Published - 26 Apr 2021 by Tractor Junction
कोरोना महामारी से जहां एक ओर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन जैसी पाबंदियों के बावजूद इस बार देश में अभी तक के ग्रीष्मकालीन (जायद) फसलों की बुवाई ने रिकार्ड कायम किया है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 13.9 लाख हेक्टेयर भूमि में ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई की गई है। बता दें कि ग्रीष्मकालीन फसलों में मुख्यत: दलहनी, तिलहनी, पोषक अनाज और मोटा अनाज आते हैं। किसानों की मेहनत के कारण 23 अप्रैल 2021 तक देश में ग्रीष्मकालीन बुआई पिछले साल इस अवधि में हुई इस तरह की बुआई की तुलना में 2.15 प्रतिशत अधिक है। इसी अवधि के दौरान एक साल पहले 60.67 लाख हेक्टेयर से कुल ग्रीष्मकालीन फसल क्षेत्र बढक़र 73.76 लाख हेक्टेयर हो गया था। इससे इस बार भी अच्छे उत्पादन के संकेत दिख रहे हैं।
सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1
23 अप्रैल 2021 तक दलहन के तहत बोया जाने वाला क्षेत्र 6.45 लाख हेक्टेयर से बढक़र 12.75 लाख हेक्टेयर हो गया है। जो लगभग शत- प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है। इसके अन्तर्गत तमिलनाडू, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि राज्यों इसकी बुवाई हुई है। वहीं तिलहन फसलों का क्षेत्र 9.03 लाख हेक्टेयर से बढक़र 10.45 लाख हेक्टेयर हो गया जो लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि है। पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडू, आदि राज्यों में रबी चावल का फसल क्षेत्र बढ़ा है। इसी प्र्रकार धान की रोपाई का क्षेत्र 33.82 लाख हेक्टेयर से बढक़र 39.10 लाख हेक्टेयर हो गया है जो लगभग 16 प्रतिशत की वृद्धि है। पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, असम, आंध्र प्रदेश, ओडि़सा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडू, बिहार आदि राज्यों में रबी चावल का फसल क्षेत्र बढ़ा है।
ग्रीष्म ऋतू में फसलों की बुवाई मई के प्रथम सप्ताह तक चलती है इसलिए बुआई में अभी भी कुछ समय ओर है। इसे देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई का रकबा अभी और बढ़ सकता है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान भारत के कृषि व्यापार में पर्याप्त वृद्धि देखने को मिल रही है। भारत ने पिछले सालों में कृषि उत्पादों के मामले में लगातार निर्यात अधिशेष कायम रखा। 2019-20 के दौरान भारत का कृषि एवं संबद्ध जिंसों का निर्यात 2.52 लाख करोड़ रुपए और आयात 1.47 लाख करोड़ रुपए का था। यहां तक कि महामारी के कठिन समय में भी भारत ने इस बात का ध्यान रखा कि वैश्विक खाद्य आपूर्ति श्रृंखला टूटने न पाए और लगातार निर्यात को जारी रखा। अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान कृषि एवं संबद्ध जिंसों का 2.74 लाख करोड़ रुपए का निर्यात किया गया जो पिछले साल की समान अवधि में हुए 2.31 लाख करोड़ रुपए के निर्यात के मुकाबले 18.49 प्रतिशत अधिक रहा। निर्यात में महत्वपूर्ण सकारात्मक वृद्धि दर्शाने वाली वस्तुओं में गेहूं, अन्य अनाज, चावल (बासमती के अलावा, सोया मील, मसाले, चीनी, कपास, ताजा सब्जियां, प्रसंस्कृत सब्जय़िां और मादक पेय शामिल हैं।
देश मे निर्यात होने वाली वस्तुओं में गेहूं और अन्य अनाजों के मामले में पिछले साल की तुलना में भारी वृद्धि दर्ज हुई और ये क्रमश: 425 करोड़ रुपए से बढक़र 3283 करोड़ रुपए और 1318 करोड़ रुपए से बढक़र 4542 करोड़ रुपए हो गई। कुछ खास देशों की मांग पर नैफेड ने जी टू जी व्यवस्था के तहत 50,000 मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात अफगानिस्तान को और 40,000 मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात लेबनान को किया। भारत ने गेहूं के निर्यात के मामले में 727 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की।
देश ने चावल (गैर बासमती) के निर्यात के मामले में भी 132 त्नकी महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है। गैर बासमती चावल का निर्यात 2019-20 के 13,030 करोड़ रुपए से बढक़र 2020-21 में 30,277 करोड़ रुपए हो गया। निर्यात में यह वृद्धि कई कारकों की वजह से हुई जिनमें से मुख्य थी तिमोर-लेस्ते, पपुआ न्यू गिनी, ब्राज़ील, चिली और प्यूर्तो रिको के बाज़ारों पर भारत का कब्ज़ा होना। इन देशों के अलावा टोगो, सेनेगल, मलेशिया, मेडागास्कर, इराक, बांग्लादेश, मोज़ाम्बीक, वियतनाम तथा तंज़ानिया गणराज्य को भी निर्यात किया गया। इसी के साथ सोया मील का निर्यात भी बढ़ाकर 132 प्रतिशत कर दिया । सोया मील का निर्यात 2019-20 के 3087 करोड़ रुपए के मुकाबले 2020-21 में 7224 करोड़ रुपए हो गया।
कृषि एवं संबद्ध जिंसों के जिन अन्य उत्पादों के निर्यात में भी पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान महत्वपूर्ण वृद्धि हुई वे इस प्रकार से हैं-
कृषि एवं संबद्ध वस्तुओं का आयात अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान 141034.25 करोड़ रुपए रहा जो पिछले साल की इसी अवधि में 137014.39 करोड़ रुपये था, इसमें 2.93 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के बावजूद कृषि क्षेत्र का व्यापार संतुलन भी अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के दौरान पर्याप्त बढ़ा और पिछले साल की समान अवधि के 93,907.76 करोड़ रुपए के मुकाबले 132,579.69 करोड़ रुपए हो गया।
अगर आप अपनी कृषि भूमि, अन्य संपत्ति, पुराने ट्रैक्टर, कृषि उपकरण, दुधारू मवेशी व पशुधन बेचने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार आपसे संपर्क करें और आपको अपनी वस्तु का अधिकतम मूल्य मिले तो अपनी बिकाऊ वस्तु की पोस्ट ट्रैक्टर जंक्शन पर नि:शुल्क करें और ट्रैक्टर जंक्शन के खास ऑफर का जमकर फायदा उठाएं।