प्रकाशित - 03 Jan 2024
इन दिनों देश के अधिकांश राज्यों में कोहरा, शीतलहर का प्रकोप जारी है। मौसम विभाग ने सर्दी का असर और बढ़ने की चेतावनी दी है। ऐसे में आने वाले दिनों में पाला पड़ने की आशंका जताई गई है। इससे रबी फसलों को 80 प्रतिशत तक नुकसान होने की संभावना है। इस बार रबी सीजन में गेहूं, सरसों, चना, आलू, मटर सहित कई फसलों को नुकसान हो सकता है। यदि समय रहते पाले से फसलों को बचाने का इंतजाम कर लिया जाए तो संभावित नुकसान से बचा जा सकता है। बता दें कि फसलों के लिए पाला सबसे खतरनाक होता है, इससे फसलों में दाना ठीक से नहीं बन पाता है और फसल का विकास नहीं हो पाता है जिससे पैदावार में भारी कमी आती है और किसान को नुकसान उठाना पड़ता है। दिसंबर और जनवरी माह में पाला पड़ने की अधिक संभावना बनी रहती है। ऐसे में पाले से फसलों को बचाव के आसान तरीके जानना बेहद जरूरी हो जाता है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को पाला क्या है, पाले से फसल को कैसे नुकसान पहुंचता है, पाले से फसल को नुकसान से बचाने के लिए क्या उपाय करने चाहिए आदि बातों की जानकारी दे रहे हैं।
क्या होता है पाला
शीत लहर के दौरान वायुमंडल में मौजूद जल वाष्प जब पेड़-पौधों की पत्तियों या किसी ठोस पदार्थ के संपर्क में आती है, जिसका तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या इससे कम है, तो ऐसे में यह बर्फ की चादर के रूप में जमने लग जाती है। फसलों पर इस प्रकार से जमी बर्फ की चादर को ही पाला पड़ना कहते हैं।
पाले के प्रभाव से पेड़-पौधों की कोशिकाओं व ऊतकों में मौजूद पानी के बर्फ में बदल जाने के कारण इसका आयतन बढ़ जाता है। आयतन बढ़ने के कारण पौधे के ऊतक, कोशिकाएं व संवहनी नलिकाएं आदि फट जाती हैं और इससे पौधा मर जाता है। कई बार तो पाले के कारण पूरी की पूरी फसल खराब हो जाती है।
सर्दी के मौसम में शीतलहर व पाले का प्रकोप बना रहता है। इससे फसलों को काफी नुकसान होता है। जिन फसलों में पाले से सबसे अधिक नुकसान होता है उनमें टमाटर, आलू, मिर्च, बैंगन आदि सब्जियां शामिल है। वहीं फलों में पपीता एवं केले के पौधों को अधिक नुकसान होता है। इसके अलावा मटर, चना अलसी, जीरा, धनिया, सौंफ और अफीम की फसलों में सबसे अधिक 80 से 90 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है।
पाले से फसलों की सुरक्षा के लिए किसान कई आसान उपाय अपनाकर नुकसान से बचाव कर सकते हैं। फसलों को पाले से बचाव के लिए कुछ आसान उपाय या तरीके इस प्रकार से हैं।
जिस रात को पाला पड़ने की संभावना नजर आए, उस रात को 12 से 2 बजे के आसपास खेत की उत्तरी पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में खेतों के किनारों पर बोई हुई फसलों के आसपास मेड़ों पर रात के समय कूड़ा-कचरा या बेकार घास-फूस को जलाना चाहिए ताकि खेत में धुआं हो जाए जिससे खेत के वातावरण में गर्मी बनी रहे जिससे पाला का प्रभाव फसलों पर कम होगा। इस विधि से करीब 4 डिग्री सेल्सियम तक तापमान को आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
शीतलहर या पाले से बचाने के लिए पौधशालाओं में फसलों को टाट, पॉलीथीन या भूसे से ढंक दें। इससे भूमि का तापमान कम नहीं होगा और फसलों पर पाले का असर नहीं होगा। साथ ही वायुरोधी टाटियां, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानी उत्तर पश्चिमी दिशा की तरफ बांधना चाहिए। नर्सरी, किचन गार्डन में उत्तरी पश्चिम दिशा की तरफ टाटियां बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाना चाहिए और दिन में इसे पुन: हटा देना चाहिए।
जब भी पाला पड़ने की संभावना हो तब खेत की सिंचाई करनी चाहिए। इस पानी को पौधा जब अवशोषित कर ग्रहण करता है तो पौधे के अंदर जमी हुई बर्फ घुल जाती है और इससे पौधा मरने से बच जाता है। वहीं नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है व भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। भूमि में पर्याप्त मात्रा में नमी होने से फसल पर शीतलहर व पाले का प्रभाव कम पड़ता है जिससे नुकसान की कम संभावना रहती है। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो सर्दी में फसल की सिंचाई करने से 0.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ाया जा सकता है, जिससे फसलों पर पाले का असर कम पड़ता है।
जिन दिनों पाला पड़ने की संभावना नजर आए उस दिन पाले से बचाव के लिए फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। इससे पाले का असर फसल पर कम होता है। इसके लिए एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हैक्टेयर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़काव करना चाहिए। यदि इस अवधि के बाद भी पाला पड़ने की संभावना बनी रहती है तो 15-15 दिन के अंतराल में गंधक के तेजाब का छिड़काव किया जा सकता है।
सरसों, गेहूं, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाव के लिए गंधक के तेजाब का छिड़काव किया जाता है। इससे फसलों को पाले से बचाव तो होता ही है साथ ही पौधों में लोह तत्व की जैविक और रासायनिक सक्रियता भी बढ़ जाती है जिससे पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा फसल को जल्दी पकाने में भी मदद मिलती है।
इस तरह आप उपरोक्त आसान उपाय अपनाकर अपनी फसल को शीतलहर व पाले से बचाकर संभावित नुकसान से बच सकते हैं। ध्यान रहे किसी भी रासायनिक दवा का इस्तेमाल करते समय एक बार अपने निकट के कृषि विभाग से सलाह अवश्य लें।
ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको ट्रैक्टर इंडस्ट्री और खेती से संबंधित सटीक जानकारी देकर अपडेट रखता है। हम किसानों को जागरूक और समृद्ध बनाने में विश्वास रखते हैं। ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों के नए मॉडल और उनके उपयोग की जानकारी आपको सबसे पहले ट्रैक्टर जंक्शन पर मिलती है। हम किसान को फायदा पहुंचाने वाली सरकारी योजनाओं की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करते हैं। हमारी वेबसाइट पर प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों न्यू हॉलैंड ट्रैक्टर, पॉवर ट्रैक ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।
अगर आप किफायती कीमत पर नया ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं तो महिंद्रा, स्वराज, टैफे, सोनालिका, जॉन डियर आदि कंपनियों में से उचित ट्रैक्टर का चयन कर सकते हैं। हम आपको सभी कंपनियों के नए ट्रैक्टर मॉडल की जानकारी कीमत, फीचर व स्पेसिफिकेशन्स के साथ देते हैं।
अगर आप नए जैसे पुराने ट्रैक्टर व कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपने ट्रैक्टर या कृषि उपकरण का अधिकतम मूल्य मिले तो अपने बिकाऊ ट्रैक्टर / कृषि उपकरण को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।
Social Share ✖