Published - 15 Jul 2021
प्याज की खेती अब किसानों के लिए नकदी फसल के रूप में जानी जाने लगी है। भारत में अधिकतर राज्यों में किसान प्याज की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। प्याज एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग बारहों महीने बाजार में बनी रहती है। होटलों, ढाबों के अलावा प्याज घरों में दैनिक सब्जी के साथ उपयोग में लिया जाता है। इसकी बढ़ती मांग के कारण कभी-कभी इसके भाव आसमान को छू जाते हैं और इससे सरकार तक परेशान हो उठती है और उसे उपभोक्ताओं को रियायती दरों पर प्याज मुहैया कराने के लिए बाध्य होना पड़ता है, क्योंकि प्याज के दाम बढ़ते ही विपक्षी पार्टियां भी हंगामा शुरू कर देती है। बहरहाल हम बात कर रहे हैं प्याज की खेती में लागत ( cost of onion cultivation) को कम कैसे किया जाए जिससे किसानों को अधिक मुनाफा प्राप्त हो सके। तो आइए जानते हैं, कम लागत में प्याज की खेती (farming of onion) करने के लिए उन छह तरीकों के बारे में जिन्हें अपनाकर किसान भाई उत्पादन बढ़ा कर अच्छी कमाई कर सकते हैं।
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सर्वप्रथम प्याज उगाने से पहले तय कर लेना चाहिए कि प्याज की किस किस्म की बुवाई करें जिससे उन्हें अधिक बेहतर उत्पादन मिल सके। जैसा कि हम जानते हैं कि प्याज की खेती साल में दो बार की जाती है एक रबी और दूसरी खरीफ सीजन में। अक्सर किसान एक ही किस्म की बुवाई दोनों सीजन में कर देते हैं जिससे कई बार किसानों को बेहतर उत्पादन नहीं मिल पाता और लागत भी अधिक आती है। इसलिए प्याज की किस्मों का चयन सीजन के अनुरूप करें। रबी सीजन के लिए प्याज की बेहतर किस्म पूसा रेड, रतनारा पूछा, एग्री फाउंड रोज, कल्याणपुर रैड राउंड, अर्का कीर्तिमान किस्मों का किया जा सकता है। जबकि खरीफ सीजन के लिए एग्री फाउंड डार्क रेड, एन-53, एफ-1 हाईब्रिड सीड ऑनियन, ब्राउन स्पेनिश और एन- 257-1 किस्में अच्छी रहती है।
सबसे पहले इसकी खेती के लिए 10 गुना 10 आकार की क्यारियां बनानी होंगी। इसके बाद एक एकड़ क्षेत्र में बुवाई के लिए 5 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल पर्याप्त है। बीजों को बुवाई से पहले फफूंदनाशक दवा से उपचारित कर लेना चाहिए। इसके बाद ही क्यारियों में बीजों की बुवाई करनी चाहिए। इस तरह 30 से 35 दिनों में पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाती है।
प्याज के सफल उत्पादन में भूमि की तैयारी का विशेष महत्व हैं। खेत की प्रथम जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करना चाहिए। इसके उपरांत 2 से 3 जुताई कल्टीवेटर या हैरा से करें, प्रत्येक जुताई के बाद पाटा अवश्य लगाएं जिससे नमी सुरक्षित रहें तथा साथ ही मिट्टी भुरभुरी हो जाए। भूमि को सतह से 15 सेंटीमीटर उंचाई पर 1.2 मीटर चौड़ी पट्टी पर रोपाई की जाती है अत: खेत को रेज्ड-बेड सिस्टम से तैयार किया जाना चाहिए। ध्यान रहे प्याज की तैयार पौध की रोपाई के लिए समतल और अच्छी जल निकास वाली भूमि का चयन किया जाना चाहिए।
प्याज की फसल को अधिक मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है प्याज की फसल ( onion harvest ) में खाद एवं उर्वरक का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर ही करना चाहिए। गोबर की सड़ी खाद 20-25 टन/हेक्टेयर रोपाई से एक-दो माह पूर्व खेत में डालना चाहिए। इसके अलावा नत्रजन 100 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर, स्फुर 50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर तथा पोटाश 50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर देने की अनुसंशा की जाती हैं। इसके अतिरिक्त सल्फर 25 कि.ग्रा.एवं जिंक 5 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर प्याज की गुणवत्ता सुधारने के लिए आवश्यक होते हैं। इसके बाद खेत में प्याज की रोपाई करें और ट्यूबवेल द्वारा फसल में नियमित अंतराल पर सिंचाई करते रहते हैं।
खरीफ मौसम की फसल में रोपण के तुरन्त बाद सिंचाई करना चाहिए अन्यथा सिंचाई में देरी से पौधे मरने की संभावना बढ़ जाती हैं। खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्याज की फसल को जब मानसून चला जाता हैं उस समय सिंचाइयां आवश्यकतानुसार करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखा जाए कि शल्ककन्द निर्माण के समय पानी की कमी नहीं होना चाहिए क्योंकि यह खरीफ प्याज फसल की क्रांतिक अवस्था होती हैं क्योंकि इस अवस्था में पानी की कमी के कारण उपज में भारी कमी हो जाती हैं, जबकि अधिक मात्रा में पानी बैंगनी धब्बा (पर्पिल ब्लाच) रोग को आमंत्रित करता हैं। काफी लंबे समय तक खेत को सूखा नहीं रखना चाहिए अन्यथा शल्ककंद फट जाएंगें एवं फसल जल्दी आ जाएगी, परिणामस्वरूप उत्पादन कम प्राप्त होगा। अत: आवश्यकतानुसार 8-10 दिन के अंतराल से हल्की सिंचाई करना चाहिए। यदि अधिक वर्षा या अन्य कारण से खेत में पानी रूक जाए तो उसे शीघ्र निकालने की व्यवस्था करना चाहिए अन्यथा फसल में फफूंदी जनित रोग लगने की संभावना बढ़ जाती हैं।
फसल को खरपतवारों से मुक्त रखने के लिए कुल 3 से 4 निराई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है। प्याज के पौधे एक-दूसरे के नजदीक लगाए जाते है तथा इनकी जड़े भी उथली रहती है अत: खरपतवार नष्ट करने के लिए रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाना उचित रहता है। इसके लिए पैन्डीमैथेलिन 2.5 से 3.5 लीटर/हेक्टेयर अथवा ऑक्सीफ्लोरोफेन 600-1000 मिली/हेक्टेयर खरपतवार नाशक पौध की रोपाई के 3 दिन बाद 750 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करना बहुत प्रभावी और उपयुक्त पाया गया हैं।
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