इस माह गन्ने की फसल को लग सकता है ब्लैक बग रोग, ऐसे करें बचाव

Share Product प्रकाशित - 07 Apr 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

इस माह गन्ने की फसल को लग सकता है ब्लैक बग रोग, ऐसे करें बचाव

जानें, गन्ने की फसल को ब्लैक बग रोग से बचाने के कारगर उपाय

गन्ने की खेती (sugar cane field) करने वाले किसानों को अप्रैल से जून तक के महीनों में अपनी गन्ने की फसल की विशेष रूप से देखभाल करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह समय गन्ने की फसल में रोग लगने का समय होता है। इस समय गन्ने में काला चिटका जिसे ब्लैक बग (black bug) भी कहा जाता है इस कीट के लगने की संभावना अधिक रहती है। यदि किसान पहले से इसके बारे में जागरूक रहे तो इस कीट से होने वाले रोग के दुष्प्रभाव से अपनी गन्ने की फसल को बचा जा सकता है। काला चिटका (ब्लैक बग) कीट गन्ने में लगने वाला ऐसा कीट है जिसका समय पर नियंत्रण नहीं किया जाए तो इससे पूरी की पूरी फसल भी बर्बाद हो सकती है। ऐसे में गन्ना किसानों को इस कीट-रोग की जानकारी होना बेहद जरूरी है ताकि समय रहते इस पर नियंत्रण करके भावी नुकसान से बचा जा सके।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से गन्ने के काला चिटका (ब्लैक बग) कीट की पहचान और इसकी रोकथाम के उपाय के बारे में जानकारी दे रहे है।

क्या है काला चिटका (ब्लैक बग) कीट और इसकी पहचान (What is black bug insect and its identification)

गन्ने में लगने वाला काला चिटका ब्लैक बग कीट गन्ने की पेडी पर ज्यादा सक्रिय रहता है। यह कीट गन्ने के पौधे की पत्तियों का रस चूसता है। इससे फसल दूर से पीली दिखाई देने लगती है। इससे पैदावार में 10 से 15 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है।

कैसे करें काला चिटका (ब्लैक बग) कीट की रोकथाम (How to prevent black bug insect)

जिस खेत में फसलों पर काला चिटका (ब्लैक बग) कीट प्रकोप दिखाई दे तो इसकी रोकथाम के लिए वर्टिसिलियम लैकानी 1.15 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. 2.5 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से 400-500 लीटर पानी में घोलकर आवश्यकतानुसार 15 दिन के अंतराल में शाम के समय छिटकाव करना चाहिए।  इसके अलावा किसान इस कीट की रोकथाम के लिए रायायनिक नियंत्रण हेतु नीचे दिए गए किसी एक कीटनाशक प्रयोग कर सकते हैं-

  • क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. 1.5 लीटर प्रति हैक्टेयर 800 से 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर सकते है।
  • इसके अलावा किसान क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई.सी. 1.5 लीटर प्रति हैक्टेयर 800 से 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जा सकता है।

इस समय कडुआ रोग की भी रहती है संभावना (There is also a possibility of Kadua disease at this time)

गन्ने की फसल में काला चिटका (ब्लैक बग) कीट के अलावा कडुआ रोग (bitter disease) जिसे चाबुक कडुआ के नाम से भी जाना जाता है, इसके प्रकोप की भी अधिक संभावना बनी रहती है। ऐसे में किसानों को गन्ने के इस रोग की भी जानकारी होनी चाहिए ताकि समय पर रोकथाम करके संभावित फसल हानि से बचा जा सके। फसल में इस रोग का प्रकोप अप्रैल से मई तक रहता है।

क्या है कडुआ रोग (चाबुक कडुआ) (What is Kadua disease (whip kadua))

इस रोग से ग्रस्त गन्ने की पत्तियां पतली, नुकीली तथा पोरिया लंबी हो जाती हैं। प्रभावित गन्नों में छोटे या लंबे काले कोडे निकल आते हैं जिन पर कवक के असंख्य बीजाणु स्थित होते हैं। इस रोग का प्रभाव पेडी गन्ने पर अधिक देखने को मिलता है।

कैसे करें कडुआ रोग की रोकथाम (How to prevent Kadua disease)

किसान को चाहिए कि वे गन्ने की इस रोग की प्रतिरोधी प्रजातियों के गन्ने की बुवाई करें। बुवाई के लिए बीज गन्ने का चयन स्वस्थ और रोग रहित खेतों से करना चाहिए ताकि अगली फसल को रोग मुक्त रखा जा सके। इसके अलावा किसान नीचे दिए गए बचाव के तरीकों कसे अपना करके भी इस रोग का नियंत्रण कर सकते हैं।

  • रोगी थान का समूल उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए ताकि स्वस्थ गन्नों में दुबारा संक्रमण न हो सके।
  • रोग से प्रभावित खेत में कम से कम एक वर्ष तक गन्ना नहीं बोना चाहिए।
  • खेत में समुचित जल निकास की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि बारिश के मौसम में फसल में पानी का जमाव नहीं हो सके।
  • रोग से प्रभावित खेत में कटाई के बाद उसमें पत्तियां एवं ठूठे को पूरी तरह जलाकर नष्ट कर देना चाहिए तथा खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए।
  • यदि रोग प्रकोप अधिक हो तो आप रासायनिक उपाय भी अपना सकते हैं। इसके लिए बुवाई से पहले गन्ने के 50 क्विंटल बीज सेट को एम.ई.एम.सी 6 प्रतिशत 830 ग्राम प्रति हैक्टेयर प्रति की दर से उपचारित कर बुवाई करनी चाहिए। 

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