शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए टॉप 5 किस्में, मिलेगी 95 टन पैदावार

Share Product प्रकाशित - 02 Nov 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए टॉप 5 किस्में, मिलेगी 95 टन पैदावार

जानें, कौनसी हैं शरदकालीन गन्ने ये टॉप 5 किस्में और इनसे कितना हो सकता है लाभ

Top 5 varieties of sugarcane: भारत में किसानों के लिए गन्ना एक नकदी फसल है जिसकी खेती प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश में की जाती है। इसमें सबसे अधिक गन्ने की खेती (Sugarcane Cultivation) उत्तर प्रदेश और इसके बाद महाराष्ट्र में होती है। इस समय किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई (autumn sowing of sugarcane) कर सकते हैं। शरदकालीन गन्ने की बुवाई का वैसे तो सही समय सितंबर के आखिरी हफ्ते से अक्टूबर तक माना जाता है लेकिन कई किसान इसकी बुवाई नवंबर तक भी करते हैं। हालांकि देर से बुवाई करने पर उपज की मात्रा में कमी आ सकती है। लेकिन गन्ने की कई किस्में ऐसी हैं जिनकी बुवाई करके आप बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इन किस्मों से किसान 95 टन प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए उपयुक्त गन्ने की टॉप 5 किस्मों की जानकारी दे रहे हैं जिनकी खेती करके आप बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

गन्ने की को.लख. 16202 किस्म (Sugarcane CoLk 16202 variety) 

किसान गन्ने की को.लख. 16202 किस्म की बुवाई अक्टूबर से नवंबर तक कर सकते हैं। गन्ने की को.लख. 16202 किस्म को भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की ओर से जारी किया गया है। गन्ने की यह किस्म कोयंबटूर और लखनऊ गन्ना प्रजनन केंद्रों के सहयोग से विकसित की गई है। गन्ने की यह किस्म उकठा और लाल सड़न रोग की प्रतिरोधी किस्म है। गन्ने की इस किस्म से 92.8 टन प्रति हैक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। गन्ने की इस किस्म में चीनी की परता 13.57 प्रतिशत है। इस किस्म को खास तौर पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के मध्य व पश्चिमी क्षेत्र के लिए तैयार किया गया है। ऐसे में इन राज्यों के किसान गन्ने की को.लख. 16202 किस्म की बुवाई कर सकते हैं।  

गन्ने की कोलख 14201 किस्म (CoLk 14201 variety of sugarcane)  

गन्ने की कोलख 14201 किस्म का गन्ना मोटा और हल्के पीले रंग का होता है। इस किस्म में शर्करा की मात्रा 18.60 प्रतिशत और पोल प्रतिशत 14.55% होती है। गन्ने की इस किस्म में बेधक कीटों का प्रकोप कम होता है। गन्ने की कोलख 14201 से करीब 95 टन तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

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गन्ने की को.शा. 18231 किस्म (Sugarcane CoS 18231 variety)

गन्ने की को.शा. 18231 किस्म को उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद की ओर से विकसित किया गया है। गन्ने की इस किस्म से 90.16 टन प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म में रोग प्रतिरोध क्षमता अधिक है। इस किस्म में शर्करा का प्रतिशत और पोल प्रतिशत भी अधिक पाया गया है। सी.सी. एन. टन प्रति हैक्टेयर की दृष्टि से को. शा. 18231 (11.89) प्रमाप को. 0238 की तुलना में 13.84 प्रतिशत अधिक पाया गया है।

गन्ने की अगेती को.शा. 13235 किस्म (Early CoS of sugarcane. 13235 variety)

गन्ने की अगेती को.शा. 13235 किस्म का गन्ना सीधा, मोटा और पीला हरा सफेद की तरह दिखाई देता है। इस किस्म से 81 से 92 टन प्रति हैक्टेयर पर उपज प्राप्त की जा सकती है। गन्ने की यह किस्म लाल सड़न रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी किस्म हे। इस किस्म की खास बात यह है कि इसमें कीट व रोगों का प्रकोप बहुत कम होता है।

गन्ने की को. 15023 किस्म (Sugarcane Co. 15023 variety)

गन्ने की इस किस्म में शर्करा की मात्रा अधिक पाई जाती है। ऐसे में इस किस्म का गन्ना काफी मीठा होता है। इसके अलावा इस किस्म के गन्ने में रस की मात्रा अधिक होती है। को. 15023 किस्म के गन्ने का उपयोग सबसे अधिक कोल्हू पर गुड़ बनाने के लिए किया जाता है। किसानों के अनुसार अब तक के पेराई में 15023 किस्म ने रिकवरी में सभी गन्ना प्रजातियों को पीछे छोड़ दिया है। चीनी मिलों में इस किस्म की रिकवरी एक प्रतिशत अधिक है और काल्हू पर एक क्विंटल पर एक किलोाग्राम अधिक गुड़ निकलता है।  

गन्ने की खेती में किन बातों का रखें ध्यान (What things should be kept in mind while cultivating sugarcane)

गन्ने की बुवाई करते समय खेत की मिट्‌टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। गन्ने की बुवाई करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बुवाई के समय गन्ने की कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर हो ताकि पौधों को फैलने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके। गन्ने की खेती में नाइट्रोजन, पोटेशियम, सल्फर व आयरन जैसे पोषक तत्वों का उपयोग करना चाहिए। गन्ने की खेती में लाल सड़न रोग से बचाव के लिए लाल सड़न रोग ग्रसित किस्मों को बुवाई नहीं करनी चाहिए। गन्ने की फसल की सुरक्षा, सिंचाई, गुड़ाई व बंधाई का समय पर ध्यान देना चाहिए। वही गन्ने की खेती में मिट्‌टी की जांच बाद दिए गए सुझाव के अनुसार फॉस्फेट या पोटाश दिया जाना चाहिए।

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