लाल मिर्च का भाव 20,000 रुपए क्विंटल पहुँचा, किसानों को होगा भारी मुनाफा

Share Product Published - 18 Feb 2022 by Tractor Junction

लाल मिर्च का भाव 20,000 रुपए क्विंटल पहुँचा, किसानों को होगा भारी मुनाफा

सूखी मिर्च के भाव 20 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचे

आने वाले दिनों में लोगों को मिर्च और कपास खरीदना मुश्किल साबित होगा। बता दें कि इस बार मिर्च और कपास इन दोनों की फसलों में कीट लगने के कारण इनकी पैदावार अन्य वर्षों के मुकाबले कम हो पाई है ऐसे में इन दिनों मिर्च का तीखापन और बढ़ गया है। बाजार में मिर्च पाउडर और कपास के भाव आसमान छूने लगे हैं। हालांकि पैदावार कम होने के कारण किसानों में थोड़ी निराशा है लेकिन इस समय मिर्च और कपास के दाम जिस तेजी से बढ़ रहे हैं उससे किसान जम कर फायदा ले सकते हैं। वहीं दूसरी ओर व्यापारियों ने मिर्च और कपास का स्टॉक करना शुरू कर दिया है। आइए, जानते हैं कहां ज्यादा होता है मिर्च और कपास का उत्पादन और कैसे आई इनके भावों में जबर्दस्त तेजी? 

आंध्रप्रदेश के गुंटूर में होता है मिर्च का सबसे ज्यादा उत्पादन 

बता दें कि मिर्च का सबसे ज्यादा उत्पादन देश में आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले में होता है। यहां पूरे राज्य की 30 से 40 प्रतिशत मिर्च पैदा होती है। लेकिन इस बार यहां भी मिर्च का उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इसके अलावा तेलंगाना में भी मिर्च की खेती अधिक होती है वहां भी इस फसल में रोग का प्रकोप होने से पैदावार कम हुई है। कुल मिलाकर मिर्च की पैदावार घटने से इसके बाजार भावों में भारी उछाल आ रहा हैै। इसका लाभ किसान उठा सकते हैं। वहीं व्यापारियों को अभी और तेजी आने की उम्मीद बनी हुई है जिससे वे मिर्च का स्टॉक कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो सूखी मिर्च की चर्चित किस्मों की कीमत जो पहले 10 से 12 हजार प्रति क्विंटल थी वह बढ़कर 20 हजार रुपये क्विंटल हो गई है। 

बाजार में सीमित मात्रा में आ रही मिर्च 

यहां बता दें कि मिर्च की फसल में इस बार थ्रिफ्ट नामक कीट का प्रकोप ज्यादा होने से इसकी फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई। मिर्च का प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम हुआ। इससे बाजार में मिर्च की आवक भी कम हो गई है। यह सीमित मात्रा में आ रही है। 

घरेलू मांग बढ़ने से और बढ़ेंगी कीमतें 

यह सच है कि जैसे-जैसे मिर्च की घरेलू मांग बढ़ेगी तो इसकी कीमतों में भी उछाल आता जाएगा। इन दिनों उन किसानों को मिर्च की कम पैदावार के बाद भी खासा लाभ मिल सकता है जिन्होंने इसकी खेती की है। किसानों के अलावा व्यापारी भी मिर्च का स्टॉक करने में जुट गए हैं। चूंकि अभी  मिर्च की नई फसल आने में काफी देरी है इसलिए किसानों को चाहिए कि वे उचित समय देख कर मिर्च का बेचान करना शुरू कर दें। 

अनुमानित उत्पादन का ब्यौरा नहीं देने से गफलत 

यहां आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि इस बार किसी भी राज्य ने मिर्च के उत्पादन के आंकड़े नहीं दर्शाये। ऐसे में मिर्च की पैदावार का सही आंकलन का अनुमान लगाना भी कठिन हो रहा है। यही कारण है कि अब तक व्यापारी भी यह अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं कि इस बार मिर्च का कितना उत्पादन हुआ है कितनी आवक मंडियों में हो सकती है। जाहिर है कि मिर्च के भावों में तेजी का एक कारण यह भी है। 

इन राज्यों में पैदा होती हैं सबसे ज्यादा तीखी मिर्च 

यूं तो मिर्च की खेती देश के प्राय: सभी राज्यों में की जाती है लेकिन अगर सबसे तीखी मिर्च की बात की जाए तो यह भारत के गिने-चुने राज्यों में ही होती है। बता दें कि तीखी मिर्च की खेती असम और उत्तरी पश्चिम क्षेत्र में होती है। इस मिर्च का नाम है भूत झोलकिया। यह मिर्च इतनी तीखी होती है कि जीभ पर इसका स्वाद लगते ही व्यक्ति को चक्कर आने लगते हैं और आंखों में तेज जलन होती है। भूत झोकलिया मिर्च के बारे में कई रोचक बाते हैं। इसका नाम गिनीज बुक वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज है। बताया जाता है कि अन्य मिर्चों के मुकाबले इसका तीखापन 400 गुना ज्यादा होता है। इस मिर्च को भूत काली मिर्च, घोस्ट चिली, घोस्ट पेपर, नागा झोकलिया आदि नामों से भी जाना जाता है। इसकी फसल 75 से 90 दिनों में तैयार होती है। इसकी लंबाई अधिकत 3 इंच तक होती है। 

सुरक्षा बलों में भी होता है भूत झोलकिया का इस्तेमाल 

बता दें कि विश्व की सबसे तीखी मिर्च भूत झोकलिया का इस्तेमाल भारत के सुरक्षा बलों द्वारा किया जाता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने भूत झोकलिया से मिर्च स्प्रे तैयार किया। सुरक्षा बल उपद्रवियों के खिलाफ इस मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल करते हैं। वहीं महिलाओं की सुरक्षा के भी इस तीखी मिर्च का स्प्रे काम आता है। भूत झोकलिया मिर्च पर डीआरडीओ भी परीक्षण कर रहा है। 

कपास की कम पैदावार के बावजूद किसानों के लिए बेहतर मौका 

बता दें कि इस बार कपास की फसल में अत्यधिक बारिश होने से पिंक बॉलवर्म नामक कीट का ज्यादा हमला हुआ। इससे कपास की फसल का कुल उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। हरियाणा में कपास की 50 से 70 प्रतिशत तक फसल नष्ट हो गई। इसके बावजूद किसानों के पास सुनहरा मौका है। कम उपज के कारण कपास के भाव अच्छे हैं। वहीं कपास की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी सरकार ने घोषित कर दिया है। यह 5925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इससे किसानों को कपास के बाजार भाव और भी ज्यादा मिल रहे हैं। बता दें कि हरियाणा के सिरसा जिले में व्यापारी कपास की 9700 रुपये प्रति क्विंटल तक कीमत दे रहे हैं। 

कपास के वर्तमान भाव इस प्रकार हैं- : यहां कुछ मंडियों के कपास के भाव दिए जा रहे हैं जो किसानों के लिए उपयोगी हो सकते हैं। 

         मंडी              -         भाव/प्रति क्विंटल 

1. कपासना,भावनगर     -     9400 
2. फतेहाबाद हरियाणा   -     8510
3. हिसार, हरियाणा        -    8500

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