Published - 19 Feb 2020
ट्रैक्टर जंक्शन पर किसान भाइयों का एक बार फिर स्वागत है। आज हम बात करते हैं मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की। मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी की पोषक स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है और साथ ही मृदा स्वास्थ्य और इसकी उर्वरता में सुधार के लिए पोषक तत्वों की उचित खुराक पर सिफारिश की जाती है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना ने 19 फरवरी 2020 को पांच साल पूरे कर लिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ से मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का शुभारंभ किया था। देश में 2017-2019 तक 11.69 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड बांटे जा चुके हैं। सरकार ने योजना के क्रियान्वयन परिणामों की रिपोर्ट जारी की है। जिसमें दावा किया गया है कि इस योजना से देश के किसानों की आमदनी में लगभग 30 हजार रुपए प्रति एकड़ तक इजाफा हुआ है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत ग्राम स्तर पर मिनी मृदा परीक्षण प्रयोगशाला खोली जाती है जिसमें मिट्टे के नमूने एकत्रित किए जाते हैं। ग्रामीण युवा प्रयोगशाला खोलकर सरकार से 3.75 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकता है।
राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (नेशनल प्रोडक्टिविटी काउंसिल) ने फरवरी 2017 में सरकार के समक्ष रिपोर्ट पेश की थी, जिसके बाद अब कृषि मंत्रालय की ओर से 2020 में इसे जारी किया गया है। रिपोर्ट को देश के लगभग 19 राज्यों के 76 जिलों के 170 मृदा हेल्थ टेस्टिंग लैब द्वारा तैयार किया गया है। साथ ही करीब 1700 किसानों से सवाल-जवाब भी किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार मृदा स्वास्थ्य कार्ड से उर्वरकों के उपयोग में 10 फीसदी तक की कमी आई है। साथ ही उत्पादकता में 5-6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना में मिट्टी में कम हो रहे पोषक तत्वों की समस्या पर फोकस किया जाता है।
राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद की रिपोर्ट के अनुसार किसानों की आमदनी खाद की बचत और अच्छे उत्पादन से बढ़ी है। दलहनी फसलों में अरहर की खेती से प्रति एकड़ 25-30 हजार रुपए की आमदनी हुई है। जबकि सूरजमुखी की खेती में लगभग 25 हजार रुपए, मूंगफली की खेती में 10 हजार रुपए, कपास से 12 हजार रुपए की आमदननी होने के आंकड़े बताए गए हैं। इसके अलावा धान की खेती में 4500 रुपए और आलू की खेती में 3 हजार रुपए प्रति एकड़ की वृद्धि दिखाई गई है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के बाद किसानों की खेती में नाइट्रोजन वाली खाद यूरिया की खपत में काफी कमी देखने को मिली है। अनुमान है कि धान की खेती की लागत में नाइट्रोजन की बचत से किसानों को लगभग 16-25 प्रतिशत का फायदा हुआ है। इससे प्रति एकड़ लगभग 20 किलो यूरिया की बचत हुई है। वहीं दलहनी फसलों की खेती में करीब 15 प्रतिशत कम खाद लगी है जिससे लगभग 10 किलो यूरिया की बचत हुई है। इसके अलावा तिलहनी फसलों में लगभग 10-15 प्रतिशत और मूंगफली की खेती में लगभग 23 किलो यूरिया कम लगा है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड के तहत गेहूं, धान और ज्वार की खेती में खाद का उचित उपयोग हुआ है। जिससे फसलों का उत्पादन 10-15 प्रतिशत तक बढ़ा है। यही वजह है कि दलहनी फसलों में 30 फीसदी और तिलहनी फसलों में 40 फीसदी की वृद्धि का आकलन किया गया है।
साल स्वीकृत राशि
2014-15 23.89
2015-16 96.47
2016-17 133.66
2017-18 152.76
2018-19 237.40
2019-20 107.24
कुल 751.42
राज्य सरकार कृषि विभाग या आउटसोर्स एजेंसी के स्टॉफ के माध्यम से मिट्टी के नमूने एकत्रित करती है। सामान्यत: वर्ष में दो बार क्रमश: रबी और खरीफ फसलों की कटाई के बाद मिट्टी के नमूने लिए जाते हैं या जब खेत में फसल नहीं हो। मिट्टी का नमूना ‘वी’ आकार में मिट्टी की कटाई के उपरांत 15-20 से.मी. की गहराई से एक प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा एकत्रित किए जाते हैं। यह खेत के चार कोनों और खेत के मध्य से एकत्रित करने के बाद पूरी तरह से मिलाए जाते हैं। इनमें से एक भाग नमूने के रूप में लिया जाएगा। छाया वाले क्षेत्र को छोड़ दिया जाएगा। चयनित नमूने को बैग में बंदकर एक कोड नंबर दिया जाता है। इसके बाद इसे विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला भेज दिया जाता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैविक खादों की सिफारिशों सहित छह फसलों के लिए उर्वरक सिफारिशों के दो सेट प्रदान करता है। किसान मांग पर अतिरिक्त फसलों के लिए सिफारिशें भी प्राप्त कर सकते हैं। किसान कार्ड को स्वयं के रूप में SHC पोर्टल से भी प्रिंट कर सकते हैं। SHC पोर्टल के पास दोनों चक्रों का किसान डेटाबेस है और किसानों के लाभ के लिए 21 भाषाओं में उपलब्ध है।
केंद्र सरकार ने 2014-15 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की थी। 2015-17 के दौरान 10.74 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए। जबकि 2017-19 के दौरान 11.69 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए। 2019-20 में अब तक 13.53 लाख कार्ड जारी किए गए हैं। योजना के तहत मृदा स्वास्थ्य प्रयोगशाला बनाई गई है। इस योजना में अब तक 102 मोबाइल लैब, 429 स्थैतिक प्रयोगशालाओं, 1562 ग्रामीण स्तरीय प्रयोग शालाओं तथा 8752 छोटी प्रयोगशालाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। कृषि मंत्रालय की ओर से इस योजना में प्रयोगशाला खोलने के लिए 18 से 40 साल के ग्रामीण युवाओं सहायता दी जा रही है। इसके तहत ग्राम स्तर पर मिनी मृदा परीक्षण प्रयोगशाला खोली जा सकती है। इसके लिए सरकार द्वारा मिट्टी नमूना लेने, परीक्षण करने और मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने के लिए 300 रुपए प्रति नमूना प्रदान किया जाता है। एक प्रयोगशाला खोलने पर करीब 5 लाख रुपए का खर्च आता है जिसका 75 प्रतिशत यानि लगभग 3.75 लाख रुपए सरकार द्वारा दिया जाता है। यही प्रावधान स्वयं सहायता समूह, कृषक सहकारी समितियां, कृषक समूह या कृषक उत्पादक के लिए है।
मिट्टी जांच प्रयोगशाला दो तरीके से शुरू की जा सकती है। पहले तरीके के अनुसार प्रयोगशाला किराए की दुकान में खोल सकते हैं। दूसरे तरीके में प्रयोगशाला को कहीं भी ले जा सकते हैं। जिसे मोबाइल स्वायल टेस्टिंग वैन कहा जाता है। इस प्रयोगशाला को खोलने के लिए आप अपने जिले के उपनिदेशक (कृषि) या संयुक्त निदेशक कृषि या उनके कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
इस एप से क्षेत्र स्तर के कार्यकर्ताओं को लाभ होगा। नमूना संग्रह के समय फील्ड से नमूना पंजीकरण विवरण कैप्चर करने में यह मोबाइल एप स्वचालित रूप से जीआईएस समन्वय को कैप्चर करता है और उस स्थान को इंगित करता है जहां से क्षेत्र के कार्यकर्ताओं द्वारा मिट्टी का नमूना लिया जाता है।
यह एप राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए विकसित अन्य जियो टैगिंग ऐप की तरह काम करता है। एप में किसानों के नाम, आधार कार्ड संख्या, मोबाइल नंबर, लिंग, पता, फसल विवरण आदि दर्ज होता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड के बारे में विस्तृत जानकारी Wikipedia से भी ले सकते हैं।
अपर आयुक्त (आईएनएम) भारत सरकार, कृषि मंत्रालय कृषि एवं सहकारिता विभाग कृषि भवन, नई दिल्ली
फैक्स : 011-23384280, ईमेल : dwivediv@nic.in
राज्य कृषि निदेशक/जिला कृषि अधिकारी
आप बेवसाइट soilhealth.dac.gov.in और किसान कॉल सेंटर (1800-180-1551) पर संपर्क कर सकते हैं।
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