प्रकाशित - 03 Oct 2023
गन्ना की खेती (sugarcane cultivation) करने वाले किसानों के लिए एक खुशखबरी निकलकर सामने आ रही है। इस गन्ना पेराई सत्र से पहले राज्य सरकार गन्ने का मूल्य (price of sugarcane) बढ़ा सकती है। इसके लिए सरकार ने मंजूर भी दे दी है और इसके बाद गन्ने का मूल्य बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। खास बात यह है कि विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सभी राजनैतिक पार्टियां वोटरों को खुश करने में जुट गई हैं। कहीं फ्री मोबाइल दिए जा रहे हैं तो कही मकान बनवाने के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसी कड़ी में अब किसानों को भी सरकार खुश करने में जुट गई है। सरकार किसी भी सूरत में किसानों को नाराज नहीं करना चाहती है और इसलिए सीएम ने गन्ना किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए गन्ने के मूल्य में वृद्धि की मांग पर अपनी स्वीकृति दे दी है। ऐसा माना जा रहा है कि दुर्गा पूजन या दिवाली से पहले राज्य सरकार किसानों के लिए नए गन्ना मूल्य की घोषणा कर सकती है। सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार गन्ने का मूल्य बढ़ाने की तैयारी कर रही है और शीघ्र ही गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी की जा सकती है। यदि ऐसा होता है तो राज्य के करीब 45 लाख किसानों को इसका सीधा लाभ पहुंचेगा।
पूरे देश में यूपी में सबसे अधिक गन्ना किसान है और बड़ी संख्या में लोग गन्ना उद्योग से जुड़े हुए हैं। ऐसे में यूपी में गन्ना किसानों की सबसे अधिक संख्या होने के बावजूद यहां अन्य राज्यों से अभी भी सबसे कम गन्ने का मूल्य किसानों को मिल रहा है। इसे लेकर किसान संगठनों ने नाराजगी जताई और सरकार से गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी करने की मांग की जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वीकृति दे दी है। इसके बाद से ही राज्य सरकार गन्ना किसानों के हित को देखते हुए गन्ने का मूल्य बढ़ाने की कवायद में लग गई है। इस दिशा में कार्य जारी है। यदि सब कुछ ठीक रहा तो दुर्गा पूजा या दिवाली से पहले गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी की घोषणा राज्य सरकार की ओर से की जा सकती है।
राज्य में अभी चल रहे गन्ने के मूल्य को लेकर भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि यूपी सरकार ने पिछले साल भी गन्ने का रेट नहीं बढ़ाया। जबकि महंगाई और गन्ने की खेती में लगने वाली लागत बढ़ गई है जिससे किसान परेशान हैं। राज्य सरकार को किसानों के हित को देखते हुए गन्ना पेराई सत्र 2023-24 के लिए गन्ने का मूल्य कम से कम 450 रुपए प्रति क्विंटल घोषित करना चाहिए। हाल ही में भारतीय किसान यूनियन के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने सीएम को 11 सूत्री मांग पत्र सौंपा है जिसमें गन्ने का मूल्य (price of sugarcane) बढ़ाने की मांग की गई जिस पर सीएम योगी ने गन्ना का रेट बढ़ाने पर सहमति दे दी है। अनुमान है कि गन्ने का समर्थन मूल्य (sugarcane support price) 30 से 35 रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि अभी यूपी में गन्ने का समर्थन मूल्य जिसे एसएपी कहते हैं फिलहाल 350 रुपए प्रति क्विंटल है। यदि इसमें 30 या 35 रुपए की बढ़ोतरी होती है तो यहां गन्ने का मूल्य 380-385 रुपए प्रति क्विंटल तक हो सकती है।
यदि यूपी सरकार गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी कर देती है तो इसका सीधा लाभ 45 लाख किसानों को मिलेगा। बता दें कि प्रदेश के करीब 45 लाख से ज्यादा किसान गन्ना उत्पादन कार्य से जुड़े हुए हैं। भारत में सबसे ज्यादा गन्ने की खेती यूपी में ही की जाती है और यहां ही सबसे ज्यादा चीनी मिलें है जो गन्ने की पेराई का कार्य करके इससे चीनी बनाती हैं।
किसान संगठन ने उत्तर प्रदेश के बकाया गन्ना मूल्य का अविलम्ब भुगतान कराए जाने की मांग भी सरकार से की है। उनका कहना है कि 14 दिन के अंदर भुगतान न होने की स्थिति में विलंबित भुगतान पर गन्ना मूल्य का अविलंब भुगतान कराया जाए। वहीं 14 दिन के अंदर भुगतान न होने पर विलंबित भुगतान पर गन्ना मूल्य एवं कमीशन भुगतान हेतु उ. प्र. गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) अधिनियम 1953 एवं तत्संबंधी नियमावली 1954 में व्यवस्था के अनुसार विलंबित भुगतान पर ब्याज दिलाया जाए जिसका वायदा चुनावी घोषणा-पत्र में किया गया था। एक अनुमान के मुताबिक गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर 5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है। उसका ब्याज पहले से बकाया चल रहा है।
अलग-अलग राज्य सरकार ने अपने यहां अलग-अलग गन्ने का मूल्य निर्धारित किया हुआ है। ऐसे में किसी राज्य में किसानों को गन्ने का कम मूल्य मिल रहा है तो किसी में ज्यादा। देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में गन्ने का मूल्य या भाव (price of sugarcane) इस प्रकार से है
उपरोक्त राज्यों का गन्ना मूल्य देखने के बाद यह पता चलता है कि इन राज्यों में सबसे कम मूल्य इस समय उत्तर प्रदेश के किसानों को मिल रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में 2022-23 के दौरान कुल 29 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जबकि महाराष्ट्र में 105.30 टन उत्पादन हुआ। प्रदेश में कुल 2,348 लाख टन गन्ने का उत्पादन हुआ, जबकि महाराष्ट्र में 1,1413 लाख टन उत्पादन हुआ था। यदि गन्ने की पेराई की बात की जाए तो 2022-2023 सीजन में उत्तरप्रदेश में चीनी मिलों की कुल गन्ने की पेराई 1,084.57 लाख टन थी, जबकि महाराष्ट्र में 1053 लाख टन ही गन्ने की पराई की गई। बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल 157 चीनी मिलें हैं जिनमें से 118 परिचालन में हैं जबकि महाराष्ट्र में 246 मिलों में 210 परिचालन में हैं। सत्र 2022-23 में उत्तर प्रदेश में 53 लाख हैक्टेयर में गन्ने की खेती हुई जो देश में किसी भी राज्य से ज्यादा है। जबकि महाराष्ट्र में इसका आधा यानी 14.87 लाख हैक्टेयर में ही गन्ने की खेती हुई थी जो इससे बहुत कम है। इन सब बातों को देखते हुए गन्ना उत्पादन में उत्तर प्रदेश उपरोक्त राज्यों की लिस्ट में नं. 1 पर है, इसके बावजूद यहां के किसानों को गन्ने का बेहतर भाव नहीं मिल पा रहा है। यदि गन्ने का मूल्य बढ़ता है तो इन गन्ना किसानों के जीवन में बदलाव आएगा और वह आगे दुगुने जोश के साथ गन्ने की खेती करके देश के चीनी उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेंगे।
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