प्रकाशित - 12 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
भारत में खरीफ सीजन में धान की बुवाई प्रमुख रूप से की जाती है। देश के लाखों किसान धान की खेती करते हैं। भारत में सबसे ज्यादा धान की खेती पश्चिम बंगाल में होती है। यहां करीब 54.34 लाख हैक्टेयर में धान की खेती होती है। यहां करीब 146.06 लाख टन धान का उत्पादन होता है। इसके अलावा उत्तरप्रदेश, पंजाब, बिहार, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्य में भी धान की खेती प्रमुखता से की जाती है। खरीफ सीजन आने वाला है और किसान बारिश से पहले धान की खेती के लिए तैयारियां शुरू कर देंगे। फसल उत्पादन में सबसे प्रमुख भूमिका बीज की होती है। यदि अच्छी किस्म के बीज उपयोग में लिए जाते हैं तो अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। ऐसे में धान का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को उन्नत किस्म के बीज का प्रयोग करना चाहिए।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन माध्यम से आपको धान की अधिक पैदावार देने वाली उन्नत किस्मों की जानकारी दे रहे हैं।
पूसा सुगंध 3 धान की एक बौनी और अधिक पैदावार देने वाली सुगंधित बासमती चावल की किस्म है। इसे उत्तर भारत के राज्यों के लिए उपयुक्त पाया गया है। इसकी खेती प्रमुख रूप से पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और जम्मू व कश्मीर में की जाती है। धान की इस किस्म 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से करीब 40 से 45 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
बासमती 370 लंबी प्रकाश अवधि की संवेदनशील किस्म है। इसके दाने लंबे पतले और अत्यधिक सुगंधित होते हैं। ये किस्म के दाने पकने के बाद करीब दुगुने आकार के हो जाते हैं। इस किस्म के पके हुए दाने चिपचिपे नहीं होते हैं और मुलायम होते हैं। यह किस्म लगभग 165 सेमी तक बढ़ती है। इसे तैयार होने में करीब 150 दिन लगते हैं। इस किस्म से 12 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज प्राप्त की जा सकती है।
धान की ये किस्म 125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसमें चमक काफी अच्छी होती है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 10.3 प्रतिशत पाई जाती है। धान की इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 45 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह किस्म मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और उड़ीसा के लिए अनुमोदित की गई है।
धान की मकराम किस्म के दाने मध्यम व लंबे होते हैं। यह एक अर्द्ध बौनी किस्त मानी जाती है। इस किस्म की खास बात ये हैं कि इस किस्म में रोग व रस चूसने वाले कीटों का प्रकोप नही होता है। अब बता की जाए इसके उत्पादन की तो इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 52 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है। ये किस्म 160 से 175 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
धान की ये किस्म जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है। यह किस्म करीब 130 दिन में पककर तैयार हो जाती है। ये किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, उडीसा और असम राज्य के लिए उपयुक्त पाई गई है।
धान की यह किस्म 115 से 120 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इस किस्म से धान की औसत पैदावार 55 से 60 क्विंटल तक प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म के पौधे बौने होते है और इसका दाना सफेद छोटे रंग का होता है। इस किस्म की खेती अधिकांश रूप् से पंजाब, उत्तरप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में की जाती है।
धान की ये किस्म सुखाड़ वाली स्थिति के लिए बहुत अच्छी किस्म हैं। ये बिना पानी के 21 दिन तक रह सकती है। इसमें बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में ये किस्म सूखाग्रस्त इलाकों के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है। इस किस्म को बिरसा कृषि विश्वविद्याल (बीएयू) द्वारा विकसित किया गया है। इस किस्म को आईआर-64 को अपग्रेड करके इसका बीज तैयार किया गया है। यह किस्म पहाड़ी इलाकों और ऐसी जगहों के लिए काफी उपयोगी है जहां पानी की कमी है। ये किस्म कम बारिश और सुखाड़ की स्थिति में भी अच्छी पैदावार देती है। ये बुवाई के 110 दिन बाद तैयार हो जाती है। इससे एक एकड़ में 16 क्विंटल और एक हैक्टेयर में करीब 40 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
जया धान की किस्म के दाने लंबे और सफेद होते हैं। यह किस्म बुवाई के बाद करीब 130 दिन में तैयार हो जाती है। ये किस्म बीएलबी, एसबी, आरटीबी और ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी किस्म है। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 50 से 60 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
धान की पीएचबी-71 किस्म के दाने लंबे, चमकदार और सफेद होते हैं। धान की ये किस्म 130 से लेकर 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इससे 87 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। यह किस्म बीपीएच, जीएम और ब्लास्ट रोग के प्रति सहिष्णु है।
धान की इस किस्म के दाने चमकदार व लंबे होते हैं। यह किस्म 125 से लेकर 130 दिन के भीतर पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म में प्रति हैक्टेयर 62 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह धान की बेतरीन किस्मों में मानी जाती है। यह किस्म धान के ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी है।
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