प्रकाशित - 22 Aug 2022
पूरे देश में पिछले कई वर्षों से जैविक खेती को प्रोत्साहन मिल रहा है। कई राज्यों में जैविक खेती पर वहां की सरकारें सब्सिडी प्रदान कर रही हैं। चूंकि केंद्र सरकार ही फसलों की एमएसपी तय करती है इसलिए राजस्थान सरकार का प्रयास चल रहा है कि जल्द से जल्द यहां के किसानों को जैविक उत्पादों पर 20 प्रतिशत ज्यादा एमएसपी मिले ताकि किसान खुशहाल जीवन जी सकें। राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने एक कार्यक्रम में कहा कि जैविक उत्पादों को अधिक दाम दिलाने के लिए राज्य सरकार केंद्र से अपील करेगी। अब वह समय आ गया है जब सीमित कृषि भूमि के कारण किसानों को आधुनिक टैक्नालॉजी से काम करने की जरूरत है। यहां ट्र्र्र्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको जैविक खेती और इसके लाभों के साथ इसकी जरूरत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है। इसे अवश्य पढ़े और शेयर करें।
जैविक खेती पूरी तरह से प्राकृतिक तत्वों के प्रयोग पर की जाती है। इसमें रासायनिक खादों का कतई प्रयोग नहीं किया जाता। इस प्रकार की खेती में कीटनाशकों का भी प्रयोग नहीं होता है। जैविक खेती गोबर की खाद, कंपोस्ट, जीवाणु खाद के इस्तेमाल से की जाती है जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति कई गुना बढती है। इस खेती में प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ जाती है। जमीन में रॉक फॉस्फेट,जिप्सम आदि पोषक तत्व भी जमीन में दिए जाते हैं। जैविक खेती में होने वाली फसल के दाम किसानों को अधिक मिलते हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
जैविक खेती के प्रति सरकार किसानों को प्रोत्साहित करना चाहती है लेकिन इससे पहले सरकार इसकी चुनौतियों को दूर करने के प्रयास में हैं। राजस्थान में परंपरागत खेती से हटकर किसानों को जैविक उत्पादों की खेती के लिए मोटिवेट किया जा रहा है। इसके तहत कई जिलों में किसानों ने इस दिशा में कोशिश शुरू कर दी है। किसानों को जैविक खेती के लिए परंपरागत खेती से कहीं अधिक मेहतन करनी पड़ती है। ऐसे में वे अपनी फसल का अधिक मूल्य चाहते हैं। किसानों को जब तक अच्छे दाम नहीं मिलेंगे तब तक जैविक खेती के प्रति इनका आकर्षण नहीं बढ़ेगा। इसलिए राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा है कि राजस्थान में जैविक खेती करने वाले किसानों को उनकी फसल का करीब 20 प्रतिशत अधिक मूल्य दिलाने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा जाएगा।
जैविक खेती किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक होती है। इसमें प्राकृ़तिक खाद का प्रयोग किया जाता है। रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग नहीं होता। वहीं जैविक उत्पादों की कीमत आम खाद्य पदार्थों से अधिक होती है। राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा है कि हमें जैविक खेती को अभियान बनाना होगा। राजस्थान में एक कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि राजस्थान में पानी की कमी है लेकिन सरकार डिग्गी या फॉर्म के निर्माण के लिए किसानों को सब्सिडी देकर प्रोत्साहित किया है। यही कारण है कि अधिकतर खेतों में डिग्गी और फॉर्म बनाए गए हैं। इनमें सिंचाई के लिए पानी एकत्र किया जाता है।
राजस्थान के कृषि मंत्री कटारिया ने यह भी कहा है कि एग्रीकल्चर का यह नया जमाना है तकनीक का है। इसमें किसानों को कम जमीन पर अधिक पैदावार कैसे हो? इसकी टेक्नोलॉजी अपनानी होगी। जैविक खेती इसी दिशा में एक प्रयास है। इसके अलावा किसान जब जैविक खेती करेंगे तो उन्हे अपनी उपज परंपरागत फसलों के दामों से कई गुना दाम मिलेंगे। सरकार इसके लिए केंद्र से अपील भी कर रही है।
कृषि मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि आर्गेनिक फॉर्मर प्रोड्यूसर एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से हाल ही गाय के गोबर से बनाई गई चूडिय़ां लांच की गईं। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब गाय के गोबर से चूडिय़ां बनाई गई हों। इसके पीछे जैविक खेती को बढ़ावा देना मुख्य मकसद है। इस लांचिंग कार्यक्रम में रेगिस्तान में एक लीटर पानी से पौधों को विकसित करने वाले पद्मश्री अवार्ड विजेता किसान सुंडाराम भी मौजूद रहे। उन्होंने अपने अनुभव लोगों से साझा किए। इनके अलावा जैविक खेती में सब्जियों के पौधों से रिकार्ड उत्पादन लेने वाले पद्मश्री जगदीशप्रसाद पारीक, नेशनल मेडिशनल प्लांट्स बोर्ड के रीजनल डायरेक्टर नॉर्दन रीजन प्रथम डा. अरुणचंदन व बोर्ड के सदस्य डा.राजाराम त्रिपाठी, राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ वेटेनरी एंड एनिमल साइंसेज बीकानेर के पूर्व कुलपति डा. विष्णु शर्मा आदि अधिकारियों ने जैविक खेती के फायदे बताए।
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