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इन टॉप 3 किस्मों से करें गन्ना की खेती, होगी बंपर पैदावार

प्रकाशित - 24 Apr 2023

भारतीय गन्ना अनुसंधान परिषद से विकसित है ये गन्ना वैरायटी, निरोग फसल और कम लागत है खासियत

देश में व्यापक पैमाने पर गन्ना की खेती होती है। गन्ने की मांग खासकर भारतीय बाजार में काफी अधिक है। गन्ने का उपयोग जूस, चीनी, गुड आदि के उत्पादन में किया जाता है। गन्ना कई सारे औषधीय गुणों से पूर्ण होते हैं। इसके अलावा इस फसल का व्यवसायिक महत्व भी है। पारंपरिक फसलों की खेती की अपेक्षा, गन्ने की खेती (sugarcane cultivation) से किसान भी अच्छा मुनाफा तैयार कर पाते हैं। लेकिन कई बार किसान गन्ने के फसल में रोग लग जाने की वजह से या खराब किस्मों से खेती करने की वजह से भारी नुकसान झेलते हैं। जरूरी है कि गन्ना की खेती आधुनिक और अच्छी किस्मों से की जाए। अच्छी किस्मों से गन्ना की खेती करने से किसान अच्छा उत्पादन तो कर ही पाएंगे। साथ ही फसल नुकसान से भी बच पाएंगे।

ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम किसान भाइयों को गन्ना की तीन बेहतरीन किस्मों के बारे में जानकारी दे रहे हैं ताकि किसान अपने गन्ना फसल के उत्पादन को बढ़ा सकें। 

सीओ 14201

किसानों के गन्ना उत्पादन को बढ़ाने के लिए सीओ 14201 को भारतीय गन्ना अनुसंधान लखनऊ द्वारा विकसित किया गया। ये किस्म विकसित करने की जरूरत तब पड़ गई जब गन्ना किसान लाल सड़न रोग से ज्यादा प्रभावित होने लगे। गन्ना किसान अपने फसल में लगे इन रोगों की वजह से लागत बढ़ने से परेशान थे। वृहद स्तर पर लाल सड़न रोग को नियंत्रित करने के लिए इस किस्म को विकसित किया गया। गन्ना के इस किस्म में सबसे अच्छी उपज क्षमता है। इस गन्ना से चीनी का उत्पादन भी ज्यादा हो पाता है। गन्ना की ये किस्म अगौती किस्म है। विस्तृत जानकारी के लिए ये चार्ट देखें।

गन्ना वैरायटी 14201
गन्ना किस्म अर्ली या अगौती
बुआई का समय सितंबर-अक्टूबर

सीओ 13235

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक डॉ जे सिंह ने बताया कि एक गन्ना किस्म को विकसित होने पर लगभग 10 साल का समय लगता है। 13235 गन्ना प्रजाति एक बेहतरीन रोग रोधक और बंपर पैदावार देने वाली किस्म है। ये किस्म एमएस 6847 और को 1148 की ब्रीडिंग करा कर विकसित की गई। इस किस्म से किसानों की औसत उपज 81 से 92 टन प्रति हेक्टेयर होती है। साथ ही इसकी व्यवसायिक शर्करा उपज भी 11.55 पाई गई है जो बहुत अच्छा माना जाता है। जो किसान अपने गन्ना की फसल में रोग से परेशान हैं, वो इस किस्म से खेती करके देख सकते हैं। गन्ना की ये प्रजाति लाल सड़न रोग आदि कई रोगों के प्रति मध्यम रोग रोधी है। 13235 प्रजाति का बड़ा लाभ ये भी है कि इसकी पेड़ी क्षमता अधिक है, यानी यह गन्ना गिरता नहीं है। इस गन्ना प्रजाति के बारे में और अधिक जानकारी के लिए ये चार्ट देखें।

गन्ना वैरायटी 13235
गन्ना किस्म अर्ली या अगैती
बुआई का समय सितंबर या अक्टूबर में

सीओ 0238

लंबे समय तक किसान गन्ना की 0238 प्रजाति को लेकर सकारात्मक रहे हैं और इस किस्म से खेती करते आ रहे हैं। किसान अभी भी गन्ने की इस किस्म से खेती कर सकते हैं। लेकिन प्रजाति 14201 और 13235 के मुकाबले इस किस्म की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है। यही वजह है कि इस किस्म में ज्यादा रोग लगते हैं। कीड़ों और कीटों का प्रकोप बढ़ने से किसान का लागत बढ़ जाता है। इसलिए यदि आप सड़न रोग प्रभावित इलाकों में रहते हैं तो सीओ 0238 किस्म से गन्ने की खेती न करना ही बेहतर होगा। लेकिन यदि आपके क्षेत्र में गन्ना में किसी भी प्रकार का रोग नहीं लगता है तो एक बार इस किस्म को आजमा कर देख सकते हैं। सीओ 0238 को अभी भी काफी किसान उपयोग में ला रहे हैं। लेकिन आने वाले समय में 0238 गन्ना प्रजाति की जगह किसान 13235 प्रजाति का ही उपयोग करेंगे ऐसी उम्मीद है।

गन्ने की खेती से कितनी होगी कमाई (Earning from Sugarcane Farming)

गन्ना किसान की सालाना कमाई कई चीजों पर निर्भर करती है। जैसे जमीन की उत्पादकता, मार्केट डिमांड आदि। साथ ही गन्ना किसान की कमाई उसके क्षेत्र पर भी निर्भर करती है। सामान्य तौर पर गन्ने की खेती में 70 से 80 टन प्रति हेक्टेयर पैदावार होती है। 3500 रुपए प्रति टन से भी जोड़ें तो करीब 2 लाख 80 रुपए का ग्रॉस इनकम गन्ना किसान को हो सकता है। जिसमें यदि 1 लाख रुपए लागत और श्रम को हटा दिया जाए तो हर साल 1.5 लाख से 1.8 लाख रुपए का मुनाफा कमाया जा सकता है। यदि किसान अपने उत्पाद को प्रोसेस्ड कर, स्वयं मार्केट में उतारें और ब्रांडिंग करें तो मुनाफा 2 गुना से 3 गुना किया जा सकता है। इसके लिए किसान पीएम किसान एफपीओ योजना (PM Kisan FPO Yojana) की भी मदद ले सकते हैं। 

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