प्रकाशित - 24 Nov 2024
देश में रबी फसलों की बुवाई का सीजन चल रहा है। इस समय किसान गेहूं, सरसों, चना आदि की बुवाई के लिए डीएपी खरीदने में लगे हुए है ताकि उन्हें फसल की अच्छी पैदावार मिल सके। लेकिन इस समय मांग अधिक होने से किसानों को सहकारी समितियों व सरकारी खाद वितरण केंद्रों पर डीएपी खरीदने के लिए लाइन में लगना पड़ा रहा है। किसानों को डीएपी खाद को लेकर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा है।
हालांकि राज्य सरकारें अपने स्तर पर किसानों को आवश्यकता के अनुरुप डीएपी की उपलब्ध कराने का भूरपूर प्रयास कर रही हैं। इसके बाद भी कई जगह पर डीएपी को लेकर मारपीट की खबरें भी सामने आई हैं। इसके अलावा डीएपी की कालाबाजारी की बात भी कही जा रही है। किसान जरूरत से ज्यादा डीएपी की मांग कर रहे हैं। ऐसे में कालाबाजारी की आशंका के चलते राज्य सरकार ने डीएपी खाद खरीदने आए किसानों के लिए अब तीन दस्तावेज दिखाना जरूरी कर दिया है। ऐसे में किसान अब सहकारी समितियों या सरकारी खाद वितरण केंद्र पर डीएपी खाद खरीदने जाएं तो अपने साथ यह तीन दस्तावेज जरूर लेकर जाएं ताकि उन्हें खाद खरीदने में कोई परेशानी नहीं हो।
किसानों को डीएपी खाद खरीदने के लिए अब 3 दस्तावेज साथ लेकर जाने होंगे, इसमें खेती की जमीन के साक्ष्य के रूप में खतौनी, पहचान के लिए आधार कार्ड और मोबाइल नंबर की जानकारी देनी होगी। इन तीनों कागजातों के बिना डीएपी खाद नहीं दी जाएगी। इसके अलावा भी सरकार की ओर से डीएपी खाद का सुचारू वितरण करने के लिए और भी नियम तय किए हैं जिसमें किसानों को खेत क्षेत्रफल के आधार पर खाद की मात्रा तय की जाएगी। इन नियमों की पालना के लिए समितियों पर अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।
राज्यों में सहकारी समितियों व सरकारी खाद वितरण केंद्रों के जरिये किसानों को डीएपी का विक्रय किया जा रहा है। इसमें सब्सिडी वाले डीएपी की कीमत 1350 रुपए है। वहीं बाहर बाजार में डीएपी खरीदने के लिए किसान को 1600 से 2100 रुपए की कीमत में चुकानी पड़ रही है। ऐसे में सरकार की ओर से डीएपी की कालाबाजारी की आशंका व्यक्त की गई है जिसे देखते हुए डीएपी के वितरण में सरकार की ओर से सावधानी बरती जा रही है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही की अध्यक्षता में डीएपी उर्वरक के संबंध में संयुक्त कृषि निदेशक (उर्वरक), उत्तर प्रदेश एवं उर्वरक विनिर्माता अथवा प्रदायतकर्ता संस्था के प्रतिनिधियों के साथ गहन समीक्षा की गई। बैठक में नवंबर 2024 के लिए भारत सरकार द्वारा आवंटन के सापेक्ष में कंपनीवार डीएपी उर्वरक की आपूर्ति के संबंध में जानकारी मांगी गई। इसमें बताया गया कि आवंटन के सापेक्ष प्रोराटा प्लान के अनुसार मै. एन.एफ.एल. द्वारा 117 प्रतिशत, मै. आर.सी.एफ द्वारा 58 प्रतिशत, मै. इफको द्वारा 90 प्रतिशत, मै. कृभको द्वारा 13 प्रतिशत, मै. कोरोमंडल द्वारा 67 प्रतिशत, मै. हिंडाल्को द्वारा 124 प्रतिशत, मै. चंबल द्वारा 36 प्रतिशत, मै. पी.पी.एल. द्वारा 63 प्रतिशत, मै. आई.पी.एल. द्वारा 64 प्रतिशत और मै. एच.यू.आर.एल द्वारा 91 प्रतिशत डीएपी की आपूर्ति की गई है।
बैठक में बताया गया कि भारत सरकार की ओर से 127 फास्फेट उर्वरकों की रैक डिस्पैच की गई है। इसमें से 86 रैक पहुंच चुकी हैं तथा शेष 41 फास्फेटिक रैक रास्ते में हैं जिनकी आगामी दो से तीन दिन के भीर पहुंचने की संभावना है। इधर कृषि मंत्री की ओर से किसानों को डीएपी उर्वरक की आपूर्ति सुचारू रूप से करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी के साथ ही निर्देश दिए गए है कि उर्वरक कंपनियों द्वारा उर्वरक की आपूर्ति सही उर्वरक विक्रेताओं को किए जाए तथा सही उर्वरक विक्रेताओं द्वारा ही फुटकर विक्रेताओं को उर्वरक पहुंचाने की प्रक्रिया में किसी प्रकार की देरी नहीं की जाए।
कृषि मंत्री ने उर्वरक कंपनियों द्वारा थोक उर्वरक विक्रेताओं को उर्वरक के साथ कोई अन्य उत्पाद को ट्रैगिंग नहीं करने के निर्देश दिए हैं। थोक उर्वरक विक्रेताओं द्वारा फुटकर उर्वरक विक्रेताओं को उर्वरक समय से पहुंचाया जाए इसमें होल्डिंग नहीं करें। प्रदेश के सभी उर्वरक बिक्री केंद्रों पर उर्वरक का विक्रय बोरी में अंकित अधिकतम विक्रय मूल्य से अधिक दर पर नहीं किया जाए। यदि कोई उर्वरक की कालाबाजारी, अधिक कीमत पर बिक्री, उर्वरकों की होल्डिंग तथा टैगिंग करता है तो उसके विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराते हुए उर्वरक विक्रय प्राधिकार पत्र को भी निरस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
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