सांगरी की खेती से होगी बंपर कमाई, बादाम से भी ज्यादा है बाजार भाव

Share Product प्रकाशित - 09 May 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

सांगरी की खेती से होगी बंपर कमाई, बादाम से भी ज्यादा है बाजार भाव

जानें, क्या है सांगरी और इसकी खेती से कितना मिल सकता है लाभ

सांगरी (Sangri) रेतीले इलाकों में उगने वाली एक सब्जी है जो बरसात के दिनों में काफी तेजी से बढ़ती है। ये सूखे इलाकों में पैदा होने वाली सब्जी है। इसे कैर के साथ मिलाकर बनाया जाता है जिसे कैर सांगरी की सब्जी कहा जाता है। इससे पंचकुटा की सब्जी भी बनाई जाती है जो खाने में बड़ी स्वादिष्ट होती है। राजस्थान में इसकी सब्जी विशेष रूप से त्योहारों और शादी-विवाह के अवसर पर बनाई जाती है। इसकी सब्जी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। इसलिए कोरोना संक्रमण काल में इसकी डिमांड काफी रही और इस दौरान सांगरी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर 1000 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेची गई थी। बता दें कि इसके पौधे राजस्थान के नागौर, सीकर, चूरू व झुंझुनूं में काफी तादाद पाये जाते हैं।

1200 रुपए प्रति किलो पहुंचा सांगरी का भाव (Sangri Price)

इस बार बैमौसम की बारिश के कारण सांगरी की बहुत कम पैदावार हुई है। इस कारण इस बार इसके भाव भी अन्य वर्षों की तुलना दुगुने हो गए हैं। इसकी बाजार कीमत 1200 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है। ऐसे में इसकी कीमत बादाम और काजू के भाव से भी ज्यादा हो गई है। आमतौर पर बादाम या काजू का भाव 800 रुपए के आसपास रहता है जबकि सांगरी की कीमत (Sangri price) 1200 रुपए प्रति किलोग्राम है। जो लोग इस सब्जी के शौकिन है उन्हें अब इसकी दुगुनी कीमत खर्च करनी पड़ रही है।

गलेडा रोग से प्रभावित हुई सांगरी की पैदावार

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजस्थान के चूरू और शेखावाटी क्षेत्रों में सांगरी की खेती की जाती है। लेकिन इस बार डिलगू रोग जिसे गलेडा रोग भी कहते हैं इसकी वजह से इसकी फसल को बहुत अधिक नुकसान हुआ है। इससे इसकी पैदावार काफी प्रभावित हुई है। इससे इसकी कीमत में अचानक उछाल देखा जा रहा हे। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि हर साल 25 टन सांगरी की खपत होती है लेकिन इस बार इसमें रोग लगने के कारण इसकी 35 प्रतिशत फसल खराब हो गई। इससे अबकी बार इसकी पैदावार में 8 टन की गिरावट आई है। इस वजह से इसके भाव दुगुने हो गए हैं। इससे पहले इसका रेट 600 से 800 रुपए प्रति किलोग्राम था।

क्या है सांगरी (What is Sangri?)

राजस्थान में खेजड़ी का पौधा काफी तादाद में मिलता है। ये सूखे इलाकों में उगने वाला पौधा है। इससे ही सांगरी (sangri) प्राप्त होती है। ताजा सांगरी को सब्जी बनाने में प्रयोग में लाया जाता है। इन्हें सूखाकर भंडारित भी किया जाता सकता है जिसे आप साल भर उपयोग में ले सकते हैं। इसकी सब्जी कैर के साथ बनाई जाती है और इसका पंचकुटा सब्जी भी बनाई जाती है। पंचकुटा सब्जी में सांगरी के साथ चार तरह की ओर सब्जी मिलकर इसे बनाया जाता है। इसमें सांगरी के साथ कैर, कुमटिया, गोंदा, साबुत लाल मिर्च को मिलाकर बनाया जाता है। इस तरह पंचकुटा की सब्जी तैयार की जाती है। बता दें कि राजस्थान की जलवायु के अनुसार यहां रेगिस्तान में पाई जाने वाली प्रजातियों से बनाई गई इस सब्जी को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली हुई है। इसे पांच सितारा होटलों में भी परोसा जाता है।

सांगरी में पाए जाने वाले पोषक तत्व (Nutrients found in Sangri)

सांगरी में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें आयरन, जिंक, प्रोटीन, पोटेशियम, फाइबर और कैल्शियम बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। ये सब्जी जितनी खाने में स्वादिष्ट लगती है उतनी ही स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होती है। कोरोना काल में इसके पोषक तत्वों व इम्यूटी गुणों के कारण ही इसकी डिमांड काफी रही।

कैसे करें सांगरी की खेती (Cultivation of Sangri)

सांगरी की खेती (cultivation of sangri) नहीं करनी पड़ती है, क्योंकि ये बहुत ही खास सब्जी है, जो प्राकृतिक रूप से उगती है। इसमें किसी प्रकार के कीटनाशक या दवा की जरूरत नहीं होती है और न ही किसी प्रकार की खाद की। सांगरी खेजड़ी के पेड़ (fig tree) पर उगती है, जो स्वाभाविक रूप से उगती है। लेकिन इसकी डिमांड को देखते हुए अब कई किसान इसकी खेती करने लगे हैं। इसकी खेती बंजर भूमि में की जा सकती है। 

इस खास तकनीक से कर सकते हैं इसकी खेती

इसकी खेती के लिए खास तकनीक विकसित की गई है। इसे ग्राफ्टेड विधि द्वारा उगाया जा रहा है। बीकानेर कृषि यूनिवर्सिटी की रिसर्च में सामने आया है कि इस विधि से तैयार पौधे में रोग प्रतिरोधक क्षमता कई गुना ज्यादा होती है। आम बोलचाल की भाषा में इसे आंख चढ़ाना भी कहते हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. इंद्रमोहन वर्मा के मुताबिक अच्छी गुणवत्ता वाली खेजड़ी के पेड़ से बीज लेकर बुवाई की जा सकती है। जुलाई-अगस्त में बीज का अंकुरण होकर तैयार हुए पौधे पर आसपास के खेतों में अच्छी सांगरी देने वाले खेजड़ी के पेड़ की टहनी (आंख) निकालकर बीज वाले पौधों मं बडिंग कर लें। बुवाई के तीन साल बाद चार से पांच फीट लंबे पौधे पर ही उत्पादन शुरू हो जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह विधि इतनी सरल है कि आम किसान इसे आसानी से अपना सकते हैं।

सांगरी की खेती से कितना मिल सकता है मुनाफा (Profit from Sangri Farming)

जैसा कि आपको बताया गया कि खेजड़ी के पौधे से ही सांगरी प्राप्त होती है। सांगरी को बेचकर किसान 800 से 1200 रुपए प्रति किलोग्राम तक भाव प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा किसान खेजड़ी के पेड़ से लूंग, लकड़ियां आदि से आय प्राप्त कर सकते हैं। एक बीघा में 65 ग्राफ्टेड पौधे लगाकर प्रतिवर्ष औसत छह क्विंटल सांगरी, 40 क्विंटल लूंग व काफी मात्रा में छड़ी का उत्पादन लिया जा सकता है।

सांगरी की खेती को रोग से बचाने के लिए करें ये उपाय

खेजड़ी के पौधों को संक्रमित रोग से बचाने के लिए 20 से 30 ग्राम तक थायोफिनेट मिथाइल फफूंदनाशक को 20 लीटर पानी में मिलाकर जड़ों में डाला जाता है। दवा डालने से पहले पौधे के चारों ओर एक मीटर की दूरी में 200 से 300 लीटर पानी की तराई की जानी चाहिए। इसके बाद दवा के घोल को डालना चाहिए। यह प्रक्रिया एक माह बाद फिर दोहराई जानी चाहिए। इससे खेजड़ी के पौधे को बीमारियां लगने का खतरा कम होता है। 

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