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अगर सूख रहे हैं मूंगफली के पौधे तो अपनाएं नियंत्रण के ये खास उपाय

प्रकाशित - 26 Aug 2022

जानें, मूंगफली की फसल के सूखने का कारण और इसके नियंत्रण के तरीके

तिलहनी फसलों में मूंगफली का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। सरकार की ओर से भी तिलहनी फसलों के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में मूंगफली की फसल का बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि किसानों को मूंगफली की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों की जानकारी होनी चाहिए। इन कीटों के प्रकोप से मूंगफली की फसल को नुकसान पहुंचाता है। इससे इसका उत्पादन कम होने के साथ तेल की मात्रा पर भी इसका असर पड़ता है। यदि समय पर इसके नियंत्रण के उपाय नहीं किए जाएं तो उत्पादन में भारी गिरावट आ जाती है। 

फसल को सूखा देता है सफेद गिडार कीट

मूंगफली की फसल को जिस कीट से सबसे अधिक नुकसान होता है उसमें सफेद गिडार कीट प्रमुख है। यह कीट सीधा जड़ों पर हमला करता है जिसके कारण फसल सूखने लगती है। यह कीट जमीन के अंदर गहराई में जाकर रात के समय पौधों की जड़ों पर हमला करता है। सफेद गिडार पौधे के जड़, मूलकाओं तथा मूल रोमों को खाकर पौधों की भोजन प्रणाली को प्रभावित करता है। इससे पौधे को पोषण नहीं मिल पाता है। इसके परिणास्वरूप प्रकोषित पौधों की पत्तियां ऊपर से नीचे की ओर पीली पड़ जाती हैं। सफेद गिडार का अधिक प्रकोप होने पर पौधे पूरी तरह से सूख जाते हैं। 

सफेद गिडार कीट की पहचान

इस कीट की आकृति अंग्रेजी के अक्षर सी जैसी होती है। इसका रंग सफेद होता है। ये कीट व्यवस्क अवस्था में जमीन के अंदर 10 सेंटीमीटर की गहराई पर अंडे देता है। इन अंडों से मात्र 7 से 8 दिन में करीब 12 मिलीमीटर लंबाई वाले लार्वा निकल आते हैं। सफेद गिडार की सभी जातियां वर्ष में एक ही चक्र पूर्ण करती है। इसका व्यस्क बीटल भृंग का भूमि सतह से निर्गमन वर्षा के तुरंत बाद होता है। इस अवधि में वर्षा नहीं होने पर निर्गमन रुक जाता है तथा भृंग भूमि में ही मर जाता है। जानकारी के लिए बता देंं कि इन कीटों का निर्गमन सायंकाल गोधूली बेला में ही होता है। इस कीट का प्रकोप मुख्य रूप से पौधों को कच्ची गोबर की खाद देने से होता है।

सफेद गिडार कीट के नियंत्रण के उपाय

  • सफेद गिडार कीट के नियंत्रण के लिए प्रकाश प्रपंच या केरोमोन आकर्षण तकनीक इस्तेमाल करके इन्हें नष्ट किया जा सकता है। यह बहुत ही कारगर उपाय है। इसके लिए फेरोमोन, लाइटट्रैप, विवेरिया तथा मेटाराइजियम के प्रयोग करना चाहिए। 
  • बारिश के बाद शाम 7 बजे से रात 10 के बीच एक लाइट ट्रैप प्रति एकड़ खेत के अनुसार प्रयोग करना चाहिए।
  • भृंग व्यस्क वीटल को इक्ट्ठा कर उन्हें नष्ट कर देना चाहिए।
  • इसके अलावा इस कीट को नष्ट करने का एक सस्ता उपाय ये भी है कि जिन पौधों पर इनका प्रकोप है उसके आसपास गोबर के छोटे-छोटे ढेर बना देने चाहिए। जिससे बहुत ही कम समय में ये कीट गोबर के ढेर में एकत्रित हो जाएंगे और उन्हें आसानी से हटाया जा सकता है। 
  • फसल पर कीट का प्रकोप दिखाई देने पर फिप्रोनिल 40 प्रतिशत के साथ इमिडाक्लोप्रिड 40 प्रतिशत डब्ल्यू पी की 100-120 ग्राम मात्रा का प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव किया जाना चाहिए।


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