प्रकाशित - 21 Aug 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
जलवायु परिवर्तन के इस दौर में फसलों की बेहतर पैदावार प्राप्त करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा फसलों की नई-नई किस्म विकसित की जा रही है ताकि उनसे विपरित मौसम परिस्थितियों में भी अच्छा उत्पादन मिल सके। वहीं ये किस्में कीट रोग के लिए प्रतिरोधी हैं। इसी कड़ी में हाल ही में वैज्ञानिकों की ओर से सीआर धान 416 किस्म (CR Paddy 416 variety) को विकसित किया गया है। धान की यह किस्म कीट एवं रोगों की प्रतिरोधी किस्म होने के साथ ही कम लागत में बेहतर पैदावार देने वाली बताई जा रही है। धान की सीआर धान 416 किस्म को आईसीएआर- राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक, ओडिशा द्वारा विकसित किया गया है। किसान भाई इस किस्म की खेती करके अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
सीआर धान 416 में कई ऐसी विशेषताएं पाई गई हैं जो आज की जलवायु परिस्थिति में भी बेहतर पैदावार दे सकती हैं। सीआर धान 416 की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार से हैं-
उपरोक्त किस्मों के अलावा धान की कई ऐसी किेस्में हैं जो कम लागत में अधिक पैदावार दे सकती हैं। कई किस्में तो इतनी लोकप्रिय हैं जिनकी खेती से किसान काफी अच्छा उत्पादन और लाभ प्राप्त कर रहे हैं, इन्हीं किस्मों से कुछ किस्में इस प्रकार से हैं जिनसे कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
धान की पूसा- 1401 बासमती किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के सहयोग से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से विकसित किया गया। यह एक अर्द्ध बौनी किस्म है जो 135 से 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म में प्रति हैक्टेयर 4-5 टन धान की पैदावार प्राप्त की जा सकती है। इसके दाने लंबे और पतले और सुगंध से भरपूर होते हैं। यह किस्म बैक्टीरियल लीफ ब्लास्ट, ब्लास्ट रोग और लवणता के प्रति सहनशील किस्म है।
धान की पंत धान-12 किस्म को भारतीय अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और जीबी पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी द्वारा विकसित किया गया है। यह भी एक अर्द्ध बौनी किस्म है जो 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म उत्तर भारत के सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त पाई गई है। इस किेस्म से प्रति हैक्टेयर 7 से 8 टन तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
धान की पूसा 834 बासमती किस्म को भारतीय अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा विकसित किया गया है। यह भी एक अर्द्ध बौनी किस्म है। यह किस्म 125 से 130 दिनों की अवधि में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म पत्ती झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधी है। इसके अलावा यह किस्म लवणता के प्रति भी सहिष्णु है। धान की इस किस्म को कम गुणवत्ता वाली मिट्टी और पानी की कमी वाले क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता प्रति हैक्टेयर 6 से 7 टन तक है।
धान की पीएचबी 17 किस्म एक उच्च पैदावार देने वाली किस्म है जिसे फिलीपींस में अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) द्वारा विकसित किया गया। यह एक अर्द्ध बौनी किस्म है। यह किस्म 105 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 6 से 7 टन तक पैदावार मिल सकती है। यह किस्म लीफ ब्लास्ट रोग के प्रति प्रतिरोधी किस्म है। इसके अलावा यह किस्म बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट और टुंग्रो वायरस जैसे अन्य रोगों के प्रति भी सहिष्णु है। धान की यह किस्म दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त पाई गई है।
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