Published - 24 Dec 2020
दुधारू पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या बनी रहती है और दिसंबर महीने के बाद से तो हरे चारा मिलना कम हो जाता है। इससे पशुपालकों के सामने दुधारू पशुओं को हरा चारा खिलाने की समस्या का सामना करना पड़ता है। हरा चारा नहीं मिलने पर अधिकतर पशुपालक अपने दुधारू पशुओं को गेहूं, चने और मसूर आदि का सूखा भूसा खिलाते हैं। पर ये दुधारू पशुओं के लिए सही नहीं होता है। इसका परिणाम यह होता है कि पशु की दूध की गुणवत्ता में तो कमी आती ही है साथ ही उसकी मात्रा भी कम हो जाती है। निरंतर सूखा चारा खाने से धीरे-धीरे पशु दूध देना कम कर देता है जिससे दूध का उत्पादन घट जाता है और पशुपालकों को हानि उठानी पड़ती है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको ऐसी पांच घास के बारे में जानकारी देंगे जिसे उगाकर पशुपालक किसान साल भर दुधारू पशुओं को हरा चारा उपलब्ध करा सकता है।
सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रैक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1
इस घास को सालभर उगाया जा सकता है। यह स्वादिष्ट और पोष्टिक चारा फसल है। इस घास को मध्यम या उथली जगह पर आसानी से उगाया जा सकता है। इस घास को सरलता से लगाया जा सकता है। इसे लगाने के लिए इसकी जड़ों को मिट्टी में रोपाई कर दिया जाता है। यदि आपके पास सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था है तो जायद मौसम में मध्य फरवरी से अप्रैल माह में इसकी रोपाई कर सकते हैं। यदि सिंचाई की व्यवस्था नहीं है तो बरसात की शुरुआत में जुलाई से अगस्त महीने में रोपाई करना उचित रहता है। नैपियर की पहली कटाई रोपाई के 70 से 75 दिनों के बाद की जा सकती है। एक बार कटाई के बाद 35 से 40 दिनों में दोबारा कटाई लायक हो जाती है।
गिनी घास को छायादार जगहों पर आसानी से उगाया जा सकता है। इसे आम या अन्य बागानों में भी आप लगा सकते हैं। इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। रोपाई से पहले गिनी घास की नर्सरी तैयार की जाती है। इस घास की रोपाई सिंचित क्षेत्र के लिए जायद मौसम में मध्य फरवरी से अपै्रल में करनी चाहिए। वहीं असिंचित क्षेत्र में बारिश की शुरुआत में जुलाई से अगस्त महीने में की जा सकती है।
यह नैपियर घास की तुलना में अधिक बढ़वार वाली घास होती है। यह खेती के साथ मेढ़ों पर उगाई जा सकती है। इस घास को भी नैपियर घास की तरह खेतों में जड़ों की रोपाई कर उगाया जा सकता है। इस घास की ऊंचाई नैपियर घास की तुलना में अधिक होती है। इसलिए इसका उत्पादन नैपियर घास की तुलाना में अधिक लिया जा सकता है।
यह घास दलदल और अधिक नमी वाली जमीन में आसानी से उगाई जा सकती है। दो से तीन फीट पानी होने पर भी यह घास बढ़ती रहती है। इसे पानी वाली घास भी कहा जाता है। इसकी गांठों की रोपाई बरसात की शुरुआत में की जाती है। इसकी पहली कटाई 75 से 80 दिनों के बाद की जा सकती है। इसके बाद 35-40 दिनों बाद यह फिर से कटाई के योज्य हो जाती है।
इसे दलदली फसल के रूप में सीधे बुवाई या नर्सरी लगाकर रोपाई की जा सकती है। इसे ज्वार, बाजारा और मक्का आदि के साथ बरसात की शुरुआत में लगाना ज्यादा अच्छा रहता है। इसकी बढ़वार 0.8-1.6 मीटर तक होती है।
अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।
Social Share ✖