प्रकाशित - 21 Nov 2024
बाजार में सोयाबीन की गिरती कीमतों से परेशान किसानों के लिए राहत भरी खबर आई है। केंद्र सरकार ने देश के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की उपज खरीदने की घोषणा के साथ ही इसमें नमी की मात्रा में भी छूट दे दी है। अब किसान 15 प्रतिशत नमी वाला सोयाबीन भी एमएसपी पर बेच सकेंगे। इससे पहले किसानों से 12 प्रतिशत तक नमी वाला सोयाबीन ही एमएसपी पर खरीदा जाता था। सरकार की ओर दी गई इस छूट का लाभ उन किसानों को भी मिल सकेगा जो सोयाबीन में अधिक नमी की मात्रा के कारण उसे बेच नहीं पा रहे थे। इससे अब अधिक से अधिक किसान एमएसपी पर अपनी फसल को बेच सकेंगे।
सरकार द्वारा सोयाबीन की खरीद के लिए की गई नई व्यवस्था के तहत मंत्रालय की ओर स्पष्ट कर दिया गया है कि अतिरिक्त नमी वाली सोयाबीन की खरीद से होने वाले किसी भी अतिरिक्त खर्च या नुकसान की भरपाई संबंधित राज्य सरकार द्वारा की जाएगी। केंद्रीय नोडल एजेंसियां नेफेड (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) राज्य स्तरीय खरीद एजेंसियों (SLAs) को छूट दिए गए नमी मानकों को समायोजित करते हुए भुगतान करेंगी। हालांकि किसानों को उनकी फसल के लिए पूरा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का भुगतान किया जाएगा।
केंद्र सरकार की ओर से हर रबी और खरीफ सीजन में बुवाई से पहले सरकार द्वारा अधिसूचित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाता है और उसी एमएसपी पर पूरे देश में किसानों से फसलों की खरीद की जाती है। खरीफ विपणन सीजन 2024 के लिए केंद्र सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है। इसी रेट पर किसानों से सोयाबीन की खरीद की जाएगी।
देश में सोयाबीन का महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में सबसे अधिक उत्पादन होता है। यदि बात की जाए यहां के सोयाबीन के बाजार भावों की तो यहां सोयाबीन का बाजार भाव केंद्र द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी से काफी कम है। यदि बात करें मध्यप्रदेश की तो कमोडिटी ऑनलाइन मंडी भाव पर वर्तमान बाजार दरों के अनुसार सोयाबीन का औसत मूल्य 4073.71 रुपए प्रति क्विंटल है। सबसे कम भाव 3000 रुपए प्रति क्विंटल है और सबसे उच्च बाजार भाव 4385 रुपए क्विंटल है। इसी प्रकार महाराष्ट्र में सोयाबीन का औसत मूल्य 4436 रुपए क्विंटल है। सबसे कम बाजार की कीमत 3700 रुपए क्विंटल है और सबसे अधिक बाजार की कीमत 4892 रुपए क्विंटल है। वहीं अधिक नमी वाली सोयाबीन के भाव काफी कम मिल रहे हैं। बता दें कि सोयाबीन में नमी 12 प्रतिशत तक मान्य होती है, इससे अधिक नमी वाले सोयाबीन के बाजार में भाव कम मिलते हैं।
यदि बात की जाए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में सोयाबीन खरीदी की तो मध्यप्रदेश ने अपने यहां किसानों से महाराष्ट्र के मुकाबले एमएसपी पर खरीद अधिक की है। मीडिया रिपार्ट के अनुसार सरकारी एजेंसियों ने 12 नवंबर तक महाराष्ट्र में 3,887.94 टन सोयाबीन की खरीद की है। यह मौजूदा सीजन के लिए तय किए गए लक्ष्य 13.08 लाख टन के मुकाबले काफी कम है। यहां सोयाबीन की खरीद 15 अक्टूबर से की जा रही है और यह 12 जनवरी 2025 तक जारी रह सकती है। वहीं तेलंगाना ने 15 सितंबर से अब तक 59,508 टन के लक्ष्य के मुकाबले 24,253 टन तिलहन की खरीद की है। इधर, मध्यप्रदेश सरकार ने निर्धारित किए गए 13.68 लाख टन के लक्ष्य में से 9,971.94 टन सोयाबीन की खरीद किसानों से की है। इस तरह मध्यप्रदेश में सोयाबीन की खरीद देरी से शुरू होने के बावजूद महाराष्ट्र से अधिक खरीदी की गई है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक फिलहाल सोयाबीन में 15 प्रतिशत से अधिक नमी है जो सरकार के 12 प्रतिशत नमी के उचित और गुणवत्ता मानकों का पालन नहीं करता है। अधिक नमी की मात्रा होने के कारण तिलहन में गलन हो सकती है और इसलिए हम किसानों से खरीद नहीं कर सकते हैं। वहीं निजी व्यापारियों के पास सुखाने के लिए शेड हैं, इसलिए वे अधिक नमी वाली तिलहन को खरीद सकते हैं, वो भी कम कीमत पर। हालांकि अब सरकार की ओर से 15 प्रतिशत नमी वाली सोयाबीन खरीदने के आदेश हो चुके हैं, अब देखना होगा कि महाराष्ट्र में सोयाबीन की खरीद कितनी रफ्तार पकड़ती है। बता दें कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होना है और 23 नवंबर को परिणाम घोषित किया जाएगा। इससे पहले विपक्ष की कांग्रेस पार्टी लगातार बीजेपी की एकनाथ शिंदे सरकार को सोयाबीन कीमतों को लेकर घेरे हुए हैं। इस समय विपक्ष के लिए सोयाबीन की कीमत एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
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