प्रकाशित - 29 Apr 2023
देश में लगातार बढ़ रही मौसमी अनिश्चितताओं का असर कृषि जगत की फसलों पर पड़ रहा है। मौसमी घटनाओं की आवृत्ति और तापमान बढ़ने की वजह से कई फसलों के लिए जो उपयुक्त वातावरण होना चाहिए वो नहीं रहता। कई बार तो मौसमी अनिश्चितताएं इस प्रकार की भी देखनी पड़ी है जब मौसम, फसल के लिए जरूरी वातावरण के लिए बिल्कुल प्रतिकूल रहता है। भारत में मौसम परिवर्तन के नकारात्मक परिणाम की वजह से भारत में गर्मियों के मौसम (Season) में ज्यादा तापमान का सामना करना पड़ रहा है। मक्का एक ऐसी फसल है जो गर्मियों में ही बोई जाती है। तेज और तपती गर्मी की वजह से मक्का को बहुत नुकसान होता है। तेज धूप से मक्के की हरी पत्तियों की गुणवत्ता में कमी आती है। हरी पत्तियों के ऊतक को नुकसान पहुंचने से फसल को पोषक तत्व मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जितना उत्पादन होना चाहिए उतना नहीं हो पाता। हाल ही में कई जगहों पर ऐसा देखने को मिला है कि मक्के की बालियों में बिल्कुल भी दाने नहीं उगे।
ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम तेज धूप में मक्का की पैदावार बढ़ाने के उपाय, मक्का की उपज बढ़ाने के उपाय के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
अगर तेज गर्मी हो तो जरूरी है कि जमीन में नमी बनाए रखें। मक्का फसल (Corn Crop) को ताजा रखने के लिए अक्सर पानी दिया जाना आवश्यक है। खेतों में सुबह और शाम सिंचाई करें। हल्की सिंचाई करें क्योंकि मक्का को ज्यादा पानी नहीं चाहिए होता है। मई और जून के पहले दो हफ्तों में तो सुबह-शाम सिंचाई बहुत जरूरी है। बता दें कि मक्का फसल कम नमी और ज्यादा नमी दोनों से प्रभावित होने वाली फसल है। जो किसान मक्के की खेती (Corn Farming) करते हैं, उन्हें इस बात का खास ध्यान रखना होता है। खेती की नमी को अधिकतम बनाने के लिए किसान फसल के पौधे में 50% टैसल दिखाई देने के बाद तुरंत दो से तीन दिन के भीतर सिंचाई की जानी चाहिए। पौधे उगने से पहले ही नमी की हालत में सिंचाई करें।
उत्तम बीज चुनें: किसी भी फसल की अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है कि किसान उत्तम बीज का चयन करें। चूंकि बीज किसी भी फसल की आधारभूत जरूरत है। अगर बीज अच्छी नहीं होगी तो पौधा भी अच्छा नहीं होगा। मक्का की उच्च गुणवत्ता और उत्तम किस्म का चयन आप अपने क्षेत्र के जलवायु के हिसाब से कर सकते हैं। अच्छे बीज के लिए नजदीकी कृषि सलाहकार या कृषि एक्सपर्ट्स से जरूर संपर्क करें।
कृषि तकनीक: मक्का फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए जरूरी है कि उचित कृषि तकनीक को उपयोग में लाया जाए। बिना अच्छी कृषि तकनीक के मक्का फसल की पैदावार बढ़ा पाना मुश्किल होगा। सिंचाई, बुआई, निराई का उचित प्रबंधन होना जरूरी है। बीजों की बुआई के लिए उचित दूरी निर्धारित करना आदि कार्य भी उचित कृषि तकनीक में महत्वपूर्ण है।
न्यूनतम जल सारणी का उपयोग: ज्यादा सिंचाई मक्का की फसल के लिए नुकसानदायक (Excessive Irrigation Harmful for Maize Crop) होता है। ज्यादा पानी देने से होने वाले नुकसान से बचने के लिए एक सही और उचित जल सारिणी बनाएं। इसके लिए आप एक बार अपने नजदीकी कृषि सलाहकार से भी संपर्क कर सकते हैं। ताकि क्षेत्रीय जलवायु के आधार पर वे आपको सिंचाई की सही मात्रा सुझा सकें।
खाद का उपयोग: रासायनिक खाद के उपयोग के अलावा जरूरी है कि किसान अपने खेत में जैविक खाद का भी उपयोग करें। जैविक खाद के उपयोग से किसान अपनी मिट्टी की उर्वरा शक्ति (Soil Fertility) को बढ़ा सकते हैं और लगातार हो रहे रसायनिक खादों के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। यूरिया, पोटाश के नियमित उपयोग के अलावा जरूरी है कि जैविक या गोबर खाद (Dung Manure) का भी उपयोग खेतों के लिए किया जाए।
सही खेत संरचना: मक्का की खेती में एक सीध में सीधी बुआई की जाना चाहिए। इसके अलावा मक्का के साथ आलू या सोयाबीन, मसूर आदि दलहन फसल की विविधता भी रखी जानी चाहिए। खेती में विविधता रखने से भी मक्का का उत्पादन बढ़ता है। दलहन फसल वातावरण से नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्वों को अवशोषित कर मिट्टी को उर्वरक और पोषक बनाती है।
भारत में मक्का की खेती मोटे अनाज (Coarse Grains) के तौर पर की जाती है। मक्के का इस्तेमाल भारत में न सिर्फ अनाज बल्कि पॉपकॉर्न, भुट्टे आदि के लिए काफी किए जाते हैं। मक्का का उपयोग प्रोटिनेक्स, चॉकलेट्स आदि बनाने के लिए भी काफी किए जाते हैं। यही वजह है मार्केट में भी मक्के की ठीक ठाक डिमांड देखने को मिलती है। ये फसल कम पानी में भी हो जाता है, इसीलिए बहुत सारे किसान इसकी खेती करना पसंद कर रहे हैं। कम सिंचाई की वजह से जल संरक्षण को बढ़ावा तो मिलता ही है। ये फसल अन्य अनाज की तुलना में ज्यादा पैदावार देते हैं। पशुओं के चारे के लिए, मुर्गी दाने आदि के लिए भी मक्का का भरपूर उपयोग होता है।
मक्का की खेती में ज्यादा तापमान की जरूरत होती है। गर्म जलवायु वाले जगह पर मक्का की खेती व्यापक रूप से देखी जाती है। इस खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी की बात करें तो दोमट मिट्टी इस फसल के लिए काफी अच्छी होती है। मिट्टी का पीएच मान 7 के आसपास होनी चाहिए। तापमान 25 से 30 डिग्री का होना जरुरी है। आंध्रप्रदेश, राजस्थान, बिहार, कर्नाटक, यूपी आदि ऐसे प्रदेश हैं जहां मक्का की फसल व्यापक पैमाने पर होती है।
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