Published - 21 Dec 2020
नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब व हरियाणा के किसानों सहित देशभर के किसान आक्रोशित है। वहीं पंजाब=हरियाणा व अन्य राज्यों के किसानों का दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन लगातार जारी है। इस बीच हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए गन्ना खरीद के नए भाव 350 रुपए प्रति क्विंटल की घोषणा की है। सरकार का दावा है कि यह देश में गन्ना खरीद का सबसे ज्यादा भाव है। आपकों बता दें केंद्र सरकार की ओर से अगस्त 2020 में गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 285 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। यह दाम गन्ने के अक्टूबर 2020 से शुरू हुए नए विपणन सत्र के लिए तय किया गया था। अब हरियाणा सरकार ने वर्ष 2020-21 के पेराई सत्र के लिए गन्ने की दर 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 350 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला किया है।
सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रैक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1
गन्ना उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। देश के उत्तरप्रदेश, तमिलनाडू, महाराष्ट्र, बिहार, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा व पंजाब प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य है। देश में रबी एवं खरीफ फसलों की तरह ही गन्ने की फसल का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले ही तय कर दिया जाता है। इस मूल्य के अनुसार ही चीनी मिलों द्वारा किसानों को गन्ना खरीदी का भुगतान किया जाता है।
गन्ना उत्पादक किसानों को उचित और लाभकारी मूल्य मिल सके, इसके लिए सरकार द्वारा (उचित एवं लाभकारी मूल्य) एफआरपी का निर्धारण ‘एफआरपी’ गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत किया जाता है। केंद्र सरकार ने गन्ना सीजन 2020-21 के लिये एफआरपी 10 प्रतिशत की रिकवरी के आधार पर 285 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
हरियाणा में गन्ने के भाव में की गई 10 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि प्रदेश के गन्ना किसानों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए हरियाणा की खट्टर सरकार ने पिराई सत्र 2020-21 के लिए गन्ने का भाव (राज्य परामर्श मूल्य) 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 350 रुपये प्रति क्विंटल करने का निर्णय लिया है, जोकि देश में सर्वाधिक है। इस संबंध में जानकारी देते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने इस संबंध में एक प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। गन्ने के भाव में यह वृद्धि हरियाणा के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए की गई है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 सत्र की तर्ज पर चालू पेराई सत्र 2020-21 के लिए गन्ना किसानों को सब्सिडी प्रदान करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। बयान में कहा गया है कि वर्ष 2018-19 पेराई सत्र के लिए 81.37 करोड़ रुपये और मई 2020 तक 2019-20 के लिए 124.14 करोड़ रुपये से अधिक राशि, राज्य की विभिन्न चीनी मिलों को सब्सिडी के रूप में प्रदान किया गया।
देश में चीनी के दाम कम होने से चीनी मिलें और किसान संकट में है। अब केंद्र सरकार ने चीनी का निर्यात करने का फैसला किया है। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया था कि आर्थिक मामलों पर कैबिनेट की कमेटी ने गन्ना किसानों के लिए चीनी निर्यात पर 3,500 करोड़ रुपये सब्सिडी को मंजूरी दी थी। इससे देश के 5 करोड़ गन्ना किसानों को सीधे फायदा पहुंचेगा। जावड़ेकर ने बताया कि एक हफ्ते के भीतर 5000 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी किसानों को मिलेगी। साथ ही उन्होंने बताया कि 60 लाख टन चीनी को 6 हजार रुपये प्रति टन के हिसाब से निर्यात किया जाएगा। उनके मुताबिक, इस साल चीनी का उत्पादन 310 लाख टन होगाञ वहीं, देश की खपत 260 लाख टन है। चीनी का दाम कम होने की वजह से किसान और चीनी मिलें संकट में हैं।
इसके बाद खाद्य मंत्री पीयूष गोयल का बयान आया कि सरकार गन्ने पर उचित लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को कम नहीं कर सकती है। उन्होंने उद्योग से कुशल और मुनाफेदार बनने तथा केंद्रीय सब्सिडी पर कम से कम निर्भरता रखते हुए उत्पाद पोर्टफोलियो का विविधीकरण करने को कहा। एफआरपी वह न्यूनतम कीमत है, जिसपर चीनी मिलें किसानों से गन्ना खरीदती हैं।
अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।
Social Share ✖