बारिश में लगाएं ये 5 मुनाफे की फसल, कम लागत में होगी बंपर कमाई

Share Product प्रकाशित - 26 Jul 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

बारिश में लगाएं ये 5 मुनाफे की फसल, कम लागत में होगी बंपर कमाई

जानें, बारिश के मौसम में उगाई जाने वाली फसलें और इनसे लाभ

मानसून की बारिश का दौर जारी है। ऐसे में किसान कम लागत पर फसलों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। जिन किसानों के खेत में तालाब है वे इस समय बारिश का जल संचय करके इससे अच्छा लाभ उठा सकते हैं। बारिश के मौसम में कई प्रकार की फसलों का उत्पादन करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। बारिश के मौसम में कई फलदार पौधे भी लगाए जाते हैं जिसमें अनार, अमरूद, आंवला, लीची, कटहल, अंगूर सहित नींबू वर्गीय पौधों का रोपण किया जा सकता है। लेकिन हम यहां केवल 5 ऐसे चुनिंदा फसलों की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिनसे आप कम लागत में भी काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। आइए जानते हैं ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से इन 5 लाभकारी फसलों की खेती के बारे में।

1. सिंघाडा

मानसून की बारिश में सिंघाडे की खेती काफी अच्छी तरह से की जा सकती है। इसकी खेती आप आपके खेत में बने तालाब में कर सकते हैं। इसकी खेती में ज्यादा खर्चा भी नहीं आता है। बारिश का समय सिंघाडे की खेती के लिए काफी अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस फसल को पानी की आवश्यकता होती है। मॉनसून की बारिश के साथ ही सिघाड़े की बुआई शुरू हो जाती है। जून-जुलाई में सिंघाड़ा बोया जाता है। सामान्यत: छोटे तालाबों, पोखरों में सिंघाडे का बीज बोया जाता है लेकिन खेतों में गड्डे बनाकर उसमें पानी भर कर भी पौधों की रोपाई की जा सकती है। जून से दिसंबर यानी 6 महीने की सिंघाड़े की फसल से काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। आप इसकी पौध सरकारी या प्राइवेट नर्सरी से भी लेकर आ सकते हैं। बाजार में सिंघाडे के अच्छे भाव मिल जाते हैं। इसके अलावा सूखे सिंघाडे का आटा भी बाजार में बेचा जाता है।

2. कमल ककड़ी

कमल के फूल के बारे में आप लोग जानते ही होंगे। इस पौधे के तने को ही कमल ककड़ी कहा जाता है। भारत में इसकी सब्जी बनाकर तो खाई जाती ही है साथ ही इसका अचार भी बनाया जाता है। इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी हैं। इसकी खेती साल में तीन बार की जा सकती है। इसमें बरसात में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है, क्योंकि कमल ककड़ी को भी अधिक पानी की आवश्यकता होती है। किसान अपने खेत में तालाब बनाकर इसके बीज की बुआई कर सकते है। कमल ककड़ी की पैदावार की बात की जाए तो, एक एकड़ में करीब 50-60 क्विंटल कमल ककड़ी का उत्पादन आसानी मिल जाता है।

3. मशरूम

आपने बरसात के मौसम में जगह-जगह पर छतरीनुमा छत्रक की आकृति के पौधे देखें होंगे जिसे बच्चे सांप की छतरी भी कहते हैं। ये छत्रक मशरूम कहलाते हैं। इनकी कई प्रजातियां जहरीली होने के कारण खाने लायक नहीं होती है, जबकि इनकी कुछ प्रजातियां खाने के काम आती है। जिनमें बटन मशरूम, दूधिया मशरूम आदि है। किसान इन मशरूम की खेती करके भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। बारिश के मौसम में मशरूम तेजी से उगता है। इस मौसम में चावल के पुआल पर इसे उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए किसी बड़ी जगह की जरूरत नहीं पड़ती है। इसे छह बाई छह के एक कमरे में भी उगाया जा सकता है। बेशर्त हैं कि कमरे में सूर्य का प्रकाश आना चाहिए। इसके लिए 15 से 22 डिग्री सेल्सियम तापमान की आवश्यकता होती है। भारतीय बाजार में मशरूम की खेती से लगभग 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक शुरू करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। बड़े-बडे माल्स और बाजार में मशरूम की कीमत करीब 250 से 300 रुपए किलो तक है। बता दें मशरूम को सब्जी बनाकर खाने के अलावा इसका उपयोग बॉडी बिल्डिंग के उत्पाद (पाउडर) बनाने के काम में भी आता है।

4. जामुन

बारिश में जामुन के पौधे को रोपा जा सकता है। इसका बाग लगाने के लिए जून से अगस्त तक का महीना काफी अच्छा माना जाता है। इसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलने से किसान इसका बाग लगाकर काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं। जामुन के बाग के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी ज्यादा अच्छी रहती है। इसके लिए कठोर और रेतीली भूमि अच्छी नहीं होती है। भारत में ठंडे प्रदेशों को छोडक़र इसे कहीं पर भी लगाया जा सकता है। बारिश में जामुन के पौधे का रोपण कर सकते हैं। हालांकि जामुन के पेड़ में करीब 8 साल पूर्ण होने पर फल आने शुरू हो जाते हैं। इसके एक पौधे से 80 से 90 किलो तक जामुन प्राप्त हो जाते हैं। जबकि एक हेक्टेयर में इसके करीब 250 से अधिक पौधों का रोपण किया जा सकता है।

5. अनार

बारिश में किसान अनार का बाग भी लगा सकते हैं। इसके रोपण के लिए बरसात का मौसम अच्छा रहता है। अनार की खेती के लिए गहरी बलुई दोमट भूमि सबसे अच्छी  मानी जाती है। लेकिन क्षारीय भूमि में भी इसकी खेती की जा सकती है। इतना ही नहीं लवणीय पानी से सिंचाई करके भी अनार की अच्छी पैदावार ली जा सकती है। इसके पौधों के लिए बूंद-बूंद सिंचाई का उपयोग करना अच्छा माना जाता है। अनार का पौधे 120 से 130 दिनों बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। बाजार में इसके अच्छे भाव मिल जाते हैं। अनार को कच्चा तो खाया ही जाता है। इसका ज्यूस भी सेहत के लिए काफी अच्छा होता है। 

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