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गेहूं की इस किस्म से मिलेगी 78 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार

प्रकाशित - 14 Oct 2024

जानें, कौनसी है गेहूं की यह किस्म और क्या है इसकी विशेषताएं व खेती का तरीका

ख्ररीफ सीजन की फसल लगभग तैयार होने को है और किसान रबी सीजन की फसलों की बुवाई का काम शुरू करेंगे। ऐसे में देश में गेहूं की खेती (Wheat Cultivation) करने वाले किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से वैज्ञानिकों की ओर से नई-नई अधिक उत्पादन देने वाली किस्में विकसित की जा रही है ताकि किसानों को अधिक लाभ मिल सके। इसी कड़ी में भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल की ओर से गेहूं की ऐसी ही एक किस्म विकसित की गई है जो अन्य किस्मों से अधिक पैदावार देती है। इस किस्म का नाम करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 है। बताया जा रहा है कि गेहूं की इस किस्म से अधिकतम 78 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

गेहूं की करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 की किस्म की क्या है विशेषताएं

अखिल भारतीय अनुसंधान परियोजना के तहत गेहूं की अधिक उपज देने की क्षमता रखने वाली गेहूं की इस अगेती किस्म की औसत उपज क्षमता 78.3 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पाई गई है, जो एचडी 2967 से 31.3 प्रतिशत और एचडी 3086 से 12 प्रतिशत ज्यादा है। इस किस्म की अधिकतम पैदावार क्षमता 83 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज की गई है। इस किस्म की विशेषताएं इस प्रकार से हैं-

  • करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 की किस्म के पौधों की ऊंचाई औसतन 97 सेमी होती है।
  • इसके एक हजार दानों का वजन करीब 46 ग्राम होता है।  
  • इस किस्म की पूरे जोन में पैदावार की अच्छी स्थिरता पाई गई है। इसमें अधिक उर्वरकों और वृद्धि नियंत्रकों के इस्तेमाल से अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं।
  • इस किस्म में औसतन 101 दिन में बाली निकलने लग जाती है और यह किस्म करीब 156 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

  • गेहूं की यह किस्म पीला और भूरा रतुआ की सभी प्रमुख रोग जनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधी पाई गई है।
  • करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 की किस्म में करनाल बंट रोग के प्रति अन्य किस्मों की तुलना में अधिक रोगरोधिता पाई गई है।
  • यह किस्म में उच्च प्रोटीन (12.2 प्रतिशत) और उच्च आयरन (39.2 PPM) मिलता है।
  • यह गेहूं से बनने वाले कई प्रकार के उत्पादों को लिए बहुत उपयुक्त पाई गई है।
  • करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 से किसान औसतन 31.32 प्रति एकड़ और अधिकतम 33.20 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।

देश के किन राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है गेहूं की यह किस्म

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल की ओर विकसित गेहूं की किस्म करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 को भारत के उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्रों की सिंचित दशा और अगेती बुवाई के लिए अनुशंसित किया गया है। इस किस्म का विमोचन और अधिसूचना के लिए केंद्रीय उप समिति द्वारा इस किस्म को वर्ष 2021 में जारी किया गया है। इस किस्म को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन को छोड़कर) और उत्तर पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर (जम्मू और कठुआ जिले), हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के लिए अधिसूचित किया गया है।

कैसे करें गेहूं की करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 किस्म की खेती

बेहतर पैदावार के लिए करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 की बुवाई 20 अक्टूबर से 5 नवंबर तक की जा सकती है। इस किस्म की बुवाई के लिए 100 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त है। बुवाई करते समय कतार से कतार की दूरी 20 सेमी रखनी जानी चाहिए। गेहूं के कंडुवा रोग से बचाने के लिए वीटावैक्स (कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत थीरम 37.5 प्रतिशत) प्रति 2 से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित करें। इस किस्म में सामान्यत: 5 से 6 सिंचाई की जरूरत होती है। इसमें पहली सिंचाई बुवाई के 20 से 25 दिन बाद करनी चाहिए। इसके बाद 20 से 25 दिन के अंतराल में आवश्यकतानुसार सिंचाई की जानी चाहिए।

करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 किस्म में कितनी खाद का करें इस्तेमाल

करण आदित्य डीबीडब्ल्यू 332 किस्म में उर्वरकों का उपयोग मिट्‌टी परीक्षण के आधार पर करना अधिक फायदेमंद रहता है। सामान्यत: इस किस्म में उच्च उर्वरकता वाली भूमि के लिए नाइट्रोजन 150, फास्फोरस 60 और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर उपयोग किया जाना चाहिए। इसमें फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा का भाग बिजाई के समय तथा नाइट्रोजन की एक चौथाई मात्रा का भाग पहली सिंचाई के बाद तथा शेष मात्रा दूसरी सिंचाई के बाद देनी चाहिए। किस्म की पूर्णक्षमता को प्राप्त करने के लिए 150 प्रतिशत एनपीके और वृद्धि नियंत्रकों के साथ 15 टन प्रति हैक्टेयर देसी खाद का प्रयोग किया जाना चाहिए। 

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