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शरदकालीन गन्ना की खेती : किसानों को मिलेंगे नई किस्मों के बीज, यहां करें संपर्क

प्रकाशित - 03 Nov 2024

गन्ना किसानों को गन्ना बीजों का आवंटन, जानिए किस जिले को कौनसी किस्म के बीज हुए आवंटित

धान फसल की कटाई के बाद अब किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई में जुट गए हैं। शरदकालीन गन्ने की खेती किसानों को कई तरह से फायदा पहुंचाती है। अक्टूबर व नवंबर के महीने में शरदकालीन गन्ने की फसल उगाने से किसानों को अच्छा उत्पादन मिलता है। वहीं चीनी मिल भी शरदकालीन गन्ने को खरीदना पसंद करती है। साथ ही किसान शरदकालीन गन्ने के साथ सहफसली खेती भी कर सकते हैं। शरदकालीन गन्ना की खेती से किसान ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सके, इसके लिए किसानों को उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए। सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तरप्रदेश के गन्ना एवं चीनी विभाग ने अलग-अलग जनपदों में गन्ना बीजों का आवंटन कर दिया है। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से जानें कि किस जनपद को कौनसी किस्म व कितने बीजों का आवंटन किया गया है।

किसानों को ब्रीडर शीड आवंटित

गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रभु नारायण सिंह के अनुसार, शरद ऋतु से शुरू गन्ना की बुवाई के लिए किसानों को ब्रीडर शीड आवंटित किया गया है। बुवाई वर्ष 2024-25 के लिए अभिजनक बीज गन्ना का प्रजातिवार गन्ना उत्पादक जिलों को आवंटन किया जा रहा है। 

आयुक्त ने बताया कि शाहजहांपुर में उप्र गन्ना शोध परिषद के अधीन शोध परिक्षेत्रों, निजी व सहकारी चीनी मिल परिक्षेत्रों एवं कृषक परिक्षेत्रों पर उत्पादित ब्रीडर शीड बुवाई के लिए गन्ना बीज का अधिष्ठापन सुनिश्चित कराये जाने के निर्देश भी जारी किये गए हैं।

जानिए किस क्षेत्र को कितने मिले बीज

गन्ने की शरदकालीन बुवाई के लिए सहारनपुर परिक्षेत्र को 7342 क्विंटल, मेरठ परिक्षेत्र को 5617 क्विंटल, मुरादाबाद परिक्षेत्र को 8578 क्विंटल, बरेली परिक्षेत्र को 11368 क्विंटल, लखनऊ परिक्षेत्र को 12239 क्विंटल, अयोध्या परिक्षेत्र को 1990 क्विंटल, देवीपाटन परिक्षेत्र को 4912 क्विंटल, गोरखपुर परिक्षेत्र को 4771 क्विंटल एवं देवरिया परिक्षेत्र को 4688 क्विंटल गन्ना का बीज आवंटन किया गया है।

इन किस्मों के बीजों का आवंटन

नवीन गन्ना किस्मों के सिंगल बड विधि से बुवाई को लेकर आयुक्त ने बताया कि आगामी वर्षों के बीज गन्ना की अधिक एवं त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिये सहारनपुर परिक्षेत्र को गन्ना किस्म को लशा. 16202 की 1.50 लाख, को.शा. 17231 की 12.17 लाख, मेरठ परिक्षेत्र को को.लख. 16202 की 1.80 लाख, को.शा. 17231 की 11.70 लाख, मुरादाबाद परिक्षेत्र को को. लख. 16202 की 2.70 लाख, को.शा. 17231 की 23.20 लाख, बरेली परिक्षेत्र को को.लख. 16202 की 2.00 लाख, को.शा. 17231 की 20.70 लाख, लखनऊ परिक्षेत्र को को. लख. 16202 की 2.00 लाख, को.शा. 17231 की 19.80 लाख, अयोध्या परिक्षेत्र को को.शा. 17231 की 9.80 लाख, देवीपाटन परिक्षेत्र को को.शा. 17231 की 7.50 लाख, गोरखपुर परिक्षेत्र को को. लख. 15466 की 3.00 लाख, को.शा. 17231 की 3.62 लाख एवं देवरिया परिक्षेत्र को को. लख. 15466 की 2.00 लाख, को.शा. 17231 की 6.10 लाख बड का आवंटन किया गया है। इस प्रकार को. लख. 15466 की 5 लाख, को. लख. 16202 की 10 लाख एवं को.शा. 17231 की 114.59 लाख बड (बीज) का आवंटन किया गया है।

खेत पर स्थापित होंगी आधार पौधशालाएं

गन्ना आयुक्त ने बताया कि वितरित अभिजनक बीज गन्ना से त्रिस्तरीय बीज उत्पादन कार्यक्रम के अन्तर्गत किसानों के खेत पर आधार पौधशालाएं स्थापित होंगी तथा आगामी गन्ना बुवाई हेतु स्वस्थ एवं रोग रहित बीज गन्ना की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। जिससे प्रदेश का गन्ना एवं चीनी उत्पादन बढ़ेगा।

किसानों को यहां से मिलेंगी गन्ना की नई किस्में

शरद कालीन गन्ने की बुवाई में स्वस्थ बीजों का उपयोग करना चाहिए। गन्ना एवं चीनी आयुक्त ने बताया कि यूपी के सभी गन्ना किसान अपने जिले के जिला गन्ना अधिकारी एवं ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक से संपर्क कर आवश्यकता अनुसार बीज प्राप्त कर सकते हैं।

शरदकालीन और बसंत कालीन गन्ने की खेती में अंतर

गन्ना किसान गन्ने की शरदकालीन और बंसत कालीन खेती करते हैं। इनमें शरदकालीन खेती को अधिक फायदेमंद बताया जाता है। इसके पीछे कई कारण है जो इस प्रकार है :

  • उत्पादकता के मामले में शरदकालीन गन्ने की बुवाई बसंतकालीन गन्ने के मुकाबले बेहद अच्छी रहती है।
  • किसानों को अच्छा जमाव मिलता है।
  • शरदकालीन गन्ने में बसंत कालीन गन्ने के मुकाबले बेहद कम लागत लगानी पड़ती है।
  • शरदकालीन गन्ने को पकने के लिए अधिक समय मिलता है। जबकि बसंतकालीन गन्ने में इतने समय में जमाव होता है।
  • शरदकालीन गन्ने की बुवाई से चीनी मिलों को भी फायदा होता है. 0.5 इकाई चीनी परता भी ज्यादा मिलता है।
  • शरद काल में बोए हुए गन्ने में सहफसली उगाकर किसान अतिरिक्त आमदनी ले सकते हैं जबकि बसंतकालीन खेती में इसकी कम संभावना है।

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