Published - 27 Apr 2022
ग्रामीण हो या शहरी क्षेत्र दोनों की जगहों पर मुर्गी पालन व्यवसाय मुनाफे का सौंदा साबित हो रहा है। आज कई किसान खेती के साथ मुर्गीपालन कर रहे हैं तो कई पशुपालक किसान खेत में ही पोल्ट्री फार्म खोल कर अपनी आय में बढ़ोतरी कर रहे हैं। इस व्यवसाय की खास बात ये हैं कि इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकार से भी सहायता मिलती है। पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए सरकार की ओर से लाभार्थी को सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। आज पोल्ट्री फार्म तेजी से बढऩे वाले व्यवसायों में गिना जाने लगा है। ऐसे में मुर्गियों को बचाने की जिम्मेदारी भी अहम हो जाती है।
बर्ड फ्लू पक्षियों में होने वाला एक खतरनाक रोग है। यह रोग बहुत तेजी से फैलता है। यह रोग पूरे के पूरे पोल्ट्री फार्म को तबाह कर सकता है। इस रोग से ग्रसित मुर्गियां एक-एक कर मरने लगती है। इस कारण हर साल लाखों मुर्गियों को सिर्फ इसलिए मार दिया जाता है ताकि बर्ड फ्लू का संक्रमण न फैल पाए। कई बार ये संक्रमण इतना अधिक हो जाता है कि मनुष्य तक में पहुंच जाता है। इसे देखते हुए बर्ड फ्लू से बचाव की जानकारी हर पशुपालक किसान और पोल्ट्री फार्म व्यवसाय करने वालों को होनी जरूरी है ताकि समय रहते इससे बचाव किया जा सके और संभावित नुकसान से बचा जा सकें। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको बर्ड फ्लू से मुर्गियों को बचाने की जानकारी दे रहे हैं।
बर्ड फ्लू मुख्य रूप से पक्षियों में तेजी से फैलने वाली खतरनाक बीमारी है। यह बीमारी एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस एच 5 एन 1 की वजह से होती है। इसे बर्ड फ्लू को एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस नाम से भी जाना जाता हैं। बर्ड फ्लू का संक्रमण चिकन, टर्की, गीस, मोर और बत्तख जैसे पक्षियों में तेजी से फैलता है। यह इन्फ्लूएंजा वायरस इतना खतरनाक होता है कि इससे इंसान व पक्षियों की मौत भी हो सकती है। अभी तक एच 5 एन 1 और एच 7 एन 9 को बर्ड फ्लू वायरस को ही इसके लिए जिम्मेदार माना जाता था लेकिन अब एच 5 एन 8 वायरस भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है।
बर्ड फ्लू के जिम्मेदार वायरस एच 5 एन 1 हानिकारक वायरस है जो पक्षियों को तेजी से संक्रमित करता हैं। इससे संक्रमित पक्षियों के पंख झडऩे लग जाते हैं, उन्हें बुखार होने लगता है। संक्रमण पक्षियों के शरीर का तापक्रम सामान्य से काफी अधिक हो जाता है और संक्रमण अधिक बढऩे पर पीडि़त पक्षी की मौत हो जाती है। बर्ड फ्लू से संक्रमित मुर्गियों में जो लक्षण देखे गए उनमें से कुछ लक्षण इस प्रकार से हैं-
बर्ड फ्लू पक्षियों से इंसानों में भी फैल सकता है। हालांकि ऐसे कम ही मामले सामने आए हैं फिर भी कुछ मामलों में ऐसा पाया गया है कि बर्ड फ्लू की बीमारी पक्षियों से पक्षियों और फिर इंसानों तक पहुंची है और एक इंसान से दूसरे इंसान में इसका संक्रमण फैल सकता है। इसलिए ये बीमारी न केवल पक्षियों के लिए घातक है बल्कि मनुष्यों के लिए भी जानलेवा हो सकती है।
बर्ड फ्लू से मुर्गियों सहित अन्य पक्षियों को बचाने के लिए हम कुछ उपाय कर सकते हैं। इन उपायों से काफी हद तक बर्ड फ्लू को फैलने से रोका जा सकता है। ये उपाय इस प्रकार से हैं-
कई बार देखा जाता है कि कम जगह होने की स्थिति में पक्षी पालक दो प्रजाति के पक्षियों या जानवरों को एक ही स्थान पर रखने लग जाते हैं। जैसे- मुर्गी के साथ तीतर, बटेर आदि पक्षियों को एक साथ रखते हैं। ऐसे में बर्ड फ्लू होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। यदि इनमें से यदि एक पक्षी भी बर्ड फ्लू से संक्रमित हुआ तो वह बाड़े के अन्य प्रजाति के पक्षियों को भी संक्रमित कर देगा। इससे ट्रांसमीशन की दर बढ़ जाएगी। और ये बीमारी मुर्गी तक ही नहीं, तीतर, बटेर तक फैल जाएगी। इसलिए कभी भी अलग-अलग प्रजाति के पक्षियों को एक बाड़े में नहीं रखें। हर प्रजाति के पक्षियों और जानवरों के लिए अलग-अलग बाड़े की व्यवस्था करें, ताकि संभावित संक्रमण से बचा जा सके।
बर्ड फ्लू एक ऐसी बीमारी है जो एक पक्षी या जानवर से दूसरे में बड़ी तेजी से फैलती है। इसमें ट्रांसमीशन का खतरा सबसे अधिक होता है। इसलिए पोल्ट्री फॉर्म में बाहरी पक्षियों के प्रवेश पर रोक लगानी चाहिए। यही नहीं बाहरी व्यक्ति को भी पोल्ट्री फार्म के अंदर प्रवेश नहीं देना चाहिए। ऐसा इसलिए कि यदि पोल्ट्री फार्म में आने वाला बाहरी व्यक्ति या पक्षी बर्ड फ्लू से पीडि़त है तो ये आपके और आपके पोल्ट्री फार्म के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।
यदि आप पोल्ट्री फार्म में नया उपकरण या कोई नया पक्षी लाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले उसे आवश्यक दवाओं के छिडक़ाव से उसे संक्रमण मुक्त किया जाना चाहिए। ऐसा ही उपकरण के प्रयोग से पहले करें। इससे काफी हद तक बर्ड फ्लू के खतरें से बचा जा सकता है। यदि आप आपने पोल्ट्री फार्म के लिए नए चूजे लेकर आ रहे हैं तो उन्हें कम से कम 30 दिनों के बाद ही स्वस्थ्य चूजों के साथ रखा जाना चाहिए। इस दौरान 30 दिनों तक चूजों की निगरानी भी की जानी चाहिए ताकि बर्ड फ्लू के जैसे कोई भी लक्षण दिखाई दे तो उसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं जा सकें।
पोल्ट्री फार्म की साफ-सफाई पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। इसके लिए पक्षियों के रखने के बाड़े को स्वच्छ रखें। इसके लिए पोल्ट्री फार्म की नियमित साफ-सफाई अवश्य करें। समय-समय पर चूने के घोल का छिडक़ाव करें। मुर्गियों को बाड़े में आवश्यकता से अधिक मुर्गियां को न रखें। बाड़े की क्षमता के अनुरूप ही मुर्गियां रखें ताकि उन्हें पर्याप्त स्थान और दूरी मिल सके जिससे बर्ड फ्लू होने का खतरा कम होगा।
यदि बाड़े में किसी पक्षी में बर्ड फ्लू के लक्षण दिखाई दे तो उस पक्षी को अन्य स्वस्थ पक्षियों से तुरंत अलग कर दें और अलग स्थान पर रखें। इसके अलावा इसकी सूचना प्रशासन और निकटतम पशु चिकित्सालय को दें ताकि बर्ड फ्लू के खतरे से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें। ऐसा करके किसान अपने पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू को फैलने से बचा सकते हैं।
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