प्रकाशित - 14 Jul 2022
बाजरा की बुवाई का समय आ गया है। विशेषकर राजस्थान में खरीफ सीजन में प्रमुख रूप से बाजरे और मक्का की खेती की जाती है। इसके अलावा गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, पंजाब और मध्यप्रदेश में भी बाजरे की खेती होती है। बाजरे की खेती की सबसे बड़ी विशेषता ये हैं कि इसमें कम पानी की आवश्यकता होती है और ये फसल अधिक तापमान को भी सहने की क्षमता रखती है। इसकी फसल को विशेष देखभाल की जरूरत भी कम ही पड़ती है।
बाजरे का उपयोग बाजरे की रोटी बनाने, खिचड़ी बनाने, बाजरे का चूरमा बनने सहित बीयर और वाइन बनाने में भी किया जाता है। इसके अलावा बाजरा दुधारू पशुओं को दलिया एंव मुर्गियों को दाने के रूप में खिलाया जाता है। बाजरे का हरा चारा पशुओं के लिए उत्तम रहता है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को बाजरे का बेहतर उत्पादन देने वाली किस्मों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
किसानों को अपने राज्य या जिले के अनुसार किस्मों का चयन करना चाहिए। इससे किसानों को अधिक उपज के साथ ही रोग और कीटों की समस्या से निपटने में आसानी होगी। बाजरे की प्रमुख उन्नत किस्में इस प्रकार से हैं-
बाजरे की यह किस्म 70-74 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। बाजरे की यह किस्म जोगिया रोग रोधी एवं सूखा सहनशील है। बाजरा की इस किस्म से 42 से 43 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है।
बाजरे की यह किस्म 80-81 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। बाजरे की यह किस्म प्रमुख बीमारियों व कीटों के लिए प्रतिरोधी है। बाजरा की इस किस्म से 30 से 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है।
बाजरे की यह किस्म 80-81 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म हरित बाली रोग एवं ब्लास्ट रोग प्रतिरोधी है। बाजरे की इस किस्म से 30 से 31 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है।
बाजरे की यह किस्म 70-71 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। बाजरे की यह किस्म जोगिया रोग रोधी एवं सूखा सहनशील है। बाजरा की इस किस्म से 28 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है।
बाजरे की यह किस्म 80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। बाजरे की इस किस्म से 26 से 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है। बाजरे की यह किस्म जोगिया रोगरोधी है।
एच.एच.बी. 67-2 - बाजरे की यह किस्म 62-65 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। बाजरे की यह किस्म अगेती एवं पिछेती बुआई के लिए उपयुक्त है। बाजरा की इस किस्म से 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है।
आई सी. एम. व्ही. 221- यह किस्म 75 से 80 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसकी औसत पैदावार 15 क्विंटल /हेक्टेयर तथा चारे की पैदावार 35 क्विंटल /हेक्टेयर पाई गई है। यह किस्म हरितबाली रोग प्रतिरोधक है।
राज-171- यह मुक्त परागित किस्म 80 से 85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। दाने की उपज 20 क्विंटल /हेक्टेयर तथा चारे की पैदावार 48 क्विंटल/हेक्टेयर पाई गई है। यह किस्म हरितबाली रोग प्रतिरोधक है।
आई. सी. एम. बी. 84400- फसल अवधि 80-100, दिन औसत उपज 21-22 क्विंटल तथा सूखे चारे की उपज 68 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं।
डब्लू. सी. सी. 75- यह संकुल किस्म देशी किस्मों से अच्छी है। यह किस्म 70-80 दिन में तैयार होकर प्रति हेक्टेयर 18-20 क्विंटल दाना तथा 85-90 क्विंटल कड़वी की उपज देती है।
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