इन टॉप 5 फलों की खेती से होगी बंपर कमाई

Share Product प्रकाशित - 19 Apr 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

इन टॉप 5 फलों की खेती से होगी बंपर कमाई

जानें, कौनसे है ये टॉप 5 फल और इनकी खेती से कितना हो सकता है लाभ

कृषि व्यापार के इस आधुनिक दौर में किसान मार्केट की डिमांड के अनुरुप कई ऐसे फसलों की खेती करना पसंद कर रहे हैं जो बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकते हैं। सामान्य और पारंपरिक खेती से हट कर अच्छी कमाई के लिए बहुत सारे किसान औषधीय खेती और बागवानी खेती की ओर शिफ्ट कर रहे हैं। किसानों का रुझान बागवानी कृषि में मसालों की खेती, फलों की खेती (fruit farming) की ओर बढ़ता जा रहा है। इन फसलों की मांग मार्केट में बढ़ तो रही ही है, साथ ही इन फसलों की खेती में किसानों की लागत भी बहुत कम हो रही  है।

इसीलिए ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम टॉप 5 अच्छी कमाई देने वाली फलों की खेती, जलवायु, मिट्टी, पैदावार के बारे में बताएंगे ही साथ ही ये भी जानकारी देंगे कि इन फलों की खेती से कितनी कमाई कर सकते हैं।

सेब की खेती (Apple Cultivation)

यदि आप ठंडे प्रदेश के निवासी हैं, जैसे हिमाचल, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड आदि तो सेब की खेती एक बेहतरीन विकल्प है। हालांकि ठंड के समय बिहार और यूपी जैसे प्रदेश में भी सेब की खेती की जाती है। सेब का धार्मिक महत्व भी है। खाने के उपयोग के अलावा पूजा पाठ, भोग लगाने आदि के लिए भी सेब को इस्तेमाल में लाया जाता है। सेब खाने से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। ज्यादातर बीमारियों में डॉक्टर द्वारा रोगियों को सेब खाने का सुझाव मिलता है। यही वजह है सेब की मांग भारत में सालों भर बनी रहती है। 

सेब की खेती करने के लिए मौसम और मिट्टी का चयन करें यानी ठंडी और शुष्क मौसम में इसकी बुआई करें। 15 से 20 डिग्री का तापमान उपयुक्त है। इसके अलावा सेब की अच्छी किस्म के बीज का चुनाव करें। बुआई करते समय एक बीज से दूसरी बीज की दूरी 40 सेंटीमीटर पर रखें। समय-समय पर सिंचाई करते रहें। खेती करने से पहले अपने नजदीकी किसान सलाहकार से संपर्क करें और मिट्टी की जांच जरूर कराएं। जहां तक कमाई की बात है, सेब की खेती से कमाई अलग-अलग फैक्टर्स पर निर्भर करती है। जैसे उत्पादकता, बाजार की मांग, बिक्री क्षमता आदि। औसतन अगर किसान एक एकड़ में सेब की खेती करते हैं तो 8 लाख से 10 लाख रुपए सालाना कमाई की जा सकती है। 

नाशपाती की खेती (Pear Farming)

नाशपाती की खेती से भी किसानों को काफ़ी मुनाफा हो सकता है। नाशपाती के उपयोग की बात करें तो नाशपाती कई तरह से लोगों के उपयोग में आता है। जैसे इस फल का उपयोग खाने के लिए तो होता ही है। इसके अलावा डॉक्टर भी इस फल को औषधीय रूप में ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के लिए, पाचन तंत्र को बेहतर करने के लिए रेकमेंड करते हैं। फाइबर, विटामिन और मिनरल की अच्छी मात्रा और अच्छी मिठास की वजह से इसे स्वादिष्ट और पौष्टिक मिठाई बनाने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। नाशपाती की खेती की प्रक्रिया में मिट्टी की तैयारी, रोपाई, सिंचाई, खाद और उर्वरक के अलावा कटाई और उपज शामिल है। ये फल ज्यादातर मिट्टियों के लिए उपयुक्त है। उष्णकटिबंधीय मिट्टी में इसकी पैदावार अपेक्षाकृत अधिक होती है। पौधे को मार्च या अप्रैल के महीने में बोया जाता है। साथ ही नियमित रूप से सिंचाई भी जरूरी है। क्योंकि इस फसल को उच्च तापमान पर बोया जाता है। नाशपाती की खेती में मिट्टी के हिसाब से उपयुक्त रसायनिक उर्वरक और प्रचुर मात्रा में जैविक उर्वरक का उपयोग किया जा सकता है। कमाई की बात करें तो ये उपज की मात्रा, बाजार मांग और उपज की गुणवत्ता पर निर्भर करेगी लेकिन सामान्यतः प्रति एकड़ किसान 10 टन का उत्पादन करते हैं तो 5 से 6 लाख रुपए प्रति एकड़ की कमाई की जा सकती है।

चेरी की खेती (Cherry Farming)

भारत के ठंडे क्षेत्रों में चेरी की खूब खेती होती है। इसके लिए शीतल जलवायु के साथ अच्छी सिंचाई की सुविधा होना जरूरी है। चेरी की खेती से किसान काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। इसके उपयोग को देखें तो इसे फल के रूप में खाने के लिए उपयोग में तो लाया ही जाता है। साथ ही शरबत, जाम, केक, पाई और फल चटनी और शराब बनाने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। यही वजह है कि मार्केट में इसकी मांग अच्छी है, इसलिए किसानों को चेरी के अच्छे रेट मिल जाते हैं। इस खेती में कमाई कई सारी और चीजों पर भी निर्भर करती है जैसे उत्पादकता, उत्पाद की गुणवत्ता आदि। अगर एक एकड़ में इसकी खेती की जाए तो 50 से 60 पेड़ लग सकते हैं और सालाना प्रति पेड़ 20 से 30 किलो फल निकल सकते हैं। किसान चेरी की फसल को 90 से 110 रुपए किलो थौक में बेच सकते हैं। इस तरह सालाना लगभग 3 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।

आड़ू की खेती (Peach Cultivation)

आड़ू एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है। इसे मध्यम तापमान की जरूरत होती है। उत्तरप्रदेश, जम्मू - कश्मीर, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है। आड़ू की खेती की प्रक्रिया में अच्छी भुरभुरी मिट्टी, उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन, गहरी रोपाई आदि शामिल है। खेती से पहले मिट्टी की जांच करा लें और नजदीकी किसान सलाहकार से सलाह जरूर कर लें। कमाई की बात करें तो आड़ू की खेती से कमाई विभिन्न चीजों पर निर्भर करती है जैसे बाजार मांग, उत्पादकता, उत्पाद की क्वालिटी आदि। अगर किसान सीधे ग्राहक तक अपनी फसल बेचें तो आम तौर पर प्रति एकड़ 4 से 5 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।

खुबानी की खेती (Apricot Cultivation)

खुबानी फल को एपरिकॉट भी कहा जाता है। औषधीय और खाद्य रूप में इस फसल का बड़ा महत्त्व है। खुबानी की खेती समशीतोष्ण और शीतोष्ण जलवायु वाली जगह पर होती है। मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 6.5 के बीच होनी चाहिए। इसकी बीज विशेष बागवानी केंद्र से खरीदें ताकि अच्छी गुणवत्ता का बीज हों। पैदावार की बात करें तो प्रति हेक्टेयर 6 से 8 टन का उत्पादन किया जा सकता है। अगर किसान इस फसल की खेती करें तो लागत और श्रम को हटा दें तो प्रति हेक्टेयर 3 से 4 लाख रुपए सालाना कमा सकते हैं।

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