प्रकाशित - 02 Jun 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
मानसून की पहली बारिश के साथ खरीफ फसलों की बुवाई का सिलसिला शुरू हो जाएगा। ऐसे में कई किसान अपने खेत में खरीफ सीजन में तिलहन फसल सोयाबीन की बुवाई करेंगे। इसके लिए उन्हें उन्नत किस्म के बीजों की बुवाई करनी चाहिए और इसी के साथ ही सोयाबीन की खेती (soybean cultivation) के संबंध में कुछ जरूरी बातों को भी ध्यान रखना चाहिए ताकि किसानों को सोयाबीन की अधिक पैदावार प्राप्त हो सके। सोयाबीन बहुत काम की फसल है। सोयाबीन का तेल ही नहीं निकाला जाता है, बल्कि इससे कई प्रकार की खाने की चीजें भी बनाई जाती हैं, जैसे- सोया दूध, सोया पनीर, सोया बड़ी, सोया दही, सोया बड़े, नमकीन आदि। इसकी बाजार मांग भी काफी अच्छी रहती है। ऐसे में कई किसान सोयाबीन की खेती करते हैं। किसानों को सोयाबीन की खेती से अधिक उत्पादन कैस मिले, इसके लिए किन बातों पर ध्यान देना चाहिए, किन किस्मों का चयन करना चाहिए आदि बातों की जानकारी हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको दे रहे हैं तो आइये इसके बारे में जानते हैं।
सोयाबीन की बहुत सी किस्में हैं जो बेहतर पैदावार देती हैं। इन किस्मों में जेएस-335, एमएससी 252, जेएस 9308, जेएस 2095, जेएस 2036 आदि ऐसी किस्में हैं जिनसे करीब 25 से 30 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। बता दें कि अलग-अलग राज्यों के लिए वहां के क्षेत्रों के अनुसार सायोबीन की किस्में (Varieties of soybean) अनुशंसित की गई है। ऐसे में किसान को सोयाबीन की बुवाई से पूर्व अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसित सोयाबीन की किस्मों की जानकारी अपने जिले के कृषि विभाग से प्राप्त करनी चाहिए।
सोयाबीन से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों के अलावा बुवाई की तकनीक, खाद की मात्रा, सिंचाई आदि क्रियाओं का भी योगदान होता है। ऐसे उन्नत कृषि क्रियाओं का उपयोग करके आप सोयाबीन का बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोयाबीन की बुवाई का सही समय बारिश का सीजन होता है। ऐसे में किसान जून या जुलाई में बारिश होने पर इसकी बुवाई कर सकते हैं। सोयाबीन की बुवाई (Sowing of soybeans) तब करनी चाहिए जब क्षेत्र में 100 मिमी. बारिश हो चुकी हो। इससे कम बारिश होने पर सोयाबीन की बुवाई नहीं करनी चाहिए।
सोयाबीन के बीजों की बुवाई करते समय खेत में पानी नहीं भरा होना चाहिए। यदि खेत में पानी भरा हो तो उसकी निकासी की व्यवस्था करें। सोयाबीन के बीजों की बुवाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 5 से 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
कृषि जानकारों के मुताबिक सोयाबीन की खेती में दो से तीन बार थोड़ी मात्रा में यूरिया का इस्तेमाल करना चाहिए। सोयाबीन की एक हैक्टेयर में बुवाई करते समय कम से कम 12 से 15 किलोग्राम तक यूरिया का छिड़काव खेत में किया जाना चाहिए। वहीं पौधे विकसित होने 25-30 किलोग्राम यूरिया का उपयोग करना चाहिए। सोयाबीन के पौधे में फूल आने की अवस्था में 40-50 किलोग्राम यूरिया का उपयोग करना चाहिए।
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