प्रकाशित - 06 May 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसान अनाज, दलहन व तिलहन फसलों की खेती के अलावा फलों व सब्जियों की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। फलों व सब्जियों की खेती की खास बात यह है कि इससे कम लागत पर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। इनके भाव भी बाजार में अच्छे मिल जाते हैं और इनकी मांग भी बाजार में काफी रहती है। इसी कारण आज बहुत से किसान परंपरागत फसलों के साथ ही फलों व सब्जियों की खेती से अपनी आय बढ़ा रहे हैं।
इसी कड़ी में चीकू की खेती (Sapota cultivation) किसानों के लिए लाभ का सौंदा साबित हो सकती है। खास बात यह है कि चीकू की खेती में जितनी लागत लगती है उससे दुगुना मुनाफा कमाया जा सकता है। चीकू की खेती (Sapota cultivation) के लिए सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी (subsidy) का लाभ भी प्रदान किया जाता है। ऐसे में किसान बहुत कम लागत से चीकू की खेती कर सकते हैं। एक बार चीकू का पौधा लगा देने पर इसका पेड़ 50 साल तक फल देता है। इस तरह किसान एक बार इसे लगाकर कई सालों तक इसके फल बेचकर अच्छी खासी कमाई कर सकता है। इसकी खेती से किसान प्रति वर्ष 7 से 8 लाख रुपए की कमाई आसानी से कर सकते हैं।
चीकू की खेती (Sapota cultivation) के लिए बलुई दोमट व मध्यम काली मिट्टी जिसका पीएच मान करीब 6 से 8 के बीच हो अच्छी रहती है। जबकि चीकू की खेती के लिए उथली चिकनी मिट्टी उपयुक्त नहीं होती है। चीकू एक उष्णकटिबंधीय फल है, इसलिए इसकी वृद्धि और विकास के लिए गर्म, आर्द्र जलवायु की जरूरत होती है। चीकू का पेड़ एक वर्ष में दो बार फल देता है। पहला, जनवरी से फरवरी और दूसरी बार मई से जुलाई तक। इस तरह किसान चीकू के एक पेड़ से साल में दो बार फल प्राप्त करके अच्छी कमाई कर सकते हैं।
हमारे देश में चीकू की करीब 41 किस्में पाई जाती है। इसमें भूरी पत्ती, पीली पत्ती जो चीकू की पछेती कस्में है जो देर से तैयार होती है। वहीं पीकेएम 2 हाइ्ब्रिड एक संकर किस्म है जो अधिक पैदावार देने वाली मानी जाती है। इसके अलावा चीकू की काली पत्ती, क्रिकेट बाल, बारहमासी और पोट सपोटा आदि कई किस्में है जो बेहतर उत्पादन देती हैं।
चीकू की खेती (Sapota cultivation) के लिए सबसे पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है। इसके बाद अप्रैल के अंतिम सप्ताह व मई के पहले सप्ताह में पौधे लगाने के लिए गड्ढा खोदा जाता है। इसे जून तक खुला रखा जाता है ताकि गड्ढ़े के अंदर के हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाएं। इसके बाद इसमें खाद, मिट्टी और बालू मिलाई जाती है। बारिश से मिट्टी बैठने के बाद एक 1X1 मीटर के गड्ढ़ों में पौधों की रोपाई की जाती है। एक हैक्टेयर में करीब 156 पौधे रोपे जा सकते हैं। पौधों की रोपाई करते समय इसके बीच की दूरी करीब 8 मीटर रखी जाती है।
रोपाई के एक साल बाद से प्रति पेड़ 4 से 5 टोकरी गोबर की खाद, 2 से 3 किलोग्राम अरंडी/करंज की खली और 50:25:25 ग्राम एनपीके प्रति पाैधा प्रति वर्ष देना चाहिए। इस मात्रा को 10 साल तक बढ़ाते रहना चाहिए। इसके बाद 500:250:250 ग्राम एनपीके की मात्रा प्रति वर्ष देनी चाहिए। खाद व उर्वरक देने का सबसे सही समय जून व जुलाई का महीना होता है। खाद को पेड़ के फैलाव की परिधि के नीचे 50 से 60 सैमी चौड़ी और 15 सेमी गहरी नाली बनाकर देना चाहिए। इससे पेड़ को अधिक लाभ होता है।
सर्दियों के मौसम में चीकू के पेड़ों की 30 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। वहीं गर्मियों में 12 दिन के अंतराल में इसकी सिंचाई की जानी चाहिए। इसके लिए आप ड्रिप सिंचाई का उपयोग कर सकते हैं। इससे सिंचाई करने पर करीब 40 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। शुरुआती अवस्था में पहले दो साल के दौरान, पेड़ के 50 सेमी के फासले पर 2 ड्रिपर लगाने चाहिए। इसके बाद 5 साल तक पेड़ से एक मीटर की दूरी पर 4 ड्रिपर लगाए जा सकते हैं।
चीकू के फलों की तुड़ाई का काम जुलाई से सितंबर महीने किया जाता है। चीकू की तुड़ाई करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी अनपके फलों की तुड़ाई नहीं करनी चाहिए। जब फलों का रंग हल्का संतरी या आलू के रंग या फलों में कम चिपचिपा दुधिया रंग हो तभी इसकी तुड़ाई की जानी चाहिए। आमतौर पर चीकू का 5 से 10 साल का पेड़ करीब 250 से 1000 फल देता है।
केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय बागवानी मिशन का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत बागवानी फसलों की खेती के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी (subsidy) दी जाती है। चीकू की खेती के लिए भी सरकार से सब्सिडी (subsidy) मिलती है। चीकू की खेती पर सब्सिडी से संबंधित जानकारी के लिए आप अपने क्षेत्र के उद्यान विभाग से संपर्क कर इसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
चीकू का पेड़ करीब चार साल बाद फल देना शुरू कर देता है। 5 साल बाद इसके पेड़ से 30 से 50 किलोग्राम फल मिलना शुरू हो जाता है। इसके बाद 9 से 10 साल बाद इसके पौधे से एक क्विंटल फल मिलने लग जाते हैं। इसके बाद इसका पेड़ करीब 3 क्विंटल से अधिक फल दे सकता है। इसका पेड़ 50 साल तक फल दे सकता है। चीकू के दो सीजन होते हैं। पहला जनवरी से मार्च तक और दूसरा अप्रैल से मई के बीच का सीजन होता है जिसमें इससे फल प्राप्त किए जा सकते हैं। इस तरह चीकू का पेड़ साल में दो बार फल देता है। यदि किसान एक हैक्टेयर में इसकी बागवानी करें तो इससे पांच महीने में छह लाख रुपए और एक साल में करीब 8 लाख रुपए की कमाई कर सकता है।
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