Published - 13 Feb 2020
ट्रैक्टर जंक्शन पर देशभर के किसान भाइयों का स्वागत है। सभी किसान भाई जानते हैं कि खेती-बाड़ी में उत्पादन लागत कम करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा नए प्रयोगों व अनुसंधानों को प्राथमिकता दी जा रही है। इस दिशा में देश की सबसे बड़ी फर्टिलाइजर कंपनी इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने नवंबर, 2019 में नैनो नाइट्रोजन, नैनो जिंक और नैनो कॉपर नाम के उत्पाद लांच किए थे। इफको ने इनका वैश्विक स्तर पर पेटेंट भी करा लिया है।
नैनो उर्वरक का उत्पादन मार्च से शुरू
देश में रसायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिए इफको ने नौनो प्रोद्योगिकी पर आधारित नैनो नाइट्रोजन, नैनो जिंक और नैनो कॉपर फर्टिलाइजर पेश किए हैं। मार्च 2020 से इफको नई नैनो प्रौद्योगिकी पर आधारित नाइट्रोजनन उर्वरक का उत्पादन शुरू कर देगा। जिसके बाजार में उपलब्ध होने पर एक बोरिया यूरिया की जगह एक बोतल नैनो उत्पाद से काम चल जाएगा।
यूरिया की जगह नैनो यूरिया के उपयोग से किसानों को धन की बचत होगी। एक बोतल नैनो यूरिया की कीमत करीब 240 रुपए किसानों से वसूली जाएगी। इसका मूल्य परंपरागत यूरिया के एक बैग की तुलना में दस प्रतिशत कम होगा। इफको कंपनी के प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी के अनुसार गुजरात के अहमदाबाद स्थित कलोल कारखाने में नाइट्रोजन आधारित उर्वरक का उत्पादन किया जाएगा। यह पूरी तरह मेक इन इंडिया के तहत होगा जिससे 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी। कंपनी की योजना सालाना ढाई करोड़ बोतल उत्पादन की है। 500 मिलीलीटर की बोतल नैनो यूरिया 45 किलो यूरिया के बराबर होगा।
इस नए नैनो उत्पाद के प्रयोग से देश में रसायनिक यूरिया की खपत 50 प्रतिशत तक कम होगी और फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा। देश में वर्तमान में तीन करोड़ टन यूरिया की खपत है और किसान इसका अधिक इस्तेमाल करते हैं। नए उर्वरक के प्रयोग से किसान के खर्चे में भी कमी आएगी। अभी प्रति एकड़ 100 किलोग्राम यूरिया की जरुरत होती है। इस नए प्रयोग से प्रति एकड़ एक बोलत नैनो उर्वरक की जरुरत होगी। पर्यावरण के अनुकूल इन उत्पादों से फसल का उत्पादन 15 से 30 प्रतिशत तक बढऩे का अनुमान है। इसके प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता भी सुधरेगी।
देश में 11 हजार किसान परीक्षण में जुटे
देश के सभी राज्यों के ज्यादातर जिलों में चालू रबी सीजन से इसका ट्रायल शुरू कर दिया गया है। देश के कुल 11 हजार किसानों के खेतों को इसके लिए चुना गया है। इसके अलावा 5 हजार अन्य स्थानों पर इसकी जांच की जा रही है। नैनो नाइट्रोजन उर्वरक का हरेक जलवायु, क्षेत्र और मिट्टी में जांच की जाएगी। इसमें सभी जिलों में स्थापित सात सौ कृषि विज्ञान केंद्रों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। आप सभी जानते हैं कि घटते संसाधनों और फर्टिलाइजर के बढ़ते उपयोग के कारण खेती की लागत काफी बढ़ी है। इस नई तकनीक से उर्वरक पर सब्सिडी आधी रह जाएगी।
इफको ने तीन प्रकार के नैनो उत्पाद विकसित किए हैं। पहला इफको नैनो नाइट्रोजन है जिसे यूरिया के विकल्प के रूप में विकसित किया गया है। सही तरीके से प्रयोग करने पर यह यूरिया की खपत को 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है। दूसरा उत्पाद इफको नैनो जिंक है जिसे मौजूदा उपलब्ध जिंक उर्वरक के विकल्प के रूप में विकसित किया गया है। इस उत्पाद का केवल 10 ग्राम एक हैक्टेयर भूमि के लिए पर्याप्त है और इससे एनपीके उर्वरक की खपत 50 प्रतिशत तक कम हो जाएगी। तीसरा उत्पाद इफको नैनो कॉपर है जो पौधे को पोषण और सुरक्षा दोनों प्रदान करता है। यह पौधे में हानिकारक कीटों के विरूद्ध प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित करता है। इससे पौधे में ग्रोथ हारमोन की सक्रियता बढ़ती है जिससे पौधे का विकास तेजी से होता है।
सरकार को दूसरी हरित क्रांति की उम्मीद
प्रबंध निदेशक उदय शंकर अवस्थी के अनुसार नैनो टेक्नोलॉजी से एनपीके खादों की खपत घटकर आधी रह जाएगी। इससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी और यह पर्यावरण के अनुकूल रहेगी। सरकार का मानना है कि कृषि में आधुनिक प्रोद्योगिकी अपनाकर ही दूसरी हरित क्रांति लाई जा सकेगी। घटते संसाधनों और फर्टिलाइजर के बढ़ते उपयोग के कारण खेती की लागत बहुत बढ़ गई है, जिससे किसान मुश्किल में है। नैनो प्रौद्योगिकी के माध्यम से हम अपेक्षित रासायनिक संरचना के साथ उर्वरक उत्पादन की संभावनाओं और पोषक तत्वों की उपयोग क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं।
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