Published - 03 Feb 2021 by Tractor Junction
कई बार ऐसी खबरें सुनने या पढऩे में आती है कि अमुक किसान को नकली बीज थमा दिए गए और उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। इसी समस्या को देखते हुए हाल ही में एक ऐसा सीड ट्रेसबिलिटी मोबाइल एप लांन्च किया गया है इससे असली बीज की पहचान हो पाएगी। यह एप राष्ट्रीय बीज निगम ने लांन्च किया है जिसका उद्घाटन गत दिनों केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा किया गया।
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राष्ट्रीय बीज निगम के सीड ट्रेसिबिलिटी मोबाइल एप की सहायता से असली बीज की पहचान हो पाएगी। किसानों को मोबाइल एप के माध्यम से असली बीजों की जानकारी मिल पाएगी और किसान धोखाधड़ी से बच पाएंगे।
सीड ट्रेसिबिलिटी मोबाइल एप लांन्च के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में तोमर ने गुण नियंत्रण एवं डीएनए प्रयोगशाला का शुभारंभ भी किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि खेती के क्षेत्र में बीज की बड़ी महत्ता है, ऐसे में बीज के क्षेत्र में काम करने वालों की काफी अहम जवाबदेही होती है।
पूसा स्थित राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) के मुख्यालय में आयोजित इस समारोह में कृषि मंत्री ने कहा कि एनएससी के पास भूमि का काफी बड़ा रकबा है, जिसका अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिए। एनएससी कम दाम पर गुणवत्तायुक्त बीज किसानों को उपलब्ध करा रहा है, यह देश के लिए बड़ा काम है, जिसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने इस दिशा में प्रगति के लिए एक रोडमैप बनाने का सुझाव दिया। कार्यक्रम में एनएससी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक विनोद कुमार गौड़ ने भारत सरकार के लिए लगभग नौ करोड़ रुपए के लाभांश का चेक केंद्रीय मंत्री तोमर को सौंपा। इस अवसर पर तोमर ने शंकरन द्वारा संपादित पुस्तक एनएससीस जर्नी इन द सर्विस आफ फार्मर्स नामक पुस्तिका का विमोचन किया।
कार्यक्रम में कृषि राज्यमंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने कहा कि कृषि की शुरुआत बीज से होती है, इसलिए वेरायटी सीड्स की ज्यादा मात्रा में किसानों को सस्ते दामों में उपलब्ध हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि खाद्यान्न की आत्मनिर्भरता में किसानों व वैज्ञानिकों के साथ-साथ एनएससी का भी बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि नई लैब व एप से किसानों को काफी लाभ होगा। मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019-20 में एनएससी की कुल आय 1085.44 करोड़ रुपए रही है और कर पूर्व लाभ 60.88 करोड़ रुपए रहा।
शासकीय जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर ने मध्य प्रदेश की खेती का कृषि एटलस जारी किया है। इसमें फसलों और कृषि से जुड़े अन्य मदों के बारे में जिलेवार जानकारी प्रदर्शित की गई है। इससे कृषि नीति निर्धारकों, उद्योगों, व्यापारियों और शोधकर्ताओं को काफी मदद मिलेगी। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार बिसेन ने मीडिया को दी गई जानकारी में बताया कि यह देश में इस तरह की पहली एटलस है और इससे लोगों को एक नजर में राज्य के कृषि क्षेत्र के बारे में जानने में मदद मिलेगी।
इस ऐतिहासिक एटलस का संकलन कृषि विभाग के डीन डॉ. धीरेंद्र खरे के नेतृत्व में विश्वद्यालय के 16 वैज्ञानिकों के दल ने किया है। बिसेन ने बताया कि कृषि एटलस को दो भागों में प्रकाशित किया गया है। इसमें मध्य प्रदेश की प्रमुख अनाज फसलों के सांख्यिकीय आंकड़े और उनका विश्लेषण कर यह बताया गया है कि विभिन्न फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने हेतु विशेष संभावित क्षेत्र कौन से हैं।
बिसेन के अनुसार इस एटलस में भौगोलिक और सांख्यिकीय आंकड़ों को प्रदेश के नक्शे पर कृषि आधारित जानकारी जैसे कृषि जलवायु क्षेत्र, फसल जलवायु क्षेत्र, औसत प्रक्षेत्र आकार, उद्यानिकी फसलें, कृषि उत्पाद निर्यात क्षेत्र, औषधीय फसलें, वानिकी, कृषि जलवायु, प्राकृतिक संसाधन, उर्वरक उपयोग, कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार की संस्थाएं, पशुपालन और भौगोलिक संकेतक आदि की जानकारी जिलेवार प्रदर्शित की गई है। प्रदेश स्तर पर कृषि एटलस की महत्वपूर्ण जानकारी वैज्ञानिक, शिक्षण, कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं के साथ ही कृषि नीति निर्धारकों और व्यापारियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी साबित होगी।
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