प्रकाशित - 09 Jun 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
खरीफ सीजन में कई किसान मक्का की खेती करके अच्छा लाभ प्राप्त सकते हैं। मक्का की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को इसकी उन्नत किस्मों का प्रयोग करना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों ने मक्का की बहुत सी उन्नत किस्में विकसित की है जो अधिक उत्पादन देती है। उन्नत किस्मों के प्रयोग से मक्का की पैदावार तो अच्छी मिलती ही है साथ ही फसल लागत में भी कमी आती है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को मक्का की टॉप 5 किस्मों की जानकारी दे रहे हैं जो अधिक पैदावार देती हैं। तो आइये जानते हैं, इनके बारे में।
मक्का की यह किस्म सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली किस्म है। इसके दाने पीले रंग के होते हैं। यह किस्म 90 से 100 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है। मक्का की इस किस्म से 50 से लेकर 60 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
मक्का की पार्वती किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं। इसके एक पौधे में दो भुट्टे लगते हैं। इसमें प्राय: भुट्टे पौधे के बीच में थोड़ा की ऊपर ओर लगते हैं। इस किस्म से प्राप्त मक्के के दाने नारंग पीले रंग के एवं कठोर होते हैं। यह किस्म 110 से लेकर 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से करीब 14 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार प्राप्त होती है।
यह मक्का की जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है। इस किस्म को पूरे भारत में उगाया जाता है। इसके दाने नारंगी सफेद रंग लिए हुए होते हैं। यह एक मध्यम समय में पकने वाली किस्म है। यह किस्म बुवाई के 90 से लेकर 95 दिन में तैयार हो जाती है। इससे 50 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज प्राप्त की जा सकती है।
मक्का की इस किस्म की खेती पूरे भारत में की जा सकती है। मक्का की ये किस्म इसकी संकर किस्मों के अंतर्गत आती है। यह किस्म भी जल्दी पक कर तैयार हो जाती है। मक्का की यह किस्म बुवाई के 80 से लेकर 85 दिन में तैयार हो जाती है। मक्का की इस किस्म से 25 से लेकर 30 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। मक्का की इस किस्म को सिंचित और असिंचित दोनों क्षेत्रों के लिए उपयुक्त पाया गया है।
मक्का की यह एक मध्यम अवधि की किस्म है। इसे तैयार होने में 80-85 दिन का समय लगता है। मक्का की इस किेस्म के दाने पीले नारंगी रंग के होते हैं। इस किस्म की मक्का की पैदावार 25 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ तक प्राप्त की जा सकती है। यह किस्म सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त पाई गई है। मक्का की इस किस्म को पूरे भारत में उगाया जा सकता है।
बारिश शुरू होने पर मक्का की बुवाई करनी चाहिए। सिंचाई के साधन की उपलब्धता होने पर 10 से 15 दिन पूर्व बुवाई की जा सकती है, इससे पैदावार में बढ़ोतरी होती है। बीज की बुवाई मेड़ के किनारे व ऊपर 3 से 5 सेमी की गहराई पर की जानी चाहिए। बुवाई के एक माह बाद मिट्टी चढ़ाने का काम किया जाना चाहिए। बुवाई के समय खेत में पौधों की संख्या 55 से 80 हजार प्रति हैक्टेयर के हिसाब से रखनी चाहिए।
मक्का की बुवाई के समय मक्का की किस्म के अनुसार कतार व पौधों की दूरी रखनी चाहिए जो इस प्रकार से हैं।
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