प्रकाशित - 19 Jun 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
चीकू स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक फलों में से एक है। यही वजह है कि मार्केट में चीकू की मांग काफी ज्यादा है। चिकित्सक भी बीमार व्यक्ति को चीकू खाने की अक्सर सलाह देते हैं कि क्योंकि यह फल शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है। चीकू में विटामिन सी भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही इसके अलावा भी कई अन्य पोषक तत्व, खनिज, विटामिन आदि पाए जाते हैं। आमतौर पर बाजार में चीकू का रेट 100 रुपए से 120 रुपए प्रति किलो का रेट रहता है।
ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम चीकू की खेती के बारे में, खेती का तरीका, बीजोपचार, उपयुक्त जलवायु, उपयुक्त मिट्टी, बुआई का समय, पैदावार और कमाई की जानकारी दे रहे हैं।
छोटे और मध्यम वर्गीय किसान चीकू की खेती कर काफी ज्यादा लाभ उठा सकते हैं। छोटे किसान को इसकी खेती से सबसे ज्यादा लाभ है क्योंकि छोटे किसान कम रकबा में इसकी खेती को करेंगे, उत्पादन को सीधे उपभोक्ताओं को बिक्री कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। अनाज के उत्पादन में सामान्य तौर पर ऐसे देखने को नहीं मिलता है। पारंपरिक खेती में किसान अपनी फसल को बिचौलियों को बेच कर कम मुनाफा कमा पाते हैं, जबकि चीकू का मार्केट रेट ज्यादा होता है। इसलिए किसान सीधे उपभोक्ताओं को अपनी फसल की बिक्री कर सकते हैं।
चीकू की खेती में किसान रेतीली काली मिट्टी और जलोढ मिट्टी का उपयोग कर सकते हैं। मिट्टी के पीएच मान की बात करें तो चीकू की खेती में मिट्टी का पीएच 6.0 से 8.0 के बीच होना चाहिए।
चीकू की खेती में ज्यादा सर्द जलवायु जैसे पाला पड़ने जैसी जलवायु उचित नहीं होती है। चीकू की खेती के लिए तापमान 10 से 38 डिग्री के बीच होना चाहिए। इस खेती के लिए तापमान न तो बहुत अधिक होना चाहिए और ना हीं बहुत कम।
वर्षा आधारित क्षेत्र में चीकू की बुआई की बात करें तो सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक इसकी बुआई की जा सकती है। वहीं सिंचित क्षेत्र में अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से नवंबर के पहले सप्ताह तक बुआई पूरी कर लेनी चाहिए।
चीकू की खेती में सही बीजोपचार का होना जरूरी है। सीड प्राइमिंग के सबसे पहले बीज को 4 से 5 घंटे पानी में भिगो दें। 6 ग्राम किग्रा ट्राइकोडरमा और 1 ग्राम प्रति किलोग्राम वीटावैक्स से बीज उपचार कर सकते हैं। इसके अलावा राइजोबियम कल्चर से भी बीज उपचार किया जा सकता है। 200 ग्राम प्रति 10 किलोग्राम बीज का उपयोग कर सकते हैं।
चीकू की फली जब बन जाए तो सर्दियों में 30 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जानी चाहिए। वहीं गर्मियों में 15 दिनों के अंतराल में चीकू की सिंचाई की जानी चाहिए।
चीकू की खेती में बुआई के बाद 5वें साल से उपज आनी शुरू हो जाएगी। यदि किसान एक एकड़ में चीकू की बुआई करते हैं और अच्छी देखभाल करते हैं तो प्रति एकड़ 8 टन चीकू की पैदावार की जा सकती है। सामान्यतः 5वें वर्ष एक एकड़ में 4.0 टन, 7वें वर्ष में 6 टन और 15वें वर्ष तक 8 टन प्रति एकड़ चीकू की बुआई की पैदावार की जा सकती है।
चीकू का बाजार में रेट 100 रुपए से 150 रुपए प्रति किलो के बीच है। इस तरह अगर 8 टन चीकू की पैदावार होती है तो 100 रुपए के भाव से 8 लाख रुपए की सालाना आमदनी की जा सकती है। अगर चीकू की खेती में लगी लागत और श्रम को कम कर दिया जाए तो लगभग 5 लाख रुपए की शुद्ध मुनाफा कमाया जा सकता है।
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