Published - 28 Jul 2020
इस साल केसर का बंपर उत्पादन होने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे केसर का उत्पादन करने वाले किसानों को फायदा होगा। केसर के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एनएमएस के तहत, केंद्र सरकार ने 411 करोड़ रुपए के एक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी जिसके तहत केसर के लिए 3,715 हेक्टेयर क्षेत्र का कायाकल्प किया जाना प्रस्तावित था। इसमें से अब तक 2,500 हेक्टेयर के क्षेत्र का कायाकल्प किया जा चुका है। इससे केसर का उत्पादन बढ़ाने में सहायता मिलेगी। बता दें कि भारत में कश्मीर में केसर का उत्पादन होता है। इसके अलावा अब शेखावाटी में भी केसर की खेती की जाने लगी है। वहीं उत्तरप्रदेश में इसकी खेती के प्रयास जारी है।
कश्मीर में उगाए गई केसर को जीआई (जियोग्रॉफिकल इंडीकेशन) टैग मिला गया है। इस मौके पर मीडिया में दिए अपने वक्तव्य में लेफ्टिनेंट गवर्नर जी सी मुर्मू ने कहा है कि कश्मीर घाटी के उत्पाद को वैश्विक नक्शे पर लाने के लिए यह प्रमुख ऐतिहासिक कदम है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि केंद्र सरकार ने कश्मीर घाटी में पैदा किए गए केसर के लिए जीआई राजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट जारी कर दिया है। नेशनल मिशन ऑन सैफरॉन (हृरूस्) की तरफ से की गई पहल के कारण कश्मीर में केसर के केंद्र पंपोर में इस सीजन में मसाले की बंपर फसल होने की उम्मीद है।
एक अधिकारी ने कहा, जीआई सर्टिफिकेशन के बाद केसर में मिलावट पर रोक लगेगी, इससे किसानों को केसर के बेहतर दाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि अब तक 2,500 हेक्टेयर के क्षेत्र का कायाकल्प किया गया है और चालू सीजन के दौरान बंपर केसर उत्पादन होने की उम्मीद है। इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए, जम्मू और कश्मीर एलजी ने कहा कि कश्मीर घाटी में पैदा हुए केसर को दुनिया के नक्शे पर लाने के लिए यह पहला बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि जीआई टैग के साथ, कश्मीर केसर निर्यात बाजार में अधिक प्रमुखता हासिल करेगा और किसानों को इसके लिए सबसे अच्छी कीमत दिलाने में मदद करेगा। कृषि उत्पादन विभाग के प्रमुख सचिव नवीन के चौधरी ने कहा कि जीआई टैग से कश्मीरी केसर को नई पहचान मिलेगी।
केसर खाने में कड़वा होता है, लेकिन खुशबू के कारण विभिन्न व्यंजनों एवं पकवानों में डाला जाता है। इसका उपयोग मक्खन आदि खाद्य द्रव्यों में वर्ण एवं स्वाद लाने के लिए किया जाता हैं। गर्म पानी में डालने पर यह गहरा पीला रंग देता है। यह रंग कैरेटिनॉयड वर्णक की वजह से होता है। अनेक खाद्य पदार्थो में केसर का उपयोग रंजन पदार्थ के रूप में किया जाता है। इसके अलावा केसर का उपयोग आयुर्वेदिक नुस्खों में, खाद्य व्यंजनों में और देव पूजा आदि में तो केसर का उपयोग होता ही था पर अब पान मसालों और गुटकों में भी इसका उपयोग होने लगा है।
कश्मीर देश का इकलौता केसर उत्पादक राज्य है। यहां हर साल करीब 17 टन केसर का उत्पादन होता है। दुनियाभर में करीब 300 टन केसर की पैदावार होती है। ईरान दुनियाभर में केसर उत्पादन में नंबर वन है। दुनिया में जितनी केसर पैदा होती है उसका करीब 90 फीसदी ईरान में ही पैदा होता है। अब केंद्र सरकार इसके उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दे रही है। इससे हमारे देश में इसका उत्पादन बढऩे की उम्मीद जागी है।
केसर विश्व का सबसे कीमती पौधा है। कश्मीर की केसर हल्की, पतली, लाल रंग वाली, कमल की तरह सुन्दर गंधयुक्त होती है। असली केसर बहुत महंगी होती है। कश्मीरी मोंगरा सर्वोतम मानी गई है। इसकी विश्व बाजार में अधिक मांग रहती है। आमतौर पर कश्मीरी केसर का भाव 1 लाख 60 हजार रुपए से 3 लाख रुपए प्रति किलोग्राम के बीच रहता है।
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