‘आर्गेनिक वैदिक पेंट’। यह पेंट पर्यावरण के अनुकूल है और बाजार में सबसे सस्ता है। इससे मानव जीवन में किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंचती है। यह गोशालाओं और नए उद्यमियों के लिए एक स्टार्टअप के रूप में बहुत बड़ी उपलब्धि साबित होगा।
अनुसंधान में सामने आया है कि हानिकारक रहित रसायनों के उपयोग से गाय के गोबर से पेन्ट बनाया जा सकता हैं। यह पेन्ट घर और भवनों की रंगाई—पुताई के अलावा सभी तरह की लकड़ी व लोहे पर किया जा सकता है। यह पेंट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप साबित हुआ है। इस पेंट की थिकनेस, स्मूथनेस और ब्रश पर चलने जैसे तमाम मापदंडों के लिए राष्ट्रीय स्तर की सरकारी व प्रतिष्ठित निजी लैब में इसका परीक्षण हो चुका है। जहां सभी मानकों पर खरा उतरा है और बाजार में बिक्री के लिए तैयार है।
गोबर का पेंट बनाना क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। प्राकृतिक पिगमेंट और मिलाकर इसे रंग बनाने की प्रक्रिया से इसे तैयार किया जाता है। आर्गेनिक वाइंडर का उपयोग कर इसकी बंधन प्रक्रिया को मजबूत किया जाता है। इसमें आवश्यकतानुसार अलग-अलग रंग मिलाया जाता है। 100 किलोगोबर से 35 से 40 किलो पेंट तैयार किय जा सकता है।
देश में पिछले कुछ सालों में खादी के उत्पादों की बिक्री में जोरदार इजाफा हुआ है। सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय ने इसी हफ्ते बताया कि स्थानीय वस्तुओं को खरीदने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान ‘वोकल फॉर लोकल’ पर इस बार दीवाली के मौसम में खादी और अन्य ग्रामोद्योग उत्पादों सहित स्थानीय वस्तुओं की बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन उत्पादों की बिक्री में पिछले साल दिवाली के मुकाबले इस साल दिवाली के मौसम में करीब 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के बिक्री केंद्रों से हासिल जानकारी के मुताबिक कुल बिक्री पिछले साल दिवाली में पांच करोड़ रुपये थी, जो इस बार बढक़र करीब 21 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
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