सितंबर-अक्टूबर में करें सरसों की इन टॉप 6 अगेती किस्मों की बुवाई, होगी बेहतर पैदावार

Share Product प्रकाशित - 21 Sep 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

सितंबर-अक्टूबर में करें सरसों की इन टॉप 6 अगेती किस्मों की बुवाई, होगी बेहतर पैदावार

जानें, कौनसी है ये किस्में और क्या है इनकी बुवाई का तरीका

Mustard Cultivation : सरसों की खेती करने के इच्छुक किसानों के लिए पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने एडवाजरी जारी की है जिसमें सरसों की अगेती खेती के लिए पूसा सरसों- 24 पूसा सरसों- 25, पूसा सरसों-28, पूसा अग्रणी, पूसा तारक, पूसा महक जैसी कम अवधि में तैयार होने वाली किस्मों की बुवाई की सलाह किसानों को दी गई है। इसके अलावा किसानों को सरसों की खेती के लिए बीज की व्यवस्था और खेत की तैयारी की सलाह दी है। किसान सरसों की अगेती फसल की बुवाई सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर अक्टूबर के मध्य तक कर सकते हैं। 

पूसा सरसों- 24 (एलईटी- 18) किस्म (Pusa Mustard- 24 (LET- 18) variety)

सरसों की पूसा सरसों- 24 (एलईटी- 18) किस्म 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसत उपज क्षमता 20.25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है और इसमें 26.55 प्रतिशत तेल की मात्रा पाई जाती है। सरसों की इस किस्म में एरूसिक एसिड (<2.0 प्रतिशत) किस्म है, जो समय पर बोई जाने वाली सिंचित क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। पूसा सरसों- 24 (एलईटी- 18) को हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली व जम्मू-कश्मीर के मैदानी इलाकों और उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों के लिए अधिक उपयुक्त माना गया है।  

पूसा सरसों 25 किस्म (Pusa Mustard 25 Variety)

पूसा सरसों 25 किस्म सरसों की अधिक उपज देने वाली किस्म में से एक है। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 18 से 20 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है। यह किस्म 105 से 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके बीजों में तेल की मात्रा 39.6 प्रतिशत पाई जाती है। सरसों की यह किस्म डाउनी फंगस और सफेद जंग के लिए अधिक प्रतिरोधी किस्म है।

पूसा सरसों 28 किस्म (Pusa Mustard 28 Variety)

सरसों की पूसा सरसों 28 किस्म भी कम अवधि में पककर तैयार होने वाली किस्म है। यह किस्म बुवाई के 107 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है। सरसों की इस किस्म से बीज उपज 19.93 क्विंटल प्रति हैक्टेयर प्राप्त की जा सकती है। वहीं इस किस्म में तेल की मात्रा 41.5 प्रतिशत पाई जाती है। खास बात यह है कि यह किस्म अंकुरण की अवस्था में अधिक तापमान को भी सहन कर सकती है। इस किस्म को दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल, जम्मू कश्मीर व पश्चिमी यूपी के मैदानी इलाकों में खेती के लिए अधिक उपयुक्त पाया गया है।

सरसों की पूसा अग्रणी किस्म (Mustard Pusa Agranee variety)

सरसों की पूसा अग्रणी किस्म भारतीय सरसों की पहली जल्दी पैदावार देने वाली किस्म है जो करीब 110 दिन में तैयार हो जाती है। ऐसे में इस किस्म को तोरिया का एक अच्छा विकल्प माना जाता है। पूर्वोत्तर और पूर्वी राज्यों में इस किस्म को धान की फसल के बाद उगाया जा सकता है। सरसों की इस किस्म की औसत बीज उपज क्षमता 17.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। वहीं इसमें 39 से 40 प्रतिशत तेल तक की मात्रा होती है।

सरसों की पूसा तारक (ईजे-9912-13) किस्म (Pusa Tarak (EJ-9912-13) variety of mustard)

सरसों की पूसा तारक (ईजे-9912-13) किस्म बहुफसली प्रणाली के लिए उपयुक्त है। यह किस्म उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहां जनवरी माह में सब्जी या गन्ने की खेती की जाती है। इस किस्म से औसत बीज उपज 19.24 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है। यह एक मोटे बीज वाली किस्म है जिसमें करीब 40 प्रतिशत तेल की मात्रा पाई जाती है। यह किस्म 121 दिन की अवधि में पककर तैयार हो जाती है।

सरसों की पूसा महक (जेडी-6) किस्म (Mustard variety Pusa Mehak (JD-6))

सरसों की पूसा महक (जेडी-6) किस्म की औसत बीज उपज क्षमता 17.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। इसके बीजों में 40 प्रतिशत तेल की मात्रा पाई जाती है। इस किस्म को पककर तैयार होने में करीब 118 दिन का समय लगता है। यह किस्म एनईआर और ई-क्षेत्रों के चावल के खेतों के लिए उपयुक्त है। इस किस्म को मुख्य रूप से दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम राज्य के लिए उपयुक्त माना गया है।

सरसों की अगेती बुवाई का तरीका (Method of early sowing of mustard)

वैसे तो सरसों की खेती (Mustard Cultivation) सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है, लेकिन इसकी अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। सरसों की अगेती बुवाई सितंबर के अंत और अक्टूबर के मध्य तक कर लेनी चाहिए। सरसों बुवाई के लिए खेत को ट्रैक्टर (Tractor) व रोटावेटर (Rotavator) की सहायता से अच्छी तरह से जुताई करके तैयार कर लेनी चाहिए। इसके बाद सरसों की बुवाई सीड ड्रिल मशीन (Seed drill machine) से करनी चाहिए। इसकी बुवाई के लिए कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखना चाहिए। सरसों की बुवाई के लिए एक एकड़ में एक किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त रहती है। बुवाई के समय इसकी फसल में 100 किलोग्राम सिंगल सुपरफॉस्फेट, 35 किलोग्राम यूरिया व 25 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग करना चाहिए। सरसों के बीज की बुवाई के 30 से 35 दिन बाद खेत में पहली सिंचाई करनी चाहिए।

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