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न्यूनतम समर्थन मूल्य : अरहर के बाद अब उड़द और मसूर की भी होगी एमएसपी पर खरीद

प्रकाशित - 24 Jun 2024

जानें, किस रेट पर होगी खरीद और इसके लिए कहां करना होगा पंजीयन

केंद्र सरकार की ओर से देश में दालों का उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए किसानों को दलहन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया रहा है ताकि हमारा देश दलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सके। इसी कड़ी में देश के किसानों को दलहन फसलों का उचित मूल्य दिलाने की दिशा में काम किया जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से किसानों से अरहर के बाद अब उड़द और मसूर की दाल की भी शत-प्रतिशत खरीद की जाएगी। इसके लिए सरकार की ओर से इन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी तय कर दिया है। जो किसान सरकार को दलहन फसलें जिसमें तूअर, उड़द ओर मसूर बेचने के इच्छुक है, उन्हें इसके लिए पहले ऑनलाइन पोर्टल पर पंजीयन करना होगा। इसके बाद किसानों से  दलहन फसलों की खरीद की जाएगी। 

दलहन की खरीद पर क्या बोले केंद्रीय कृषि मंत्री

पिछले दिनों केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली के कृषि भवन में विभिन्न राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक की। बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार फसल विविधीकरण सुनिश्चित करने तथा दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर तुअर के साथ ही उड़द और मसूर की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

किसानों से किस रेट पर होगी तुअर, उडद और मसूर की खरीद

किसानों से तुअर, उड़द और मसूर की शत प्रतिशत खरीद की जाएगी। खरीफ सीजन की फसल उड़द, मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित कर दिया गया है। इसके अनुसार तुअर यानी अरहर की दाल का एमएसपी 7550 रुपए प्रति क्विंटल है। जबकि उड़द का एमएसपी 7400 रुपए प्रति क्विंटल और मूंग का एमएसपी 8682 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है। वहीं मसूर, रबी की फसल के अंतर्गत आती है जिसका 2023-24 के लिए एमएसपी 6425 रुपए निर्धारित किया गया है।

एमएसपी पर तुअर, उड़द और मसूर बेचने के लिए कहां कराएं पंजीकरण

कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को पंजीकरण के लिए भारतीय राष्ट्रीय सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) तथा भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्त संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) के माध्यम से ई-समृद्धि पोर्टल (e-Samriddhi Portal) शुरू किया गया है तथा सरकार पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से एमएसपी पर इन दालों की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक किसानों को इस पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि वे सुनिश्चित खरीद की सुविधा का लाभ उठा सकें।

अब तक कितने किसानों ने पोर्टल पर कराया पंजीकरण

ई-समृद्धि ऑनलाइन पोर्टल (E-Samridhi Online Portal) पर अब तक 1,37,63,111 किसान अपना पंजीकरण करा चुके हैं। इस पोर्टल पर 15 तरह की फसलों की खरीद की जाती है। इस पोर्टल के माध्यम से अब तक किसानों से करीब 2,25,26,335 एमटी मात्रा खरीदी जा चुकी हैं और करीब 81,12,172 किसानों को भुगतान किया जा चुका है।  

ई-समृद्धि पोर्टल पर क्या है रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया

पोर्टल पर दी गई जानकारी के मुताबिक पीएसएस (PSS) या पीएसएफ (PSF) की विभिन्न योजनाओं में भाग लेने के इच्छुक किसानों के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया विभाग द्वारा निर्धारित समय-सीमा के अनुसार होती है। इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने की प्रक्रिया काफी सरल है। किसान पोर्टल पर अपना केवाईसी (KYC) या बैंक और भूमि का विवरण दर्ज कर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। किसान को सूचीबद्ध वस्तुओं में से एक वस्तु के साथ ही स्कीम का चयन करना होता है। बता दें कि विशेष योजना के लिए नफेड द्वारा पंजीकरण अवधि निर्धारित की जाती है। ई-समृद्धि प्लेटफॉर्म पर किसानों द्वारा दिए गए आधार, मोबाइल, बैंक विवरण की जांच की जाती है। सत्यापित होने के बाद ही किसान से फसल की खरीद की जाती है। इस प्रकार ई-समृद्धि पोर्टल प्रमाणिकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करता है।  

ई-समृद्धि पोर्टल पर कैसे रखा जाता है खरीद का रिकॉर्ड

एक बार जब कोई किसान ई-समृद्धि प्लेटफॉर्म पर अपने को रजिस्टर करता है तो प्लेटफॉर्म सभी खरीदे गए और रिजेक्टेड लॉट को रिकॉर्ड रखता है। प्रत्येक लॉट के लिए एक यूनिक नंबर असाइन होता है और इन्वेंट्री का अपडेट होता है। यूजर खरीदे गए लॉट की सूची देख सकते हैं और जांचकर्ता प्रक्रिया के किसी भी चरण में जांच के डिटेल्स जोड़ सकते हैं। सिस्टम प्रत्येक बैग को एक क्यूआर कोड के साथ टैग करता है जिसे ई-समृद्धि खरीद पोर्टल के साथ मैप किया जाता है और इस प्रकार खरीद प्रक्रिया को सरल व सुव्यवस्थित किया जाता है।   

किसानों को कैसे किया जाता है फसल खरीदी का भुगतान

संशोधित ई-समृद्धि प्लेटफॉर्म पर खरीद और इन्वेंट्री मैनेजमेंट एकीकृत करता है जिससे PFMS प्रक्रिया का उपयोग करके किसान को सीधे भुगतान करना आसान हो जाता है। इसमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से किसानों को भुगतान किया जाता है। इस पोर्टल के माध्यम से बोनस सहित भुगतानों को लाभार्थियों तक पहुंचाया जाता है। किसानों को समय पर, बिना किसी परेशानी के सीधे उनके खाते में भुगतान किया जाता है। इस व्यवस्था से किसानों के लिए देरी से भुगतान की संभावना खत्म हो जाती है और किसानों को समय पर भुगतान संभव हो पाता है। 

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