प्रकाशित - 21 Apr 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
गन्ने की खेती (sugar cane field) करने वाले किसानों के लिए गन्ने की एक खास किस्म है जो उनकी आय बढ़ाने में सहायक हो सकती है। खास बात यह है कि इस गन्ने की खेती करके बहुत से किसान मालामाल हो रहे हैं। दरअसल इस गन्ने की किस्म से किसान गुड़ बनाकर काफी अच्छा पैसा कमा रहे हैं। इस किस्म से बनने वाला गुड़ काफी अच्छी क्वालिटी का बताया जा रहा है जिसकी बाजार में भी मांग बढ़ रही है। ऐसे में अधिकांश किसान गन्ने की इस किस्म को पसंद कर रहे है। बता दें कि गन्ने की खेती में सबसे पहला स्थान उत्तर प्रदेश का आता है। ऐसे में यहां के किसान गन्ने की इस खास किस्म की खेती करके काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ की ओर से गन्ने की किस्म 14201 को विकसित किया गया है। इस किस्म को साल 2000 में विकसित किया गया था लेकिन अब यह किस्म किसानों के लिए काफी लोकप्रिय हो रही है। यह किस्म गन्ने की 0238 किस्म के बाद तेजी से लोकप्रिय होती दूसरी अच्छी किस्म मानी जा रही है। गन्ने की यह किस्म गुड़ बनाने के लिए भी उपयोगी पाई गई है। ऐसे में किसान इस किस्म की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
गन्ने की 14201 किस्म को बंसतकालीन गन्ने की सबसे अच्छी किस्म माना जा रहा है। इस किस्म के गन्ने में कई विशेषताएं पाई जाती हैं जो इसे खास बनाती है। गन्ने की इस किस्म की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार से हैं
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आलोक शिव ने किसानों को सुझाव दिया है कि किसानों को 50 प्रतिशत अर्ली गन्ने की बुवाई करनी चाहिए और 50 प्रतिशत सामान्य जाति के गन्ने की बुवाई करनी चाहिए। किसानों को एक प्रजाति या किस्म के गन्ने पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। यदि किसान खेत में दो प्रजाति के गन्ने की खेती आधे-आधे क्षेत्र में करते हैं तो नुकसान की संभावना को कम किया जा सकता है और लाभ की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।
उपरोक्त किस्म के अलावा गन्ने की को. 0238 किस्म भी यूपी के गन्ना किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस किस्म के कारण ही न सिर्फ यूपी के किसानों की किस्मत बदली है, बल्कि उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन के साथ ही चीनी उत्पादन में भी नंबर वन बन गया है।
गन्ने की अधिक पैदावार वाली किस्मों में को. 0238 का नाम सबसे पहले आता है। यह गन्ने की अधिक उपज देने वाली किस्म मानी जाती है और किसानों के बीच भी काफी लोकप्रिय है। यूपी में अधिकांश किसान इस किस्म के गन्ने की खेती करते हैं। यह किस्म भी लाल सड़न रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी किस्म हैं। यह गन्ने की अर्ली किस्म है जिसे साल 2009 में कृषि विज्ञानियों ने खोजा था। इस प्रजाति का गन्ना वजन में तो बेहतर होता है। साथ ही इसका उत्पादन भी बेहतर होता है। गन्ने की इस प्रजाति में रोग भी कम लगते हैं। गन्ने की यह प्रजाति दोमट, बलुई सहित सभी प्रकार की मिट्टियों में आसानी से उगाई जा सकती है। इस प्रजाति का गन्ना सीधा और लंबा होता है। उत्तराखंड में इसकी औसत उपज 750 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से लेकर 800 क्विंटल तक है।
गन्ने की 11015 और पीवी 95 किस्म को बैन कर दिया गया है। क्योंकि यह किस्म पूरी तरह से लाल सड़न रोग से प्रभावित हो चुकी है। ऐसे में किसानों को गन्ने की इन किस्मों की खेती नहीं करनी चाहिए। हालांकि लाल सड़न रोग से 0238 किस्म भी प्रभावित हो चुकी है लेकिन यह किस्म उत्तर प्रदेश में सबसे चर्चित किस्म है। इस किस्म की वजह से आज उत्तर प्रदेश गन्ना और चीनी उत्पादन में सबसे टॉप पर है। ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि गन्ने की प्रजाति का चयन अपने क्षेत्र और जलवायु के हिसाब से करें। इसके लिए किसान गन्ना अनुसंधान संस्थान की ओर क्षेत्र के अनुसार अनुशंसित किस्मों की ही बुवाई करें। इसके लिए आप गन्ना अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों से सलाह भी ले सकते हैं। इसके अलावा आप अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के अधिकारियों से भी इस संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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