प्रकाशित - 27 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसान चुकंदर की खेती (beetroot farming) से काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। चुकंदर एक बहुत ही लाभकारी फल होता है। इसके सेवन से शरीर में खून बढ़ता है। यही कारण है कि एनिमिक लोगों को डाक्टर चुकंदर का सेवन करने की सलाह देते हैं। इसके सेवन से शरीर में खून बनना शुरू हो जाता है। इसके इसी गुण के कारण इसे औषधी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसे कच्चा खाना या इसका रस पीना दोनों ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। गाजर के साथ चुकंदर का इस्तेमाल ज्यूस बनाने में किया जाता है। इसकी बाजार मांग भी काफी अच्छी रहती है और इसके भाव भी बेहतर मिल जाते हैं। इसे देखते हुए यदि किसान इसकी खेती करें तो इससे काफी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। इसकी खेती में बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए इसकी उन्नत किस्मों का चयन किया जाना बेहद जरूरी है।
चुकंदर में बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी होते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट और डाइटरी फाइबर जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। इसके अलावा चुकंदर में विटामिन सी, विटामिन बी-6, राइबोफ्लेविन और थायमिन विटामिन होता है। इसमें आयरन, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम भी पाया जाता है।
चुकंदर की कई प्रकार की किस्में पाई जाती है जिनसे अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको चुकंदर की उन्नत किस्मों में से टॉप 7 किस्मों की जानकारी दे रहे हैं जिनसे बेहतर पैदावार के साथ ही अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
चुकंदर की इस किस्म की जड़ें चिपटी होने के साथ ही चिकनी और लाल सतह वाली हाती हैं। यह अंदर से लाल होती है और इसकी पत्तियां हरे रंग की होती हैं। यह किस्म 55 से 60 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार सामान्य किस्म से अधिक मिलती है।
चुकंदर की शाइन रेडबॉल किस्म का कंद गोल व गहरे लाल रंग का होता है। इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 30 से 32 सेंटीमीटर तक होती है। यह किस्म रबी, जायद और खरीफ तीनों सीजन में उगाई जा सकती है। इस किस्म के कंद का वजन 150 से 180 ग्राम तक होता है। इस किस्म को पककर तैयार होने में 50 से 60 दिन का समय लगता है।
अशोका-रेडमेन किस्म की पत्तियां चौड़ी होती है और इसका मध्य शिरा गुलाबी रंग का होता है। इसके कंद चिकने, गोल, तिरछे तथा लाल रंग के होते हैं। इसके कंद का वजन 150 से 180 ग्राम तक होता है। इस किस्म में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। इस किस्म को जायद, रबी और खरीफ तीनों सीजन में उगाया जा सकता है। इसकी फसल 65 से लेकर 70 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
चुकंदर की क्रिमसन ग्लोब किस्म मध्यम आकार की होती हैं। इसकी जड़ें मध्यम और छिलका लाल रंग का होता है। इसके पत्ते चमकदार हरे रंग के होते हैं। इस किस्म की औसत पैदावार 80 क्विंटल प्रति एकड़ मिलती है।
चुकंदर की यह किस्म चिपटी जड़ों के साथ चिकनी सतह वाली होती है। यह किस्म अंदर से गहरे परपल लाल रंग की होती हैं। इस किस्म की बुवाई से करीब 50 से 60 दिन की अवधि में पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
चुकंदर की इस किस्म की बुवाई रबी, खरीफ और जायद तीनों सीजन में की जा सकती है। यह किस्म 50 से 55 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके फल बहुत ही आकर्षक और गहरे लाल रंग के होते हैं। इसके कंद का वजन 100 से 150 ग्राम तक होता है। इस किस्म में 200 से लेकर 250 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
यह चुकंदर की अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है। यह किस्म बुवाई से 55 दिन के भीतर पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म को रबी और खरीफ दोनों सीजन में उगाया जा सकता है। इस किस्म का कंद गोल और एक समान लाल रंग का होता है। इसके कंद वजन करीब 200 ग्राम होता है। इसके पौधे की ऊंचाई एक फीट तक होती है।
ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टर, फोर्स ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
अगर आप नए ट्रैक्टर, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।