जुलाई माह में करें इन टॉप 5 सब्जियों की खेती, होगी बेहतर कमाई

Share Product प्रकाशित - 05 Jul 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

जुलाई माह में करें इन टॉप 5 सब्जियों की खेती, होगी बेहतर कमाई

जानें, कौनसी है ये अधिक लाभ देने वाली सब्जियां और इनकी बुवाई का सही तरीका

जुलाई का महीना चल रहा है। इस माह बारिश का मौसम भी आ गया है, ऐसे में किसान इस माह कई ऐसी सब्जियों की खेती कर सकते हैं जो कम समय में तैयार हो जाती है और उनसे कमाई भी अच्छी होती है। इन सब्जियों की खेती से खेत भी कम समय में खाली हो जाते हैं। सब्जियों खेती का सबसे अधिक फायदा यह है कि इसकी बाजार मांग अच्छी रहती है और कई सब्जियां ऐसी है जिनके भाव भी काफी अच्छे मिल जाते हैं। कुल मिलाकर सब्जियों की खेती से कम लागत में अधिक कमाई की जा सकती है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको जुलाई माह में बुवाई के लिए 5 ऐसी सब्जियों की जानकारी दे रहे हैं जिसकी खेती करके आप काफी अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं, तो आइये जानते हैं, इसके बारे में।

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1. करेले की खेती (Bitter Gourd Cultivation)

करेला ऐसी सब्जी फसल है जिसकी बाजार मांग बाजार में काफी रहती है और इसके भाव भी अच्छे मिल जाते हैं। यदि आप करेले की खेती करना चाहते हैं तो इसकी खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। करेले की बुवाई दो तरीके से की जाती है। पहला- सीधे बीज से बुवाई करना और दूसरा नर्सरी तैयार करने के बाद पौधों की मुख्य खेत में रोपाई करना है। करेले की खेती में बीजों के अंकुरण के लिए 22 से 25 डिग्री सेंटीग्रेट और बेहतर बढ़ोतरी फूल और फलन के लिए 25 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सही रहता है। बीजों की बुवाई करने से पहले उन्हें 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना चाहिए, इससे अंकुरण जल्दी और बेतहर होता है। बुवाई के लिए करेले की कई उन्नतशील किस्में हैं जिनमें पूसा हाइब्रिड-2, पूसा औषधि, पूसा दो मौसमी, पंजाब करेला-1, पंजाब करेला-14, काशी सुफल, काशी उर्वशी, पूसा विशेष, हिसार सलेक्टशन आदि कई अच्छी कस्में जो बेहतर पैदावार दे सकती हैं।

करेले की खेती का तरीका (Method of cultivation of Bitter gourd)

करेले की रोपाई से पहले खेत को तैयार कर लिया जाता है और इसके बाद 1.5 से 2 मीटर की दूरी पर करीब 60-70 सेमी नाली बना ली जाती है। इसके बाद नाली के दोनों ओर मेड के पास एक-एक मीटर के अंतर पर तीन से चार पौधों की रोपाई की जाती है। करेले के बीजों को दो से तीन इंच की गहराई पर बोना चाहिए। यदि नाली विधि का उपयोग करते समय नाली से नाली की दूरी 2 मीटर, पौधे से पौधे की दूरी 50 सेंटीमीटर और नाली की मेड से ऊंचाई 50 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

2. टमाटर की खेती (Tomato Farming)

टमाटर की खेती से भी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। कभी-कभी बाजार में टमाटर के भाव काफी ऊंचे हो जाते हैं, ऐसे में इसकी खेती भी किसानों के लिए अच्छा लाभ देने वाली मानी जाती है। टमाटर की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली होती है। यदि किसान पॉली हाउस में इसकी खेती करते हैं तो फसल काफी अच्छी होती है और इससे मुनाफा भी ज्यादा होता है। यदि आप टमाटर की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए कई उन्नत किस्में है जो काफी अच्छी पैदावार देती है। इसकी उन्नत किस्मों में पूसा गौरव, पूसा शीतल, पूसा रूबी, पूसा 120, आर्का, सौरभ, सोनाली व शंकर आदि है। जबकि टमाटर की हाईब्रिड किस्मों में पूसा हाइब्रिड- 1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाइब्रिड-4 आदि लोकप्रिय है।

टमाटर की खेती का तरीका (Method of Tomato cultivation)

टमाटर की खेती के लिए उचित जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी अच्छी रहती है जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवाश्म उपलब्ध हो। यदि आप एक हैक्टेयर में इसकी खेती करना चाहते हैं तो आपको इसकी नर्सरी तैयार करने के लिए करीब 350 से 400 ग्राम बीज की आवश्यकता होगी। संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150 से 200 ग्राम प्रति हैक्टेयर पर्याप्त है। इसके बीजों की नर्सरी में बुवाई के लिए 1 गुना 3 मीटर की ऊठी हुई क्यारियां तैयार की जाती है। अब बीजों को कार्बेन्डाजिम या ट्रोइकोडर्मा प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर 5 सेमी की दूरी रखते हुए कतारों में बीजों की बुवाई करनी चाहिए। बीज बोने के बाद गोबर की खाद या मिट्टी से ढक देना चाहिए। बीज उगने के बाद 8 से 10 दिन के अंतराल में डायथेन एम-45 या मेटालाक्सिल से छिड़काव करना चाहिए। वहीं 25 से 30 दिन बाद जब पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाए तब इसकी मुख्य खेत में रोपाई करनी चाहिए। इसमें पौधे से पौधे की दूरी 75 सेमी और कतार से कतार की दूरी 60 सेमी रखनी चाहिए।

3. खीरे की खेती (Cucumber cultivation)

गर्मियों और बरसात के मौसम में खीरे की बाजार मांग काफी अच्छी रहती है। ऐसे में किसान भाई खीरे की खेती करके इससे भी बेहतर लाभ कमा सकते हैं। खीरे को रेतीली दोमट या भारी मिट्टी में उगाया जाा सकता है लेकिन इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई और दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। इसकी खेती के लिए कई उन्नत किस्में हैं जो काफी अच्छी पैदावार दे सकती है जिसमें स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा बरखा, पूसा उदय, पूसा संयोग, स्वर्ण अगेती, पूना खीरा, पंजाब सेलेक्टशन, स्वर्ण शीलत आदि कई किस्में हैं।

खीरे की खेती का तरीका (Cucumber cultivation method)

खीरे की खेती दो तरीके से की जाती है, पहली सीधे खेत में बीजों की बुवाई करके और दूसरा नर्सरी तैयार करके पौधों की रोपाई करना। नर्सरी द्वारा खीरे की खेती करने के लिए नर्सरी ट्रे में कोकोपीट, वर्मीकुलाइट और पर्लाइट का 2:11 का मिश्रण डाला जाता है। अब नर्सरी ट्रे के हर एक खाने में एक-एक बीज बोया जाता है। इन्हें किसी छायादार जगह पर रखना चाहिए जहां सीधी धूप नहीं आ पाए। 15 से 20 दिनों में पौधे तैयार हो जाते हैं। अब इन पौधों की रोपाई खेत में कर सकते हैं। रोपाई के लिए सबसे पहले खेत की तैयार करके 1.5 से 2 मीटर की दूरी पर करीब 60 से 75 सेमी चौड़ी नाली बनाई जाती है। इसके बाद नाली के दोनों ओर मेड के पास 1-1 मीटर के अंतर पर 3-4 बीज की एक स्थान पर बुवाई की जाती है। रोपाई के लिए पहले खेत में क्यारियां बनाई जाती हैं। इसकी बुवाई कतारों में ही करनी चाहिए।

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4. भिंडी की खेती (Okra cultivation)

भिंडी की भी बाजार मांग काफी रहती है। ऐसे में किसान इस बारिश के सीजन में भिंडी की खेती करके भी अच्छी कमाई कर सकते हैं। खास बात यह है कि भिंडी के दाम भी बाजार में बेतहर मिल जाते हैं, इसके भावों में कम ही उतार-चढ़ाव आता है। ऐसे में भिंडी की खेती से अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। भिंडी खेती के लिए कई अच्छी किस्में हैं, जिनमें पूसा ए-4, परभनी क्रांति, पंजाब-7, अर्का अभय, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, हिसार उन्नत, बीआरओ-6 आदि लोकप्रिय हैं।

भिंडी की खेती का तरीका (Okra cultivation method)

भिंडी की खेती के लिए सिंचित अवस्था में 2.5 से 3 किलोग्राम और असिंचित अवस्था में 5-7 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है। इसके अलावा संकर किस्मों में 5 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर की दर से पर्याप्त है। भिंडी के बीज सीधे खेत में ही बाए जाते हैं। बीजों की बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह दो से तीन बार जुताई कर लेनी चाहिए ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। बारिश के मौसम में भिंडी के बीजों की बुवाई करते समय कतार से कतार की दूरी 40 से 45 सेमी और कतार से पौधे के बीच की दूरी 25-30 सेमी रखनी चाहिए। वहीं पौधे से पौधे की दूरी 15 से 20 इंच रखना चाहिए। बीज की बुवाई 2 से 3 सेमी की गहराई पर करनी चाहिए।

5. शिमला मिर्च की खेती (Capsicum cultivation)

शिमला मिर्च की मांग भी बाजार में काफी रहती है। इसमें हरे रंग के साथ ही लाल, पीले रंग की शिमला मिर्च भी बाजार में काफी पसंद की जाती है। ऐसे में आप शिमला मिर्च की खेती करके भी काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। शिमला मिर्च की उन्नत किस्मों में अरका मोहिनी, अरका वसंत, यलो वंडर, कैलिफोर्निया वंडर हैं। इसकी संकर किस्मों में भारत, इंद्रा, पूसा दिप्ती, ग्री गोल्ड, सन 1090 हैं।

शिमला मिर्च की खेती का तरीका (Method of cultivation of capsicum)

शिमला मिर्च के बीजों की बुवाई के लिए इसकी उन्नत किस्मों के बीज की प्रति हैक्टेयर 500 ग्राम की मात्रा पर्याप्त रहती है। वहीं संकर किस्म के लिए बीज की मात्रा 250 से 300 ग्राम ली जा सकती है। इसकी पौध प्रो-ट्रेज में तैयार करनी चाहिए। इसके लिए अच्छे से उपचारित ट्रेज का उपयोग करना चाहिए। ट्रेन में मीडिया का मिश्रण जैसे- वर्मीकुलाइट, परलाइट एवं कॉकोपीट 1:1:2 की दर से तैयार करना चाहिए। मीडिया को भली प्रकार से ट्रेज में भरकर प्रति सेल एक बीज डालकर उसके ऊपर हल्का मिश्रण डालकर झारे में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। यदि जरूरी हो तो मल्च का उपयोग भी किया जा सकता है। इसकी बुवाई के लिए एक हैक्टेयर में 200-250 ग्राम संकर और सामान्य किस्म के लिए बीज की 750 से 800 ग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त रहती है। 30 से 35 दिन में शिमला मिर्च के पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। पाैधों की राेपाई के समय रोप की लंबाई करीब 16 से 20 सेमी और 4 से 6 पत्तियां होनी चाहिए। पौधों की रोपाई अच्छी तरह से उठी हुई तैयार क्यारियों में करनी चाहिए। क्यारियों की चौड़ाई 90 सेमी रखनी चाहिए। एक क्यारी पर पौधों की दो कतारे लगाई जा सकती है।

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